Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'हम किसी बच्चे को मारने की इजाजत नहीं दे सकते', महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

    By Jagran NewsEdited By: Siddharth Chaurasiya
    Updated: Thu, 12 Oct 2023 04:11 PM (IST)

    26 सप्ताह के गर्भ को मारने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम किसी भी बच्चे को नहीं मार सकते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें अजन्मे बच्चे के अधिकार के साथ-साथ मां के अधिकार को बैलेंस करने की जरूरत है।

    Hero Image
    26 सप्ताह के गर्भ को मारने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। 26 सप्ताह के गर्भ को मारने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम किसी भी बच्चे को नहीं मार सकते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें अजन्मे बच्चे के अधिकार के साथ-साथ मां के अधिकार को बैलेंस करने की जरूरत है। महिला पहले से दो बच्चे की मां है और मानसिक रूप से तीसरे बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार और उसके वकील से बात करने को कहा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से सुनवाई के दौरान सवाल किया कि क्या आप चाहते हैं कि हम एम्स के डॉक्टरों से कहें कि (वे) भ्रूण की दिल की धड़कने बंद कर दें? याचिकाकर्ता ने 26 सप्ताह तक इंतजार किया है तो क्या वह कुछ और इंतजार नहीं कर सकती? जब वकील ने "नहीं" में जवाब दिया, तो पीठ ने कहा कि जब महिला ने 24 सप्ताह से अधिक समय तक इंतजार किया है, तो क्या वह कुछ और हफ्तों तक भ्रूण को अपने पास नहीं रख सकती है, ताकि एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें।

    यह भी पढ़ें: Supreme Court: महिला को गर्भपात की इजाजत देने पर न्यायाधीशों में मतभिन्नता, अब चीफ जस्टिस के पास पहुंचा मामला

    पीठ ने मामले की सुनवाई शुक्रवार सुबह साढ़े दस बजे तय की है। मामला सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष तब आया जब बुधवार को दो न्यायाधीशों की पीठ ने महिला को 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने के अपने 9 अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की केंद्र की याचिका पर खंडित फैसला सुनाया।

    शीर्ष अदालत ने 9 अक्टूबर को महिला को यह ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन करने की अनुमति दी थी, कि वह अवसाद से पीड़ित थी और "भावनात्मक, आर्थिक और मानसिक रूप से" तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं थी।

    यह भी पढ़ें: Bilkis Bano Case: दोषियों को दी गई सजा में छूट के खिलाफ याचिका पर SC ने की सुनवाई, आदेश को रखा सुरक्षित