फ्लोराइड युक्त पानी की वजह से कैंसर से कराह रहा धार जिले का डेहरी गांव
बीमारी बढ़ने के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल पाया है, लेकिन ग्रामीण दूषित पानी को इसकी वजह बता रहे हैं।
डेहरी (धार) [अय्यूब खान]। महू तहसील के हरसोला गांव की तरह ही धार जिले का डेहरी भी कैंसर की चपेट में है। ग्रामीणों का दावा है कि वर्ष 2017 से अब तक (एक साल में) यहां 7 लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है, जबकि 12 लोग अभी इस बीमारी से पीड़ित हैं। इनमें आठ महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर है। बीमारी बढ़ने के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल पाया है, लेकिन ग्रामीण दूषित पानी को इसकी वजह बता रहे हैं।
करीब छह हजार की आबादी वाले इस गांव में वर्ष 2016 में भी कुछ लोगों की मौत कैंसर से हुई थी। ग्रामीण अभी भी अनभिज्ञ हैं कि किन कारणों से लोग कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। डेहरी निवासी कमल माहेश्वरी और पूर्व सरपंच जफरुद्दीन मुलतानी के मुताबिक कैंसर के साथ यहां किडनी की खराबी, खुजली, घेघापन, घुटनों के दर्द, लिवर खराबी, दांत पीले पड़ना, चर्म रोग जैसी बीमारी से कई लोग ग्रस्त हैं। हर तीसरे घर का एक सदस्य इन्फेक्शन का शिकार है। इसमें शरीर पर लाल दाग हो जाते हैं। यहां कभी भी कोई सर्वे टीम तक नहीं आई।
29 संदिग्ध मरीजों की शुरुआती जांच, 15 में मिले कैंसर के लक्षण
इंदौर। हरसोला में कैंसर के संदिग्ध मरीजों की तलाश के लिए किए गए सर्वे के बाद शनिवार को संदिग्ध 29 मरीजों की फर्स्ट स्क्रीनिंग (शुरुआती जांच) की गई। इनमें से 15 मरीजों में कैंसर के लक्षण मिले। शासकीय कैंसर अस्पताल में अब इनकी अन्य जांच होगी। इन मरीजों में ब्रेस्ट, माउथ और सर्वाइकल कैंसर के लक्षण मिले हैं। डॉक्टरों के अनुसार प्रारंभिक जांच में यह पता चला है।
इसकी विस्तृत जांच होने पर ही पूरी तरह से कुछ कहा जा सकेगा। जिला पंचायत सीईओ नेहा मीणा के अनुसार इन लोगों की जांच कराई जाएगी। इनमें कैंसर पाए जाने पर शासकीय अस्पताल में इनका इलाज तत्काल शुरू कराया जाएगा। इसके साथ ही कैंसर अस्पताल के डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लगातार नजर रखे हुए हैं। गांव में पंच व सरपंच के साथ ही पूर्व सरपंच व अन्य लोग मिलकर नशा मुक्ति अभियान चलाकर लोगों को नशा छोड़ने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
इनकी हो चुकी है मौत
खेमाजी सिर्वी, दामोदर राठौड़, गणेश राठौड़, बाबू खान व रफीक खान की एक साल के भीतर मौत हो चुकी है। पूर्व सरपंच दुर्गा बाई कुशवाह भी कैंसर की चपेट में थीं। सप्ताह भर पूर्व उनका भी निधन हो गया।
फ्लोराइड युक्त पानी पीने को भी मजबूर
डेहरी के ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। अलग-अलग चार जगह स्थित ट्यूबवेलों से गांव में पानी सप्लाय किया जाता है। पीएचई विभाग के हैंडपंप मैकनिक आरके कौशल शनिवार को ही पानी का सैंपल लेकर गए। पुरानी रिपोर्ट में यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा तीन प्रतिशत है, जबकि पीने योग्य पानी एक प्रतिशत होता है।
सैंपल ले जाते हैं, रिपोर्ट नहीं बताते
पीएचई विभाग पानी की जांच कर हर महीने सैंपल ले जाता है, लेकिन रिपोर्ट के बारे में नहीं बताया जाता। विभाग हमें कहेगा कि पानी पीने योग्य नहीं है तो हम गांव में उसे नहीं बांटेंगे। फिल्टर युक्त पाइप लाइन डल चुकी है, लेकिन सप्लाय शुरू नहीं करने से नर्मदा का पानी गांव नहीं पहुंच रहा है। इस बारे में भी कई बार अधिकारियों को बोल चुके हैं।
-शकुंतला जामोद, सरपंच, डेहरी
विस्तृत रिपोर्ट नहीं आई
पानी की जांच की थी। विस्तृत रिपोर्ट अभी नहीं आई। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। नर्मदा में पानी की कमी है, इसलिए गांव तक पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
-बीएस उईके, एसडीओ, पीएचई, कुक्षी
जानकारी नहीं, पता करवाएंगे
प्रभारी सीएमओ डॉ. जयपाल ठाकुर ने बताया कि ग्राम डेहरी में इस प्रकार की स्थिति के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। कैंसर रोगियों की सूची हमारे पास है, लेकि न इसमें डेहरी के लोगों की जानकारी है या नहीं, देखना होगा। स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारियों और डॉक्टरों से पता करवाया जाएगा।
गांव चिन्हित कर लगाएंगे शिविर
गांव में एक साथ इतने सारे मरीज कैंसर के क्यों निकल रहे हैं, यह हमारे लिए शोध का विषय है। जिन गांवों के नाम सामने आ रहे हैं उन्हें चिन्हित कर शिविर लगाए जाएंगे, ताकि जल्द से जल्द इलाज शुरू हो सके।
डॉ. लक्ष्मी बघेल, रीजनल डायरेक्टर, इंदौर संभाग
महिलाओं की स्क्रीनिंग करने की आवश्यकता
अगर कम आबादी वाले गांवों में कैंसर के मरीज मिल रहे हैं तो यह जांच का विषय है। ब्रेस्ट कैंसर के कई कारण हो सकते हैं। वहां की महिलाओं के खानपान, गांव व आसपास के वातावरण, रेडिएशन, आसपास की फैक्टरी व खेतों में रासायनिक खाद का अधिक प्रयोग इन सभी की स्क्रीनिंग किए जाने की आवश्यकता है, ताकि जानकारी हो सके कि यह अधिक महिलाओं में क्यों मिला।
डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा, पूर्व प्रेसीडेंट, फेडरेशन ऑफ गायनिक सोसायटी ऑफ इंडिया
सर्वे कराकर पता लगाना जरूरी
अधिक संख्या में ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होना गंभीर विषय है। एक रिसर्च के अनुसार हर आठ में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका होती है। बाहरी कारणों के साथ ही यह अनुवांशिक भी हो सकता है। इसकी जांच होना जरूरी है। महिलाओं का सर्वे कराकर पता लगाना जरूरी है।
डॉ. जयदीप मल्होत्रा, प्रेसीडेंट, फेडरेशन ऑफ गायनिक सोसायटी ऑफ इंडिया