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दिल्ली से काठमांडू तक रेल पहुंच होगी आसान, 24 हजार करोड़ की लागत से बनेगा 141 किलोमीटर का ट्रैक

स्थल सर्वे कोंकण रेलवे ने किया है जिसके बाद विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) नेपाल को सौंप दी गई है। नेपाल सरकार की राय आने के बाद निर्माता कंपनी अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके बाद काम शुरू हो सकेगा। हालांकि रेललाइन के निर्माण एवं वित्तीय मदद के तरीके पर द्विपक्षीय बातचीत और सहमति के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Sun, 17 Sep 2023 08:20 PM (IST)Updated: Sun, 17 Sep 2023 08:20 PM (IST)
स्थल सर्वे कोंकण रेलवे ने किया है, जिसके बाद विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) नेपाल को सौंप दी गई है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत के तीन पड़ोसी देशों के साथ रेल नेटवर्क बढ़ाने का काम चल रहा है। नेपाल सूची में सबसे ऊपर है, जहां दो महीने पहले ही जनकपुर से कुर्था तक रेललाइन का विस्तार किया जा चुका है। अब नेपाल की राजधानी काठमांडू को भी भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ना है। बिहार के रक्सौल से काठमांडू तक 141 किलोमीटर रेल लाइन बिछानी है। इस पर 24 हजार करोड़ की लागत आएगी।

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कोंकण रेलवे ने किया सर्वे का काम

स्थल सर्वे कोंकण रेलवे ने किया है, जिसके बाद विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) नेपाल को सौंप दी गई है। नेपाल सरकार की राय आने के बाद निर्माता कंपनी अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके बाद काम शुरू हो सकेगा। हालांकि, रेललाइन के निर्माण एवं वित्तीय मदद के तरीके पर द्विपक्षीय बातचीत और सहमति के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा। पहाड़ों और घाटियों से नेपाल के घिरे होने और मार्ग में कई सुरंगों एवं पुलों के निर्माण प्रस्तावित होने के चलते लागत में वृद्धि हो सकती है।

रक्सौल से काठमांडू तक इस रेलमार्ग में 41 पुल और 40 से अधिक मोड़ होंगे। पूरे मार्ग में चोभर, जेतपुर, निजगढ़, सिखरपुर, सिसनेरी एवं सतिखेल से होते हुए ट्रेनें गुजरेंगी। यह पूरी तरह बिजली आधारित ब्राडगेज प्रोजेक्ट है, जो यात्रा के लिहाज से सस्ता पड़ेगा। इससे दोनों देशों की परिवहन प्रणाली भी बदल सकती है, क्योंकि आज भी भारत-नेपाल का व्यापारिक संबंध अन्य किसी पड़ोसी देश की तुलना में ज्यादा मजबूत है।

प्रोजेक्ट पर 2018 में बनी थी सहमति

दोनों देशों के हजारों लोग प्रतिदिन इधर से उधर आते-जाते हैं। इस रेल लाइन के बन जाने से नेपाल का संपर्क भारत एवं बांग्लादेश के समुद्री मार्गों से भी हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर सहमति 2018 में ही बन गई थी, जब नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दिल्ली का दौरा किया था। रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह रणनीतिक कदम है, जो चीनी रेलवे को नेपाल तक विस्तारित करने की योजना को मात देगी। चीन की भी तैयारी केरुंग से काठमांडू तक रेलवे लाइन बिछाने की है। किंतु नेपाल के साथ भारत अपने सांस्कृतिक एवं सामाजिक जुड़ाव को विस्तार देने के प्रयास में है।

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पहले से चल रही चार परियोजनाएं

नेपाल एवं बांग्लादेश के साथ अभी 125 किमी लंबाई और 2,722 करोड़ की लागत वाली पांच नई परियोजनाओं पर काम विभिन्न चरणों में है। इन पर दो हजार 722 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इन परियोजनाओं में बालुरघाट-हिली, जोगबनी-विराटनगर (नेपाल), अगरतला- अखौरा (बांग्लादेश) एवं महिसासन (भारत) - जीरो प्वाइंट (बांग्लादेश) शामिल है। सभी चारों लाइनें नई हैं। इसके अतिरिक्त जयनगर- बिजलपुरा लाइन पर भी काम किया जा रहा है, जिसमें बिजलपुरा से नेपाल के बर्डीबास तक विस्तार किया जाना है।

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