'Save Afghanistan' की कई देशों में उठी आवाज, तालिबान के काबुल पर कब्जे से चिंतित हैं विदेशों में रहने वाले अफगानी
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही पूरी दुनिया में चिंता की लहर है। इस स्थिति को लेकर विदेशों में रहने वाले अफगानी भी काफी चिंतित हैं। ये लोग विश्व बिरादरी से मांग कर रहे हैं कि अफगानिस्तान को तालिबान से बचाया जाए।
वाशिंगटन (एजेंसियां)। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से पूरी दुनिया परेशान है। तालिबान के यहां पर कब्जे के बाद सबसे बुरी स्थिति में अफगानिस्तान में रहने वाले लोग तो हैं लेकिन इनके दर्द से जो सबसे अधिक करीब हैं वो भी हालातों से परेशान हैं। ये वो लोग हैं जो विदेशों में रह रहे हैं। इनको न सिर्फ अपने देश की चिंता है बल्कि अपने परिजनों, जानकारों और सगे संबंधियों की भी चिंता सता रही है।
तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से हजारों की संख्या में लोग काबुल एयरपोर्ट के बाहर इस उम्मीद में जमा हैं कि उन्हें कोई विमान सुरक्षित बाहर निकाल लेगा। इन लोगों के अंदर तालिबान के प्रति डर का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आतंकी हमलों का अलर्ट होने के बाद भी ये लोग यहां से जाना नहीं चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ विदेशों में रहने वाले अफगानी इस स्थिति को लेकर काफी चिंतित हैं। विभिन्न देशों में बसे अफगानियों की मांग है कि अफगानिस्तान को तालिबान से बचाया जाए। अब हर जगह पर SAVE AFGHANISTAN को लेकर मांग उठ रही है। इसको लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
कनाडा के ओनटोरियो में सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर विश्व बिरादरी से ये मांग की कि तालिबान के हाथों से अफगानिस्तान को बचाया जाए। इन लोगों के हाथों में अफगानिस्तान के झंडे के अलावा बड़े-बड़े बैनर और पोस्टर भी थे। इनमें बड़ी संख्या वहां पर बसे अफगानियों की थी, जो अपने परिजनों और सगे संबंधियों को लेकर चिंता में थे। इनमें अधिकतर युवा थे1 इसके अलावा कनाडा में रहने वाले दूसरे विदेशी नागरिकों ने भी इसमें हिस्सा लिया था।
इसी तरह से अमेरिका में न्यूयार्क की सड़कों पर हजारों की संख्या में लोगों ने उतरकर दुनिया से अफगानिस्तान को बचाने की अपील की। अफगानिस्तान के बड़े-बड़े झंडे, बैनर, और प्लेकार्ड जिनके ऊपर पश्तो से लिखा हुआ था, लेकर अपनी बात रखी। हाथों में बैनल लिए ये लोग मांग कर रहे थे कि अफगानिस्तान से लगती सीमाओं को खोला जाए, जिससे अफगानी शरणार्थी इन देशों में जा सकें। इनकी ये भी मांग थी कि अफगान और अफगानिस्तान को बचाने के लिए दुनिया के देश सामने आएं और पूरी कवायद करें। कनाडा की तरह ही न्यूयार्क की सड़कों पर उतरने वालनों में अफगान नागरिकों की संख्या अधिक थी। इनमें से कुछ यहां पर पढ़ाई करने वाले थे तो कुछ वर्षों पहले अपने देश को छोड़कर आए अफगानी नागरिक थे।
कनाडा और अमेरिका की ही तरह ग्रीस के एथेंस में भी लोग सड़कों पर उतरे और अफगानिस्तान को बचाने की गुहार लगाई। यहां पर सड़कों पर उतरने वाले लोगों में जहां अफगान समुदाय के लोग शामिल थे वहीं काफी संख्या में छोटे बच्चे भी शामिल रहे। इन बच्चों के हाथों में प्लेकार्ड, तस्वीरें थी जो तालिबान की क्रूरता को बयां कर रही थीं। इन्होंने अपने हाथों में जो प्लेकार्ड और बैनर ले रखे थे उनपर लिखा था कि वहां पर हत्याएं बंद होनी चाहिए। इनके हाथों में अफगानिस्तान के झंडे भी थे और साथ ही ये माइक पर अपनी मांग भी दुनिया के सामने रख रहे थे। ग्रीस पार्लियामेंट के बाहर अफगानी खिलाडि़यों की टीम ने भी विरोध प्रदर्शन किया।
नीदरलैंड के एम्सटर्डम में भी सैकड़ों की संख्या में लोगों ने अफगानिस्तान के विशाल झंडे के साथ प्रदर्शन किया और अफगानिस्तान को तालिबान के चंगुल से छुड़ाने की मांग की। ये लोग मांग कर रहे थे कि अफगानिस्तान को सामान्य स्थिति की तरफ अग्रसर करने में मदद की जानी चाहिए। इसके अलावा इन लोगों की मांग थी कि अफगानिस्तान के खिलाफ चलाए जा रहे छद्म युद्ध को भी खत्म किया जाना चाहिए।
तुर्की में भी इसी तरह की मांग लोगों ने की। इन लोगों के हाथों में भी अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने को लेकर बैनर और प्लेकार्ड थे। आपको बता दें कि तुर्की ने काबुल एयरपोर्ट के संचालन के लिए तालिबान को तकनीकी मदद देने पर काफी हद तक सहमति दे दी है। इसकी अपील तुर्की से तालिबान ने ही की थी। हालांकि तालिबान ने ये भी साफ कर दिया है कि उसे तुर्की की सेना की कोई जरूरत नहीं है।
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