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    Religious Conversions: जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज, SC ने कहा- हम दखल क्यों दें?

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Wed, 06 Sep 2023 12:43 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण रोकने के लिए कदम उठाने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता जेरोम एंटो की ओर से पेश वकील ने पीठ को तर्क दिया था कि हिंदुओं और नाबालिगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है और उनका धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। इस पर पीठ ने जवाब देते हुए कहा अदालत सरकार को आदेश कैसे जारी कर सकती है।

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    जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज (Image: ANI)

    नई दिल्ली, एजेंसी। देश में लगातार धर्मांतरण के मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, स्वेच्छा से अपने धर्म को छोड़कर किसी दूसरे धर्म को अपनाना अपराध नहीं है, लेकिन अगर कोई धोखाधड़ी और लालच से जबरन किसी का धर्मांतरण कराता है, तो इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

    इसी को देखते हुए धर्मांतरण रोकने के लिए कदम उठाने की मांग वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। लेकिन, बुधवार (6 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर इसे खारिज कर दिया। इस याचिका में केंद्र को देश में धोखाधड़ी से धर्मांतरण को रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    अदालत सरकार को आदेश कैसे जारी कर सकती है?

    अदालत को इस मामले में क्यों प्रवेश करना चाहिए? अदालत सरकार को परमादेश की रिट कैसे जारी कर सकती है? मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

    'धोखाधड़ी से' धर्म परिवर्तन किया जा रहा

    याचिकाकर्ता जेरोम एंटो की ओर से पेश वकील ने पीठ को तर्क दिया था कि हिंदुओं और नाबालिगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है और उनका 'धोखाधड़ी से' धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। इस पर पीठ ने जवाब देते हुए कहा,'अगर कोई लाइव चुनौती है और किसी पर मुकदमा चलाया गया है तो हम उस पर विचार कर सकते हैं।'

    'ये कैसी जनहित याचिका है?

    पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, 'ये कैसी जनहित याचिका है? जनहित याचिका एक टूल बन गई है और हर कोई इस तरह की याचिकाएं लेकर आ रहा है।' याचिकाकर्ता द्वारा यह सवाल किए जाने पर कि उसे इस तरह की शिकायत लेकर कहां जाना चाहिए? इस पर पीठ ने कहा, 'हम सलाहकार क्षेत्राधिकार में नहीं हैं और इसलिए याचिका खारिज की जाती है।'