राजपथ से कर्तव्य पथ तक: गुलामी का एक और निशान मिटाने की कोशिश, क्या हैं इस बदलाव के मायने
Rajpath to Kartavya Path राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किए जाने को गुलामी का एक और निशान मिटाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार की इस कोशिश के क्या मायने हैं जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। आजादी के अमृत महोत्सव काल में 'सेंट्रल विस्टा' की बदली तस्वीर तो राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया। इसे गुलामी का एक और निशान मिटाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से 'पंच प्रण' लिए थे, जिसमें गुलामी की मानसिकता का पूरी तरह से त्याग दूसरा प्रण है। पिछले आठ वर्षों के दौरान इस सरकार की जहां-जहां नजर गई वहां-वहां से गुलामी के निशान मिटा दिए गए।
सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगी
इंडिया गेट से किंग जार्ज पंचम प्रतिमा वाली जगह पर अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगा दी गई है, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को करेंगे। नौसेना के झंडे में सर जार्ज क्रास का निशान होता था, लेकिन उसकी जगह अब वहां हिंदू सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज जी का मोहर छाप लगा दिया गया है।
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कर्तव्य पथ का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी
सात, रेसकोर्स रोड का नाम बदल कर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया। इसी रोड पर प्रधानमंत्री का आवास स्थित है। आठ सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सेंट्रल विस्टा के बदले स्वरूप वाले कर्तव्य पथ का उद्घाटन करेंगे।
सड़कों के बदले नाम
वर्ष 2015 में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया। वर्ष 2017 में डलहौजी रोड का नाम दारा शिकोह रोड कर दिया गया। जबकि वर्ष 2018 में तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति हाईफा चौक रख दिया गया है।
आठ सितंबर से कर्तव्य पथ
दरअसल किंग जार्ज पंचम के सम्मान में इस पथ को 'किंग्सवे' कहा जाने लगा था। जिसे बाद में हिंदी अनुवाद करके राजपथ कर दिया गया। नरेन्द्र मोदी ने गुलामी के इस निशान को पूरी तरह बदलते हुए नाम और स्वरूप दोनों को बदल दिया। सेंट्रल विस्टा की तस्वीर बदलने में कोई 20 महीने का समय लगा, जिसे आठ सितंबर से कर्तव्य पथ से जाना जाएगा।
1500 कानूनों को किया रद
ब्रिटिश काल के गुलामी काल में पारित 1500 कानूनों को मोदी सरकार ने रद्द कर दिया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालते ही ऐसे कानूनों को एक-एक रद्द कर दिया गया।
बजट की तारीख भी बदली
इतना ही नहीं संसद में अलग से पेश किए जाने वाले रेलवे बजट के प्रावधान को समाप्त कर उसे वार्षिक आम बजट में समाहित कर दिया गया। 92 वर्ष पुरानी इस परंपरा को वर्ष 2017 में समाप्त कर दिया गया। गुलामी का एक और निशान आम बजट पेश करने की तिथि फरवरी के आखिरी दिन होती थी, जिसे बदलकर एक फरवरी कर दिया गया।
द्वीपों के बदले नाम
गणतंत्र दिवस के बाद बीटिंग स्ट्रीट समारोह में 'एबाइड विद मी' की धुन को भी बदल कर कवि प्रदीप की पंक्तियां 'ऐ मेरे वतन के लोगों' बजाने की शुरुआत वर्ष 2022 से की गई। जबकि इसके पहले वर्ष 2015 में बीटिंग रिट्रीट समारोह में सितार, संतूर और तबला जैसे भारतीय वाद्य यंत्र जोड़ दिया गया।
अमर जवान ज्योति को नेशनल वार मेमोरियल से जोड़ दिया गया है। सरकार ने वर्ष 2018 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की किताब के तथ्यों के आधार अंडमान और निकोबार द्वीप का नाम शहीद और स्वराज रख दिया है।
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