छुपे रूस्तम के रूप में तीसरे उम्मीदवार के तौर पर हाईकमान की पसंद बने खड़गे, कैसे बदला समीकरण..?
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पर्चा दाखिल कर दिया। इसके साथ ही अगले अध्यक्ष पद के चेहरे पर चल रहे सियासी सस्पेंस का पटाक्षेप हो गया है। जानें कैसे बदला समीकरण....
संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन दाखिल करने के साथ ही अगले अध्यक्ष पद के चेहरे पर चल रहे सियासी सस्पेंस का पटाक्षेप हो गया। अशोक गहलोत के रेस से हटने के बाद अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल कई नेताओं को पीछे छोड़ते हुए 80 साल के खड़गे ने अपनी निष्ठा और लंबे राजनीतिक अनुभवों के सहारे कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए नेतृत्व का भरोसा जीत लिया।
असंतुष्ट गुट भी आया साथ
खड़गे की उम्मीदवारी आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस के लिए राहतकारी दिखी क्योंकि पार्टी के असंतुष्ट गुट जी-23 के तमाम नेता न केवल उनके नामांकन पत्र में प्रस्तावक बने बल्कि पर्चा दाखिल करने के दौरान मौजूद रहकर लंबे अर्से बाद पार्टी में असंतोष का दौर थमने की पहली उम्मीद जगाई। अब चुनावी मुकाबले में खड़गे की टक्कर असंतुष्ट जी-23 खेमे के मुखर और तेज तर्रार 66 वर्षीय नेता शशि थरूर से होगी।
थरूर भी डटे
कांग्रेस में बदलाव लाने के अपने घोषणापत्र के साथ थरूर ने भी अपना नामांकन दाखिल करते हुए खड़गे के खिलाफ चुनावी मैदान में डटे रहने का ऐलान किया है। हालांकि थरूर के इस चुनावी जोश को जी-23 के बदले रुख से झटका जरूर लगेगा क्योंकि इस खेमे के नेताओं ने खड़गे का सीधे समर्थन किया वहीं थरूर को केवल शुभकामनाएं दी।
गांधी परिवार के बाहर जाएगा अध्यक्ष पद
मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच चुनावी मुकाबला होने की तस्वीर साफ होने के बाद यह भी तय हो गया है कि 24 साल बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पद गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति के हाथों में जाएगा। 1998 में सीताराम केसरी को हटाए जाने के बाद सोनिया गांधी दिसंबर 2016 तक लगातार अध्यक्ष रहीं और फिर राहुल गांधी ने कमान संभाली।
दिग्गजों का जमावड़ा
लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया और तब से सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभाल रही हैं। कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पर खड़गे जब नामांकन के लिए दोपहर करीब 1.45 में पहुंचे तब वहां पार्टी के तमाम दिग्गज नेता प्रस्तावक के रूप में उनका समर्थन करने के लिए मौजूद थे।
ये दिग्गज रहे शामिल
इसमें खड़गे के पक्ष में अध्यक्ष पद की दौड़ से हटने वाले दिग्विजय सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ एके एंटनी, अंबिका सोनी, कुमारी सैलजा, पवन बंसल, मुकुल वासनिक जैसे चेहरे शामिल थे। लेकिन इससे भी ज्यादा अहम यह था कि हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडृडा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चव्हाण के रूप में लगभग पूरा जी-23 ही खड़गे का समर्थन करने के लिए वहां मौजूद था।
भारी गहमागहमी के बीच नामांकन
खड़गे ने भारी गहमागहमी के बीच नामांकन दाखिल किया और दिग्गजों के अलावा हुडडा, तिवारी, आनंद शर्मा और चव्हाण ने भी उनके नामांकन फार्म में बतौर प्रस्तावक हस्ताक्षर किए और उनके पक्ष में कई नामांकन के कई सेट दाखिल किए गए।
कांग्रेस की विचाराधारा के लिए लड़ते रहेंगे लड़ाई
