आत्मनिर्भर भारत की बड़ी उपलब्धि: पूरी तरह स्वदेशी 4जी लॉन्च, गांवों तक पहुंचेगा हाई-स्पीड इंटरनेट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान के परिणाम अब दिखने लगे हैं। बीएसएनएल ने स्वदेशी 4जी तकनीक विकसित की है जिसका शुभारंभ पीएम मोदी ने ओडिशा से किया। इस तकनीक के साथ भारत उन पांच देशों में शामिल हो गया है जिनके पास अपनी 4जी तकनीक है। अब भारत 4जी नेटवर्क तकनीक और उपकरणों का निर्यात करेगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दस साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी और उस अभियान के बड़े-बड़े परिणाम अब दिखने लगे हैं। इस अभियान की मदद से टेलीकाम सेक्टर की सार्वजनिक कंपनी बीएसएनएल ने पूरी तरह से स्वदेशी 4जी तकनीक विकसित कर ली है।
इस तकनीक से स्थापित 4जी नेटवर्क की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को ओडिशा के झारसुगुड़ा से की। अब तक 2जी, 3जी, 4जी सेवा की तकनीक के लिए भारत विदेश पर निर्भर था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की कंपनियों ने भारत को दुनिया के उन पांच देशों की सूची में ला खड़ा किया है जिनके पास 4जी सेवा शुरू करने की पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक है।
कौन-कौन देश हैं शामिल?
इन देशों में चीन, स्वीडन, दक्षिण कोरिया व डेनमार्क शामिल है। कभी टेलीकाम सेक्टर के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर करने वाला भारत अब दुनिया के अन्य देशों को 4जी नेटवर्क तकनीक व इनसे जुड़े उपकरणों का निर्यात करेगा। स्वदेशी 4जी नेटवर्क में इस्तेमाल होने वाले साफ्टवेयर से लेकर हार्डवेयर तक पूरी तरह से देश में निर्मित हैं। रेडियो एक्सेस नेटवर्क (रैन) को सरकारी उपक्रम सी-डाट से जुड़े तेजस नेटवर्क ने विकसित किया है।
बाकी के काम टीसीएस व बीएसएनएल ने किए हैं। प्रधानमंत्री ने शनिवार को 98,000 4जी टावर का भी शुभारंभ किया। 4जी नेटवर्क के इस विस्तार से देश के दो करोड़ से अधिक लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा से वंचित 30 हजार से अधिक गांवों में अब 4जी सुविधा मिलेगी।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
मोदी ने कहा कि भारत पहले ही सबसे तेज 5जी सेवा शुरू कर चुका है। शनिवार को शुरू होने वाले बीएसएनएल के 4जी टावर्स बहुत आसानी से 5जी सेवा के लिए भी तैयार हो जाएंगे। मतलब 5जी सेवा के लिए भी भारत को विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी 4जी सेवा का सबसे अधिक फायदा देश के आदिवासी क्षेत्रों को होगा। आदिवासी भाई-बहनों को होगा। दूर-दराज के गांवों को होगा। दूर-सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों को होगा। अब वहां के लोगों को भी बेहतरीन डिजिटल सेवाएं मिल जाएगी।
गांव के लोगों को मिलेगा फायदा
अब गांव देहात के बच्चों को ऑनलाइन क्लास लेने में, दूर-सुदूर के किसानों को अपनी फसल की कीमत का पता लगाने में, किसी मरीज को टेलीमेडिसीन लेने में, आयुष्मान आरोग्य मंदिर से भी देश के बड़े से बड़े डॉक्टर से सलाह लेने में बहुत सुविधा हो जाएगी। इसका बहुत बड़ा फायदा सीमा पर, हिमालय की चोटियों पर व रेगिस्तान में तैनात फौजी भाई-बहनों को भी होगा। वे अब सुरक्षित कनेक्टिविटी से आपस में बात कर पाएंगे।
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