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    SC ने डार्विन और आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज, कहा- हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत और आइंस्टीन के सापेक्षता के समीकरण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आपको लगता है कि दोनों सिद्धांत गलत हैं तो आप अपने सिद्धांत का प्रचार कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का इससे कोई लेना-देा नहीं हैं।

    By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 13 Oct 2023 05:37 PM (IST)
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    SC ने डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत और आइंस्टीन के सापेक्षता के समीकरण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

    एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत और आइंस्टीन के सापेक्षता के समीकरण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि डार्विन और आइंस्टीन के सिद्धांत से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।

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    पीठ ने क्या कहा?

    न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु की पीठ ने याचिका की सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने याचिकाकर्ता राजकुमार से कहा कि यदि वे मानते हैं कि डार्विन और आइंस्टीन के सिद्धांत गलत थे तो सर्वोच्च अदालत का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

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    याचिकाक्रता ने दी यह दलील

    दरअसल, राजकुमार यह साबित करना चाहते थे कि आइंस्टीन के विशेष सापेक्षता के समीकरण (E=mc²) और विकास के डार्विनियन सिद्धांत गलत थे। उन्होंने कहा कि वह अपनी बात को रखने के लिए एक मंच चाहते थे। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि यदि यह आपका विश्वास है तो आप अपने विश्वास का प्रचार कर सकते हैं। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका नहीं हो सकती।

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    याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने स्कूल और कॉलेज में जो कुछ भी पढ़ा था, अब एहसाल हो रहा है कि वह सब गलत था। इस पर पीठ ने कहा कि फिर आप अपने सिद्धांत में सुधार करें। सुप्रीम कोर्ट को इसमें क्या करना चाहिए? पीठ ने आगे कहा,

    आप कहते हैं कि आपने स्कूल में कुछ पढ़ा। आप विज्ञान के छात्र थे। अब आप कहते हैं कि वे सिद्धांत गलत हैं। यदि आप मानते हैं कि वे सिद्धांत गलत थे, तो सुप्रीम कोर्ट का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

    याचिकाकर्ता ने तब पीठ को बताया कि डार्विन के सिद्धांत को स्वीकार करते हुए 20 मिलियन लोग (एक मिलियन =10 लाख) मर गए हैं। पीठ ने कहा कि अगर आपको लगता है कि दोनों सिद्धांत गलत हैं तो आप अपने सिद्धांत का प्रचार कर सकते हैं।