छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में यूपी पुलिस को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, 21 अगस्त तक न उठाएं कोई कठोर कदम
कोर्ट ने कहा यूपी में दर्ज एफआइआर पर 21 अगस्त तक कोई कठोर कदम न उठाएं। दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में ईडी कर रही जांच। ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने दावा किया कि कुछ नौकरशाह बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं और शराब घोटाले से पैसे निकाल रहे हैं।

नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस से कहा कि वह छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में ईडी की जांच के संबंध में दर्ज एफआइआर में 21 अगस्त तक कोई कड़े कदम न उठाए। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मामले की जांच में बाधा नहीं डाल रही है।
धोखाधड़ी, जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज
अधिकारियों ने 31 जुलाई को कहा था कि शराब घोटाले की ईडी जांच के सिलसिले में ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने दो आइएएस अधिकारियों सहित छत्तीसगढ़ सरकार के तीन अधिकारियों और अन्य पर धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के आरोप में मामला दर्ज किया है।
घोटाले की जांच कर रहे ईडी के रायपुर स्थित उप निदेशक की शिकायत पर कासना पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसके 18 जुलाई के आदेश को दरकिनार करने का दावा किया गया था। आवेदन में कहा गया है कि संबंधित प्रतिवादी ईडी अधिकारी को हर तरह से उनका साथ देना चाहिए, क्योंकि जांच एजेंसी ने उत्तर प्रदेश में एफआइआर दर्ज करवाई है।
एएसजी ने का दावा कि छत्तीसगढ़ सरकार के संरक्षण में अधिकारी
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दावा किया कि कुछ नौकरशाह बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं और शराब घोटाले से पैसे निकाल रहे हैं। एएसजी ने दावा किया कि वे छत्तीसगढ़ सरकार के संरक्षण में हैं। आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि डुप्लीकेट होलोग्राम का मुद्दा, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआइआर में उठाने की मांग की गई है।
यह कुछ ऐसा था जो ईडी के संज्ञान में बहुत पहले आया था और यह सुप्रीम कोर्ट में पहले दायर किए गए जवाबी हलफनामे का भी हिस्सा था।

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