Move to Jagran APP

इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बड़े बदलाव को मंजूरी, फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ सभी इंजीनियरिंग कोर्स के लिए जरूरी नहीं

इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव को मंजूरी दी गई है। इसमें अब 12वीं में बगैर फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ यानी भौतिक विज्ञान रसायन विज्ञान और गणित की पढ़ाई किए बगैर भी छात्र इंजीनियरिंग के कुछ चुनिंदा पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकेंगे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 12 Mar 2021 11:48 PM (IST)Updated: Sat, 13 Mar 2021 01:13 AM (IST)
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव को मंजूरी दी गई है।

नई दिल्ली, जेएनएन। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव को मंजूरी दी गई है। इसमें अब 12वीं में बगैर फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ यानी भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित की पढ़ाई किए भी छात्र इंजीनियरिंग के कुछ चुनिंदा पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकेंगे। इन पाठ्यक्रमों में बायोटेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल और एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग जैसे कोर्स शामिल हैं।

loksabha election banner

कुछ खास कोर्सों के लिए PCM जरूरी नहीं

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे ने इन बदलावों को लेकर उठे विवादों के बीच यह साफ किया कि फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित जैसे विषय इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए अहम है, लेकिन इंजीनियरिंग के कुछ खास कोर्सों के लिए यह जरूरी नहीं है, इनमें बायोटेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल और एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग जैसे कोर्स शामिल हैं।

बदलाव अनिवार्य नहीं

एआइसीटीई के शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए जारी हैंडबुक को जारी करते हुए प्रोफेसर सहस्त्रबुद्धे शुक्रवार को पत्रकारों से वर्चुअल चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि फिलहाल इस बदलाव को अनिवार्य नहीं किया गया है। इसे सिर्फ एक विकल्प के रूप में रखा गया है, जिसे कोई भी राज्य या इंजीनियरिंग संस्थान अपनाने के लिए बाध्य नहीं है। वे पहले की तरह फिजिक्स, केमेस्ट्री और गणित (पीसीएम) के अपने पैटर्न पर इंजीनियरिंग में प्रवेश की प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं।

मातृभाषा में पढ़ाई को तरजीह 

एक सवाल के जबाव में उन्होंने बताया कि नीति में फिलहाल मातृभाषा में पढ़ाई को प्रमुखता दी गई है। वैसे भी एक सर्वे के मुताबिक करीब 42 फीसद बच्चे अपनी मातृभाषा में ही इंजीनियरिंग करना चाहते हैं। यह स्थिति तब है, जब इन छात्रों ने 12वीं तक की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से किया था। बावजूद इसके अब वह तमिल, बांग्ला और मराठी भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई सिर्फ अंग्रेजी में जरूरी नहीं 

प्रोफेसर सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि यदि कोई अपनी मातृभाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता है, वह उसका चुनाव कर सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसी सोच है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई सिर्फ अंग्रेजी में ही हो सकती है, जबकि ऐसा नहीं है, मातृभाषा में भी बेहतर कंटेट के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई हो सकती है। हम उस दिशा में काम भी कर रहे है। उन्‍होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में वह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक और भी बदलावों को लेकर आगे बढ़ेंगे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.