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    दिल्ली में आवारा कुत्तों तो मुंबई में कबूतरों पर विवाद... अदालत के फैसले का पशु अधिकार कार्यकर्ता क्यों कर रहे विरोध?

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 05:11 PM (IST)

    दिल्ली में आवारा कुत्तों और मुंबई में कबूतरों को लेकर विवाद है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है जिसका मेनका गांधी और राहुल गांधी ने विरोध किया है। मेनका गांधी ने इसे अव्यावहारिक बताया है। वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट के कबूतरों को दाना खिलाने पर रोक के फैसले का जैन समाज विरोध कर रहा है।

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    दिल्ली में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त आदेश सुनाया है। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के दो महानगरों, दिल्ली और मुंबई में इन दिनों आवारा कुत्तों  और कबूतरों पर घमासान मचा हुआ है। दरअसल, दिल्ली में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त आदेश सुनाया है। वहीं, मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी है।

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    सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें डॉग शेल्टर में रखने का आदेश दिया है। हालांकि, कोर्ट के फैसलों का कुछ लोग स्वागत कर रहे हैं तो कुछ आलोचनाओं के सुर भी सुनाई दे रहे हैं।

    दिल्ली में तीन लाख से ज्यादा आवारा कुत्ते: मेनका गांधी

    पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस फैसले को अव्यावहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में करीब तीन लाख से ज्यादा  आवारा कुत्ते हैं। उन सभी को शेल्टर होम में रखने में 15,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। दिल्ली सरकार के लिए यह संभव नहीं है। कोर्ट का यह फैसला पशुओं के अधिकारों की अनदेखी है।

    उन्होंने आगे कहा कि पकड़े गए कुत्तों को खिलाने में ही हर हफ्ते करीब 5 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो जनता के गुस्से को भड़का सकता है। इतना ही नहीं डेढ़ लाख लोग देखरेख के लिए भी चाहिए।

    राहुल गांधी ने भी फैसला पर जताया दुख

    सुप्रीम कोर्ट के फैसला का राहुल गांधी ने भी विरोध किया है। उन्होंने कहा कि शेल्टर्स, नसबंदी, वैक्सीनेशन और कम्युनिटी केयर ही सड़कों को सुरक्षित रख सकती है। एक झटके में सामूहिक तौर पर कुत्तों को हटाने का कदम क्रूर, अदूरदर्शी है।

    जैन समाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर क्या कहा?

    दूसरी ओर बॉम्बे हाईकोर्ट के कबूतरों को दाना खिलने पर रोक संबंधी फैसला का जैन समाज और अन्य पक्षी प्रेमी ने विरोध जाहिर किया है। इन लोगों का मानना है कि कबूतरों को दाना खिलाना धर्म का हिस्सा है। कबूतरों को दाना ना खिलाना बेजुबान पक्षियों के साथ क्रूरता है।

    एक जैन मुनि ने कहा कि कुछ लोग बकरे का बलि देते हैं, वह उनका धर्म है। हम अपने धर्म का पालन करना चाहते हैं। हमारे जैन धर्म में कहा गया है कि चींटी से लेकर हाथी तक की रक्षा करनी चाहिए।

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