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    '20 लाख से कम के होम लोन पर नहीं जब्त होगी संपत्ति', कलकत्ता हाई कोर्ट का अहम फैसला 

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 09:44 PM (IST)

    कलकत्ता हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि 20 लाख रुपये से कम के गृह ऋण पर संपत्ति सीधे जब्त नहीं की जा सकती, क्योंकि इस पर सरफेसी एक्ट लागू नहीं होता। य ...और पढ़ें

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    कलकत्ता हाई कोर्ट का बड़ा फैसला। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने ऋण अदायगी और वित्तीय संस्थाओं की मनमानी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी व्यक्ति ने 20 लाख रुपये से कम का गृह ऋण (होम लोन) लिया है तो ऋणदाता वित्तीय संस्था बकाया वसूली के लिए उसकी जमीन या मकान को सीधे तौर पर जब्त नहीं कर सकती।

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    न्यायमूर्ति ने अपने निर्देश में कहा कि इस राशि के ऋण पर 'सरफेसी एक्ट' लागू नहीं होता और संपत्ति की नीलामी या जबरन वसूली की प्रक्रिया पूरी तरह अवैध है। यह मामला गुलाम साबिर नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिन्होंने सितंबर 2023 में एक 'हाउसिंग फाइनेंस कंपनी' (एचएफसी) से 13 लाख रुपये का ऋण लिया था।

    किन वजहों से नहीं हो सकता भुगतान?

    शुरुआती किस्तों के भुगतान के बाद वित्तीय कठिनाइयों के कारण वे भुगतान नहीं कर सके। इसपर संबंधित कंपनी ने सरफेसी अधिनियम, 2002 का सहारा लेते हुए उनकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस कानून के तहत बैंक या वित्तीय संस्थान बिना अदालती हस्तक्षेप के चूककर्ता की संपत्ति बेचकर पैसा वसूल सकते हैं।

    वकीलों ने क्या तर्क दिया?

    मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2020 और 2021 में जारी अधिसूचनाओं के अनुसार, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) 20 लाख से कम के ऋण पर ऐसी कठोर कार्रवाई नहीं कर सकतीं।

    वहीं, वित्तीय संस्था का तर्क था कि वे एक एचएफसी हैं, एनबीएफसी नहीं इसलिए उन पर यह नियम लागू नहीं होता। हालांकि, हाई कोर्ट ने कंपनी के दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि 2019 में आरबीआई के निर्देशानुसार सभी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (एचएफसी) अब एनबीएफसी की श्रेणी में आती हैं अत: 20 लाख से कम के ऋण के लिए सरफेसी एक्ट का उपयोग कानूनन गलत है।

    अदालत ने क्या निर्देश दिया?

    अदालत ने निर्देश दिया कि यदि वित्तीय संस्थान को बकाया राशि वसूलनी है तो उसे उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत अदालत में मामला दर्ज करना होगा न कि सीधे संपत्ति जब्त करनी होगी।

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