SC ने अवैध हथियार रखने पर लिया संज्ञान, यूपी सरकार से पूछा, गैर लाइसेंसी हथियार रखने के कितने मामले दर्ज
उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा गैर लाइसेंसी हथियार रखने और इस्तेमाल के कितने मामले दर्ज किए- साथ ही पूछा राज्य सरकार ने बिना लाइसेंस वाले हथियारों से निपटने के लिए क्या कदम उठाए। अदालत ने राजेंद्र सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये संज्ञान लिया।

नई दिल्ली, एएनआइ। उत्तर प्रदेश में बिना लाइसेंस हथियार रखने और उनका इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के मामले में शीर्ष कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रवृत्ति परेशान करने वाली है। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की कि भारतीय संविधान के तहत हथियार रखने का कोई अधिकार नहीं है। हां, अमेरिकी संविधान में हथियार रखने का अधिकार एक मौलिक अधिकार जरूर है।
सरकार ने अवैध हथियारों से निपटने के लिए क्या कदम उठाए
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को गैर लाइसेंसी हथियार रखने और इनके इस्तेमाल पर दर्ज मामलों की संख्या का उल्लेख करते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। शीर्ष कोर्ट ने यह भी पूछा है कि उसने बिना लाइसेंस वाले हथियारों से निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं।
अदालत ने उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति राजेंद्र सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये संज्ञान लिया। हत्या के आरोपित राजेंद्र ने अधिवक्ता रोहित कुमार सिंह के माध्यम से इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जून, 2022 के आदेश को चुनौती दी है। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेखड़ा में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
आरोप है कि जुलाई 2017 में याचिकाकर्ता और अन्य सह-अभियुक्तों ने गोली मारकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी और दो अन्य लोगों को हथियारों से घायल कर दिया था। इस वारदात में इस्तेमाल अवैध हथियार को याचिकाकर्ता राजेंद्र सिंह से बरामद किया गया।
सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि वह केरल से संबंध रखते हैं और वहां ऐसे मामले दुर्लभ ही देखने को मिलते हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि बिना लाइसेंस हथियार रखना सामंती मानसिकता है। इस मामले में अब चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी।
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