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    Simla Agreement: समझौता खत्म करना पाकिस्तान के लिए आत्मघाती, भारत की राह हो जाएगी आसान

    Updated: Thu, 24 Apr 2025 10:40 PM (IST)

    Shimla Agreement पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1972 के शिमला समझौते को रद करने की धमकी दी है। यह समझौता दोनों देशों के बीच एक शांति संधि है। समझौता रद होने के बाद पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा सकता है। इससे क्षेत्रीय स्थिति कमजोर हो सकती है। आइए पढ़ें कि समझौता टूटने के बाद क्या-क्या हो सकता है।

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    भारत-पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को शिमला समझौता हुआ था।(फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने भारत के सब्र का बांध आखिरकार तोड़ ही दिया। भारत सरकार के कड़े कदमों से बौखलाए पाकिस्तान ने गुरुवार को 1972 के शिमला समझौते को रद करने की धमकी दी है।

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    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की इमरजेंसी बैठक बुलाई, जिसमें शिमला समझौते से हटने पर विचार किया जा रहा है।

    1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच यह एक शांति संधि थी। इस समझौते (Simla Agreement) के तहत ही युद्ध विराम क्षेत्र को नियंत्रण रेखा या लाइन ऑफ कंट्रोल माना गया था। लेकिन पाकिस्तान के बौखलाहट भरे कदम ने पाक अधिकृत कश्मीर तक पहुंचने की भारत की राह को आसान कर दिया है।

    आइए पहले जान लें कि शिमला समझौता क्या था?

    1971 की युद्ध में पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया था। पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे। युद्ध के करीब 16 महीने बाद हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो की मुलाकात हुई थी।

    2 जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच हुई बैठक में एक समझौता पर दस्तखत किया गया था। समझौते का मूल उद्देश्य दोनों देशों के रिश्तों को सुधारना था।

    समझौते से जुड़ी जानकारी : https://www.mea.gov.in/Portal/LegalTreatiesDoc/PA72B1578.pdf

    पाकिस्तान तोड़ता रहा शिमला समझौता

    गौरतलब है कि पाकिस्तान ने शिमला समझौते को एक मजाक बनाकर रख दिया। पाकिस्तान ने हमेशा कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया।

    पाकिस्तान ने हमेशा कश्मीर को लेकर बयानबाजी की। इसके बाद उसने हमेशा सीजफायर का उल्लंघन किया।  समझौते में पाकिस्तान ने कभी भी बल प्रयोग नहीं करने की बात कही थी, लेकिन उसने 1999 में कारगिल में घुसपैठ की।

    यह भी पढ़ें: Simla Agreement: क्या है शिमला समझौता, जिसे स्थगित करने की गीदड़ भभकी दे रहा पाकिस्तान?

    शिमला समझौता खत्म होने के बाद क्या होगा?

    शिमला समझौता खत्म होने के बाद पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा सकता है। वहीं, कश्मीर के मुद्दे पर वो तीसरा पक्ष यानी चीन और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) से को दखल देने का आग्रह  करेगा।

    समझौता टूटा तो आगे का रास्ता क्या?

    समझौता खत्म होने के बाद कूटनीतिक और सैन्य अस्थिरता के लिए रास्ता खुल सकता है। इससे क्षेत्रीय स्थिति कमजोर हो सकती है। दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावनाएं भी खत्म हो जाएगा। हालांकि, भारत सरकार ने पहले ही कह दिया है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती।

    शिमला समझौता टूटा तो किसका फायदा, किसे नुकसान?

    गौरतलब है कि पाकिस्तान शिमला समझौता तोड़ने का औपचारिक ऐलान भी कर दे तो उसे कोई फायदा नहीं होने वाला। जहां तक बात भारत की है तो वह पाकिस्तान की नीतियों से पहले से ही नुकसान झेल रहा है। नुकसान होगा तो सिर्फ भारत का नहीं, पाकिस्तान का भी।

    दोनों देशों के बीच LoC पर टकराव होती रहती है। समझौता का उल्लंघन होने के बाद सीमा पर दोनों तरफ से कार्रवाई और बढ़ सकती है।

    भारत के लिए फायदा की बात ये है कि अगर पाकिस्तान समझौते को सस्पेंड कर देता है तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी POK को वापस लाने के लिए भारत पूरी तरह स्वतंत्र हो जाएगा।

    दोनों देशों के बीच क्या-क्या हुआ था समझौता?

    • समझौते के जरिए दोनों देशों ने तय किया था कि कोई भी विवाद आपसी बातचीत से सुलझाएंगे।
    • दोनों देशों के बीच की नियंत्रण रेखा को कोई भी देश एकतरफा नहीं बदलेगा।
    • दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा, युद्ध या गलत प्रचार नहीं करेंगे।
    • कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कोई देश नहीं लेकर जाएगा।
    • कश्मीर का मामला भारत-पाकिस्तान के बीच ही बातचीत के जरिए हल किया जाएगा।
    • भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया गया था। वहीं, पाकिस्तान ने कई भारतीय सैनिकों को बंदी बनाया था। समझौते के बाद दोनों देश के बंधकों की रिहाई हुई थी।
    • वहीं, भारत ने युद्ध के दौरान कब्जा की गई 13,000 वर्ग किमी से अधिक जमीन वापस कर दी, जिससे सद्भावना और शांति के लिए प्रतिबद्धता का प्रदर्शन हुआ

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