उत्तराखंड में लगा राष्ट्रपति शासन, फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगी कांग्रेस
आखिरकार केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गय ...और पढ़ें

नई दिल्ली। आखिरकार केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार को बर्खास्त करके राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। फिलहाल विधानसभा निलंबित रखी गई है। मुख्यमंत्री हरीश रावत को 28 मार्च [सोमवार] को सदन में बहुमत साबित करना था। लेकिन शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले ही राष्ट्रपति ने राज्यपाल के रिपोर्ट के आधार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुमित दे दी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनकी पार्टी फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील करेगी।
कांग्रेस ने इसे भाजपा की साजिश बताते हुए लोकतंत्र की हत्या बताया। वहीं, भाजपा ने पलटवार किया कि वह अपना घर संभाले, हम पर आरोप न लगाए।
पढ़ेंः सिलसिलेवार ढंग से जानें कैसे उत्तराखंड में आ गई राष्ट्रपति शासन की नौबत
अरुणाचल के बाद उत्तराखंड
अरणाचल में सरकार गंवाने के बाद उत्तराखंड में सरकार खोने से कांग्रेस मोदी सरकार पर भ़़डक उठी है। वरिष्ठ नेताओं ने इसे लोकतंत्र की हत्या व काला दिन बताते हुए अदालत में चुनौती देने की घोषषणा की है।
पहली बार राष्ट्रपति शासन
उत्तर प्रदेश से अलग कर बनाए गए उत्तराखंड में 16 साल में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा है। शनिवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम दौरे में कटौती कर दिल्ली लौटे थे। उनकी अध्यक्षता में आपात कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल द्वारा भेजी गई कई रिपोर्टो पर विचार किया गया। इसके बाद राज्य में संवैधानिक तंत्र ठप होने का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरण जेटली ने राष्ट्रपति को इस फैसले की वजह बताई, जिससे मुखर्जी सहमत हो गए।
राष्ट्रपति ने रविवार सुबह अधिसूचना पर दस्तखत कर दिए। जेटली ने कहा कि रावत सरकार 18 मार्च को ही बहुमत खो चुकी थी और उसका बने रहना असंवैधानिक व अनैतिक था। कांग्रेस के आरोप कि भाजपा उसकी सरकारों को अस्थिर कर रही है, जेटली ने कहा कि यह संकट भाजपा ने नहीं बल्कि कांग्रेस ने खुद पैदा किया है। यह पूछने पर कि इससे संसद में कांग्रेस का जीएसटी व अन्य विधेयक को लेकर रख क़़डा नहीं होगा, जेटली ने कहा--कांग्रेस पहले अपना घर दुरस्त करे, फिर देश से बदला ले।
बजट के बाद से मचा बवाल
राज्य विस में 18 मार्च को स्पीकर गोविंदसिंह कुंजवाल ने सदन में मौजूद 67 विधायकों में से कांग्रेस के नौ बागियों व भाजपा के 26 विधायकों समेत 35 के लिखित विरोध के बाद भी बजट व विनियोग विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस के नौ बागी भाजपा के साथ हो गए थे। स्पीकर ने शनिवार को इन बागियों की सदस्यता रद्द कर दी थी। इससे शक्ति परीक्षण में रावत सरकार के जीत के आसार बन गए थे।
इन वजहों से किया बर्खास्त
-स्पीकर ने लिखित में माना कि सदन में मत विभाजन की मांग हुई थी, लेकिन उन्होंने विधेयक को पारित मान लिया।
-68 साल के लोकतांत्रिक भारत में ऐसा पहली बार हुआ, जिसमें खारिज विधेयक को पारित मान लिया गया।
-रावत सरकार को बहुमत साबित करने का स्पीकर ने ज्यादा वक्त दिया, जबकि राज्यपाल ने दो--तीन दिन में बहुमत साबित करने को कहा था।
-मुख्यमंत्री लंबा वक्त पाकर लालच व खरीद--फरोख्त कर बहुमत साबित करने की कोशिश कर रहे थे।
-यह पहला मौका है जब कोई मुख्यमंत्री विधायकों की खरीद--फरोख्त करता स्टिंग के कैमरे में कैद हुआ।
(जैसा कि वित्त मंत्री जेटली ने बताया)
पढ़ेः उत्तराखंड में केंद्र ने की लोकतंत्र की हत्या : रावत
बागियों ने किया स्वागत
