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    'ऐसे लोगों को तो...', दिल्ली चुनाव के लिए ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत पर SC ने की बड़ी टिप्पणी

    Updated: Mon, 20 Jan 2025 10:00 PM (IST)

    Supreme Court News एआईएमआईएम उम्मीदवार ताहिर हुसैन ने अंतरिम जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ऐसे सभी लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए। एआईएमआईएम पार्टी ने ताहिर हुसैन को दिल्ली में मुस्तफाबाद सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।

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    ताहिर हुसैन ने चुनाव प्रचार करने के लिए कोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंभीर आरोपों में आरोपित दागियों के चुनाव लड़ने पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से सख्त टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने जेल में बंद दिल्ली दंगों में आरोपित एआईएमआईएम उम्मीदवार ताहिर हुसैन की चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे सभी लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए।

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    हालांकि बाद में कोर्ट मामले को 21 जनवरी को सुनवाई पर लगाने के लिए राजी हो गया। दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को दंगे हुए थे जिसमें 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे, ताहिर हुसैन के खिलाफ दंगों के 11 मामले दर्ज हैं वह दंगों के बाद से ही जेल में है। एआईएमआईएम पार्टी ने ताहिर हुसैन को दिल्ली में मुस्तफाबाद सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।

    चुनाव प्रचार के लिए मांगी अंतरिम जमानत

    ताहिर हुसैन ने पहले दिल्ली हाई कोर्ट से चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने मांग ठुकरा दी थी। जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हालांकि हाई कोर्ट के नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए ताहिर हुसैन को 14 जनवरी को कस्टडी पैरोल दी थी।

    सोमवार को ताहिर हुसैन की याचिका न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए थी। जब कोर्ट का समय समाप्त हो गया और याचिका पर सुनवाई का नंबर नहीं आया तो ताहिर हुसैन के वकील ने चुनाव की दुहाई देते हुए याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की गुहार लगाई। इस पर पीठ की अगुवाई कर रहे न्यायाधीश पंकज मित्तल ने कहा कि आपका मुवक्किल तो पहले से ही पैरोल पर है तो अंतरिम जमानत की क्या जरूरत है।

    जेल में बैठो और चुनाव जीतो

    वकील ने कहा कि उसे सिर्फ नामांकन दाखिल करने के लिए कस्टडी पैरोल मिली थी, लेकिन वह उम्मीदवार हैं और उसे चुनाव प्रचार करना है। जस्टिस मित्तल ने फिर टिप्पणी की कि ये तो आसान है कि जेल में बैठे चुनाव जीतो। वकील ने जब फिर से याचिका पर मंगलवार 21 जनवरी को सुनवाई करने का अनुरोध किया तो इस बार जस्टिस मित्तल ने और कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि वास्तव में ऐसे सभी लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए। लेकिन जब वकील ने अनुरोध जारी रखा तो कोर्ट याचिका को मंगलवार को सुनवाई पर लगाने को राजी हो गया।

    मंगलवार को होगी सुनवाई

    हालांकि कोर्ट ने याचिका को सुनवाई लिस्ट में पहले नंबर पर रखे जाने की बात नहीं मानी और वकील से कहा कि मंगलवार को आप फिर से मामले का उल्लेख करियेगा। दागी के चुनाव लड़ने का मामला देखा जाए तो फिलहाल इस पर कानूनन कोई रोक नहीं है। इस संबंध में वकील अश्वनी उपाध्याय की एक याचिका 2020 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसमें गंभीर अपराध में आरोपपत्र दाखिल होने पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की गई है।

    इस याचिका पर सरकार को बहुत पहले नोटिस जारी हो गया था लेकिन सरकार ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट के मुताबिक यह याचिका 27 जनवरी को फिर सुनवाई पर लगेगी।

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