लंबे अर्से बाद कांग्रेस में दिखी इस आश्चर्यजनक एकता निसंदेह खड़गे के लिए चुनाव मैदान में उतरने के मौके पर सकारात्मक रही और तभी उन्होंने नामांकन के बाद मीडिया से बात करते हुए सभी नेताओं का उनका समर्थन करने के लिए आभार जताया। साथ ही गांधी, नेहरू और अंबेडकर के उसूलों के अनुरूप कांग्रेस की विचाराधारा के लिए अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे।
दाखिल किया नामांकन
खड़गे से पूर्व शशि थरूर ने दोपहर करीब साढे बारह बजे कांग्रेस मुख्यालय में अपने समर्थकों के साथ आकर पूरे उत्साह के साथ अपना नामांकन दाखिल किया। थरूर ने पांच सेट के साथ अपना नामांकन दाखिल करने के बाद खड़गे की उम्मीदवारी को पार्टी प्रतिष्ठान का समर्थन होने की बात कह साफ कर दिया कि यह निरंतरता को जारी रखने के लिए है।
खड़गे कांग्रेस के भीष्म पितामह
शशि थरूर ने कहा कि खड़गे कांग्रेस के भीष्म पितामह हैं और उनका कोई निजी विरोध नहीं मगर देश और पार्टी की मौजूदा चुनौतियों के लिए कांग्रेस में कई बदलाव की जरूरत है। कांग्रेस देश में बदलाव लाने वाली पार्टी बने इस मकसद से वे सभी 9000 से अधिक डेलीगेट के सामने अपना एजेंडा रखेंगे और चुनाव मुकाबले से उनके हटने का सवाल नहीं है। थरूर के बाद एक तीसरे उम्मीदवार झारखंड के पूर्व मंत्री केएम त्रिपाठी ने भी अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरा है।
जी-23 को आगे सुधार की उम्मीद
खड़गे के नामांकन के मौके पर मौजूद जी 23 के नेताओं आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि हमने चुनाव की मांग की थी और यह अच्छी शुरूआत है। कांग्रेस के राजनीतिक पुनर्रोत्थान के साथ निर्णय प्रक्रिया को अधिक समावेशी और सामूहिक बनाने की भी जरूरत है। शर्मा ने कहा कि इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव और संसदीय बोर्ड के गठन पर भी पहल होनी चाहिए।
थरूर की उम्मीदवारी का समर्थन नहीं करने के सवाल पर चव्हाण ने कहा कि उन्होंने खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया और राय-मशविरा किया होता तो अलग बात होती। इसलिए थरूर को हमारी पूरी शुभकामनाएं हैं। वैसे बताया जाता है कि उम्मीदवार बनने की हरी झंडी मिलते ही खड़गे ने तमाम नेताओं के साथ जी 23 खेमे के नेताओं को भी फोन कर समर्थन मांगा और मौजूदा हालत में इस खेमे ने भी फिलहाल सुलह की राह पर चलना ही मुनासिब समझा है।
गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं था मौजूद
खड़गे के अध्यक्ष पद के नामांकन की प्रक्रिया के दौरान गांधी परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था ओर इसके जरिए नेतृत्व ने चुनाव में अपनी तटस्थता दिखाने का संकेत दिया। हालांकि खड़गे के नामांकन के मौके पर जिस तरह पूरी कांग्रेस उमड़ी उसके बाद इसमें संदेह की गुंजाइश नहीं कि वे गांधी परिवार की पसंद से ही उम्मीदवार बने हैं।
गांधी परिवार किसी का समर्थन नहीं कर रहा
कांग्रेस केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने नामांकन के आखिरी दिन तीनों उम्मीदवारों के पर्चा दाखिल करने के बाद साफ कहा कि गांधी परिवार किसी का समर्थन नहीं कर रहा और सभी अपनी इच्छा से चुनाव लड़ रहे हैं।
गहलोत रहे सक्रिय
राजस्थान के घमासान के बाद अध्यक्ष पद की रेस से हटे अशोक गहलोत पार्टी मुख्यालय में खड़गे के नामांकन के मौके पर न केवल सक्रिय रहे बल्कि उनके प्रस्तावक के रूप में हस्ताक्षर किए। जबकि सचिन पायलट इस दौरान नजर नहीं आए। इसके राजनीतिक निहितार्थ को पढ़ा जाए तो भले अगले कुछ दिनों में गहलोत के भविष्य का फैसला करने की संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बात कही हो मगर उनकी कुर्सी पर कोई गंभीर खतरा है इसका संकेत नहीं है।
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