कांग्रेस के नौ बागी विधायकों के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में एक्साइज व अन्य विभागों में भारी भ्रष्टाचार था। उम्मीद है रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच होगाी और राष्ट्रपति शासन लंबा नहीं चलेगा, जल्द चुनाव होंगे।
निर्वाचित सरकारों को गिरा रही मोदी सरकार
रावत सरकार बर्खास्त करने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी प्रवक्ता अभिषषेक मनु सिंघवी ने कहा--'यह लोकतंत्र की हत्या है। मोदी सरकार निर्वाचित राज्य सरकारों को गिरा रही है।'
..अब बयानों के तीर
जनता के सपनों का खून
उत्तराखंड के साथ विश्वासघात हुआ। मोदी के हाथ जनता के सपनों के खून से रंगे हैं। राज्य की लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को गिराने के लिए केंद्र ने साजिश रची। 1 फरवरी 2014 को मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद से भाजपा सत्ता की प्यासी हो गई थी। कांग्रेस के बागियों को ललचाने के लिए पैसों की डील हुई है। कुछ लोग यह डील 1000 करोड़ की तो कुछ 500 करोड़ की बताते हैं।
-हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री
हार छिपाने के लिए राष्ट्रपति शासन
मोदी सरकार ने सोमवार को उत्तराखंड विधानसभा में हार से बचने के लिए ह़़डब़़डी में राष्ट्रपति शासन लगाया। लोकतंत्र का गला घोंटा गया।
-शकील अहमद, कांग्रेस नेता
पढ़ेंः उत्तराखंड विवाद कांग्रेस का अंदरुनी मामलाः अरुण जेटली
कांग्रेस खुद जिम्मेदार
उत्तराखंड में जो भी स्थिति बनी उसके लिए कांग्रेस खुद जिम्मेदार है। कांग्रेस के लोगों ने बगावत की, भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। सीडी में जो भी आरोप लगाए गए वे जांच में सही पाए गए।
-कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा महासचिव
पूरे देश पर राज चाहते हैं
विश्वास मत के एक दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया? भाजपा लोकतंत्र विरोधी है। भाजपा--संघ राष्ट्रपति शासन के जरिए पूरे देश पर राज करना चाहते हैं।
-अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री दिल्ली
अगले साल होना है चुनाव
उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को चार साल पूरे हो गए हैं। 2017 में विस चुनाव होने थे। पहले विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री थे, फरवरी 2014 में उन्हें हटाकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
पढ़ेंः राष्ट्रपति शासन की अटकलों के बीच उत्तराखंड में बागी MLA अयोग्य करार
9 का अंक और उत्तराखंड की सियासत
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद सियासी गलियारों में उठापटक तेज हो गई है। सभी की जुबान पर इस गंभीर मुद्दे को लेकर बहस मुहाबिस चल रही है। मगर इस घटनाक्रम के पीछे अंकों का रोचक गणित भी सामने आया है। रोचक तथ्य यह है कि रावत सरकार के लिए नौ का अंक शुभ नहीं है। और इससे भी रोचक तथ्य है कि नौ का यह आंकड़ा उत्तराखंड की राजनीति से गहराई से जुड़ा है। चलिए जानते हैं इस नौ के जादूई आंकड़े को।
उत्तराखंड में पहली बार राष्ट्रपति शासन 27 मार्च यानि की आज लगा। 27 का जोड़ नौ है। इसी तरह सरकार अल्पमत में 18 मार्च को आई, मजेदार बात यह है कि इसका योग भी नौ ही है।
सरकार का आखिरी बजट सत्र नौ मार्च को ही हुआ। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने उत्तराखंड में सियासी भूचाल ला दिया। सदन में बीजेपी के 27 विधायक थे यानि टोटल 2+7 = 9। उत्तराखंड में धारा 144 लागू हो गई है और इन अंकों का योग भी नौ ही है। नौ का जादूई आंकड़े की कहानी यहीं तक नहीं है। उत्तराखंड की स्थापना की तारीख नौ है और अगला जो मुख्यमंत्री बनेगी वह भी नौ नंबर का होगा। है ना जादुई आंकड़ा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।