सिलसिलेवार ढंग से जानें कैसे उत्तराखंड में आ गई राष्ट्रपति शासन की नौबत
18 मार्च से ही उत्तराखंड में सियासी धमासान शुरू हो गया था। जानिए तब से अब तक का घटनाक्रम, क्यों लगा राष्ट्रपति शासन। ...और पढ़ें

नई दिल्ली। 18 मार्च से ही उत्तराखंड में सियासी धमासान शुरू हो गया था। राज्य सरकार के विधानसभा में बजट को पेश करने के दौरान क्रॉस वोटिंग हुई थी। प्रस्ताव विफल हो गया, फिर भी विधानसभा अध्यक्ष ने इसे पास कर दिया। ऐसा इतिहास में पहले कभी देखने को नहीं मिला।
इसके बाद से ही बागी विधायक हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। हरक सिंह रावत के नेतृत्व में कांग्रेस के नौ नेताओं ने बगावत का बिगुल फूंक दिया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष की ओर से बागी नेताओं को नोटिस जारी कर दिया गया।
विधायकों ने किए सवाल
19 मार्च को उत्तराखंड कांग्रेस के बागी टीम में शामिल वरिष्ठ विधायक सुबोध उनियाल ने अपने समेत अन्य बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से नोटिस जारी करने पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा द्वारा नोटिस जारी करने से पहले ही उनके खिलाफ वे लोग नोटिस दे चुके हैं। ऐसी स्थिति में विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस का कोई अर्थ नहीं।
राज्यपाल ने 28 मार्च तक बहुमत साबित करने को कहा
राज्यपाल डॉ. कृष्णकांत पॉल ने 19 मार्च को ही मुख्यमंत्री हरीश रावत को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने को कहा है। 20 मार्च से इस घटनाक्रम के बाद राज्य में सत्ता दल कांग्रेस व प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के बीच सरकार बचाने और गिराने के लिए हार्स ट्रेडिंग शुरू हो गई।
इन तारीखों पर भी दें ध्यान
21 तारीख को पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा और उत्तराखंड कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी अनित गुप्ता को कांग्रेस ने छह साल के लिए पार्टी से बहिष्कृत कर दिया है। इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार के वित्तीय प्रबंधकों पर छापे मारे गए।
22 तरीख को उत्तराखंड में कांग्रेस के बागी विधायकों ने कहा कि उन्हें कांग्रेस से नहीं हरीश रावत से परेशानी है। यदि हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाए, तो वे वापस कांग्रेस का समर्थन कर सकते हैं।
23 मार्च को उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार की विदाई होने पर वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के मुख्यमंत्री बनने की अटकलें लगाई जाने लगीं। कोश्यारी के नाम पर भाजपा विधायकों के साथ ही बागी कांग्रेसी भी सहमत थे।
26 मार्च को मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन वाला वीडियो जारी हुआ। कांग्रेस के बागी विधायक हरक सिंह रावत ने वीडियो जारी करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें और उनके साथ विधायकों को डराया जा रहा है। विधायकों के खरीद-फरोख्त की कोशिश की जा रही है।
हरीश रावत ने वीडियो को फर्जी बताया
हरक सिंह रावत ने कहा कि वह देश को हरीश रावत का सच दिखाना चाहते थे, इसलिए किया स्टिंग ऑपरेशन। इसके जवाब में हरीश रावत ने कहा कि वीडियो फर्जी है। उन पत्रकारों के बारे में पता कर लें, जो यह वीडियो बनाने का दावा कर रहे हैं। यदि कुबेर भी धन बरसाएं, तो उतना पैसा नहीं गिरेगा, जितना इन पत्रकारों के पास है।

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