Delhi Pollution: वायु प्रदूषण की स्थिति नहीं सुधरी तो कराई जाएगी कृत्रिम बारिश, IIT कानपुर ने उड्डयन और गृह मंत्रालय से मांगी मंजूरी
दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता अभी भी बेहद खराब स्थिति में है। इस स्थिति से निपटने के लिए तय योजना के मुताबिक कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी तेज कर दी गई है। आइआइटी कानपुर ने इसे लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) दोनों को अलग-अलग प्रस्ताव दिया है। इनमें उड्डयन व गृह मंत्रालय से मंजूरी का प्रस्ताव भी शामिल है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता अभी भी बेहद खराब स्थिति में है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन जैसी स्थिति का सामना कर पड़ रहा है। दीपावली के बाद इसमें कुछ सुधार की उम्मीद थी, लेकिन शुक्रवार को भी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 400 के पार बना हुआ था। इस स्थिति से निपटने के लिए तय योजना के मुताबिक कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी तेज कर दी गई है।
IIT कानपुर ने CPCB और LG को दिया अलग-अलग प्रस्ताव
आइआइटी कानपुर ने इसे लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) दोनों को अलग-अलग प्रस्ताव दिया है। इनमें उड्डयन व गृह मंत्रालय से मंजूरी का प्रस्ताव भी शामिल है। माना जा रहा है कि एक-दो दिनों में वायु गुणवत्ता की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तो इसकी मंजूरी दे दी जाएगी।
कृत्रिम बारिश कराने पर खर्च होंगे करीब 50 लाख रुपये
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, कृत्रिम बारिश कराने पर करीब 50 लाख रुपये खर्च होंगे। इनमें विमान का ईंधन, पायलट की फीस और बादलों के बीच छिड़के जाने वाले रसायन आदि शामिल हैं। कृत्रिम बारिश में इस्तेमाल किया जाने वाला विशेष तरह का माडीफाइड विमान आइआइटी कानपुर के पास मौजूद है, जिसका वह अपने शोध परीक्षण में इस्तेमाल करता है। इससे पहले ऐसा विशेष विमान सिर्फ इसरो के पास था, लेकिन अब आइआइटी कानपुर ने खुद ऐसा एक विमान खरीद लिया है।
IIT कानपुर के विज्ञानी कृत्रिम बारिश को देंगे अंजाम
कृत्रिम बारिश अगर होती है तो इसे आइआइटी कानपुर के विज्ञानी ही अंजाम देंगे। आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों का दल कृत्रिम बारिश की तैयारियों में जुटा हुआ है। वह दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के ऊपर बादलों की मौजूदगी पर लगातार नजर रख रहा है। कृत्रिम बारिश तभी होगी, जब बादल रहेंगे। ऐसे में वह मौसम विभाग से भी लगातार संपर्क में है।
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जल्दी दी जा सकती है कृत्रिम बारिश को हरी झंडी
सूत्रों की मानें तो मौसम विभाग ने 24 नवंबर के आसपास दिल्ली के ऊपर बादलों का जमघट का अनुमान जताया है। ऐसे में एक-दो दिनों में वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं दिखा तो कृत्रिम बारिश को हरी झंडी दी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना पांच वर्ष पहले 2018 में भी बनी थी। उस समय इसे लेकर सारी तैयारी कर ली गई थी, लेकिन बाद में बादल ही गच्चा दे गए थे।
ऐसे होती है कृत्रिम बारिश
आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों के मुताबिक, कृत्रिम बारिश के लिए आसमान में पहले से मौजूद बादलों में सिल्वर आयोडाइड, नमक और सूखे बर्फ को छिड़का जाता है। इस दौरान रासायनिक क्रिया होने से आसमान में मौजूद बादल बरस पड़ते हैं। चीन सहित कई देशों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
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