सुप्रीम कोर्ट के गेट पर हाथ से मैला ढोने की तस्वीरें देख भड़के जज, अधिकारियों से मांगा जवाब; दर्ज हो सकती है FIR
उच्चतम न्यायालय ने गेट संख्या एफ पर हाथ से मैला ढोने की तस्वीरों का संज्ञान लिया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि ये तस्वीरें विचलित करने वाली हैं। अदालत ने पीडब्ल्यूडी के संबंधित अधिकारी से जवाब तलब किया है और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को भी पार्टी बनाया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अदालत के गेट संख्या एफ पर हाथ से मैला ढोने की तस्वीरों का संज्ञान लिया है। न्यायमूर्ति (अब सेवानिवृत्त) सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की पीठ ने 6 अगस्त के अपने आदेश में कहा है कि मैला ढोने और खतरनाक सफाई कार्यों से जुड़ी ये तस्वीरें विचलित करने वाली हैं।
जवाब तलब करते हुए अदालत ने कहा कि संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो एफआईआर कराई जाएगी। अदालत में मैला ढोने से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ये मामला सामने आया। अपने आदेश में पीठ ने इस मामले में पीडब्ल्यूडी के संबंधित अधिकारी से जवाब तलब किया है। साथ ही पूर्वी दिल्ली नगर निगम को भी पार्टी बनाया है।
अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी
अदालत ने पूछा है कि बगैर सुरक्षा उपायों के श्रमिकों के जरिये अब भी मैला ढोने और खतरनाक सफाई कार्य क्यों कराए जा रहे हैं, जिससे उनकी सेहत पर खतरनाक असर हो सकता है। अदालत ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी। सुनवाई पर संतोषजनक जवाब न मिलने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
गौरतलब है कि साल 2023 में अपने आदेश में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि मैला ढोनेवाले बंधुआ जीवन जीते हैं और प्रणालीगत तरीके से अमानवीय हालात में फंस जाते हैं। अदालत ने केंद्र और राज्यों से मैला ढोने की प्रथा को जड़ से खत्म करने को कहा था। साथ ही सीवर की सफाई में मारे गए कर्मियों के स्वजनों को 30 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।
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