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    नहीं चली केमेस्ट्री वाली दलील... पति की हत्या मामले में प्रोफेसर की उम्रकैद की सजा बरकरार; तुरंत सरेंडर का आदेश

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 09:01 PM (IST)

    जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रोफेसर ममता पाठक की उम्रकैद बरकरार रखी जिन पर पति डॉ. नीरज पाठक की करंट से हत्या का आरोप है। ममता ने अपने बचाव में वैज्ञानिक विश्लेषण पेश किया लेकिन कोर्ट ने इसे नहीं माना। डॉ. नीरज 2021 में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए थे और पुलिस जांच में ममता को दोषी पाया गया।

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    आरोपी ने हाई कोर्ट में पोस्टमार्टम प्रक्रिया का रासायनिक विश्लेषण बताया था (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जेएनएन, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अपने बचाव में वैज्ञानिक विश्लेषण के जरिए ध्यान खींचने वाली केमिस्ट्री की प्रोफेसर ममता पाठक की दलीलें काम नहीं आईं। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने उनकी उम्रकैद बरकरार रखी। उन्हें उनके पति डॉ. नीरज पाठक की करंट देकर हत्या करने का दोषी पाया गया है।

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    वर्ष 2021 में ग्वालियर में सेवानिवृत्त डॉ. नीरज की रहस्यमय परिस्थिति में मौत हो गई थी। पत्नी ममता ने बताया था कि वह बेटे के साथ झांसी गई थीं और लौटने पर पति मृत मिले। पुलिस जांच में सामने आया कि ममता ने पति को पहले नींद की गोलियां दीं और फिर करंट लगाकर मार डाला।

    हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला

    ड्राइवर के बयान, नीरज की एक ऑडियो क्लिप, जिसमें वह कह रहे हैं कि पत्नी प्रताड़ित करती हैं, और ममता की एक पुरानी शिकायत ने इस केस को मजबूत बना दिया। 2022 में सेशन कोर्ट ने ममता को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसे उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 29 अप्रैल को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    कोर्ट ने मंगलवार को फैसले में ममता की उम्रकैद की सजा बरकरार रखते शेष कारावास भुगतने के लिए तत्काल ट्रायल कोर्ट में सरेंडर का निर्देश दिया। गौरतलब है कि ममता ने हाई कोर्ट में पोस्टमार्टम प्रक्रिया का रासायनिक विश्लेषण कर चौंका दिया था। कोर्ट ने सवाल किया था कि आप पर पति की इलेक्ट्रिक करंट से हत्या का आरोप है, इस पर क्या कहना है।

    यह सुनते ही ममता ने केमिस्ट्री के ज्ञान के बल पर कहना शुरू कर दिया कि पोस्टमार्टम रूम में थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न में अंतर कर पाना संभव नहीं है। जब करंट शरीर से गुजरता है तो मेडिकल मेटल के कण टिशू में जम जाते हैं। लैब में उसे हाइड्रोजन क्लोराइड या नाइट्रिक एसिड में घोलकर परीक्षण किया जाता है। वहां असली पहचान होती है कि बर्न किस कारण से हुआ। इस मामले में ऐसा नहीं किया गया।

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