जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने का इच्छुक नहीं दिखा सुप्रीम कोर्ट, मामले पर सुनवाई 11 अक्टूबर तक टाली
Two-child policy कोर्ट ने कहा कि सरकार इस पर नीतिगत निर्णय ले। कोर्ट इस मामले को बंद कर रही है। हालांकि बाद में कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अनुरोध पर सुनवाई 11 अक्टूबर तक के लिए टाल दी लेकिन राज्यों को पक्षकार बनाकर नोटिस जारी करने की मांग नहीं मानी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाए जाने और दो बच्चों की नीति लागू करने की मांग वाली याचिका पर आगे सुनवाई जारी रखने को लेकर अनिच्छा जताते हुए मामले को बंद करने की बात कही। यह तर्क दी गई कि बहुत सी समस्याओं का मूल जनसंख्या विस्फोट है लेकिन कोर्ट का कहना है कि प्रत्येक समाज में कोई न कोई समस्या होती है। शून्य समस्या वाला कोई समाज नहीं हो सकता है।
सुनवाई 11 अक्टूबर तक टाली
कोर्ट ने कहा कि सरकार इस पर नीतिगत निर्णय ले। कोर्ट इस मामले को बंद कर रही है। हालांकि बाद में कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अनुरोध पर सुनवाई 11 अक्टूबर तक के लिए टाल दी लेकिन राज्यों को पक्षकार बनाकर नोटिस जारी करने की मांग नहीं मानी। ये टिप्पणियां और आदेश प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला की पीठ ने वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को दिये।
केंद्र सरकार का जवाब
मामले पर जब सुनवाई शुरू हुई तो उपाध्याय ने याचिका पर स्वयं बहस करते हुए कहा कि यह मामला जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित है। केंद्र सरकार इसमें अपना जवाब भी दाखिल कर चुकी है। उपाध्याय ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा संविधान की समवर्ती सूची में आता है इसलिए उन्होंने एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें राज्यों को भी पक्षकार बनाने की मांग की है।
दलील पर कोर्ट का कहना
कोर्ट उस अर्जी पर राज्यों को नोटिस जारी करे। लेकिन कोर्ट ने कहा कि आपकी याचिका में दो बच्चों की नीति लागू करने की मांग की गई है। कोर्ट इस बारे में आदेश कैसे दे सकता है। उपाध्याय ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है और प्रधानमंत्री ने भी इस मुद्दे को उठाया था। इस दलील पर कोर्ट ने कहा कि बहुत सी आदर्श चीजें हैं लेकिन कोर्ट उस पर आदेश कैसे दे सकता है। कोर्ट आदेश देगा तो यह भी देखना होगा कि वह लागू हो सके।
पीठ ने कहा कि वह दलीलों से सहमत नहीं हैं। उपाध्याय ने दलील दी कि बहुत सी समस्याओं का मूल जनसंख्या है। कोर्ट ने कहा कि मामला सरकार के संज्ञान में आ चुका है और अब सरकार इस पर नीतिगत निर्णय लेगी।
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