Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Simla Agreement: क्या है शिमला समझौता, जिसे स्थगित करने की गीदड़ भभकी दे रहा पाकिस्तान?

    Updated: Thu, 24 Apr 2025 07:44 PM (IST)

    शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुआ एक महत्वपूर्ण समझौता है। पाकिस्तान ने हाल ही में इस समझौते को स्थगित करने की धमकी दी है। इस लेख में हम शिमला समझौते के इतिहास इसके प्रावधानों और भारत-पाकिस्तान संबंधों पर इसके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही हम पाकिस्तान की इस धमकी के संभावित परिणामों का भी विश्लेषण करेंगे।

    Hero Image
    पाकिस्तान ने गीदड़ भभकी दी है कि वो शिमला समझौते को स्थगित कर सकता है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) के बाद भारत सरकार ने राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान को जबरदस्त चोट पहुंचाई है। मोदी सरकार ने पांच बड़े फैसले लिए, जिसमें सिंधु समझौते स्थगित करना जैसे कड़े फैसले लिए गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पाकिस्तान ने भी भारत के फैसलों पर जवाबी कार्रवाई की। पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की एक बैठक गुरुवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई। पाकिस्तान ने गीदड़ भभकी दी है कि वो शिमला समझौते को स्थगित कर सकता है।

    शिमला समझौता 1972

    1971 के युद्ध में पाकिस्तान को भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए गए थे। युद्ध के करीब 16 महीने बाद हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो की मुलाकात हुई थी।

    2 जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच हुई बैठक में एक समझौता पर दस्तखत किया गया था, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है। समझौते का मूल उद्देश्य दोनों देशों के रिश्तों को सुधारना था। बता दें कि भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया गया था।

     वहीं, हमारे देश के कुछ सैनिकों को भी पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था। समझौते के बाद दोनों देशों की सैनिकों की रिहाई हुई। युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान के जमीन पर कब्जा कर लिया था। समझौते के बाद इसे वापस कर दिया गया।

    1971 का जब युद्ध की समाप्ति हुई तो भारत और पाकिस्तान के बीच की सीजफायर लाइन को लाइन ऑफ कंट्रोल के बीच तब्दील कर दिया गया। समझौते में यह तय किया गया था कि दोनों में से कोई भी देश इस रेखा को बदलने की कोशिश नहीं करेगा।

    शिमला समझौते की बड़ी बातें

    पाकिस्तान ने बार-बार किया उल्लंघन

    पाकिस्तान ने शिमला समझौते का कई बार उल्लंघन किया है। पड़ोसी मुल्क ने समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावजूद कभी नहीं इसे माना। पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर मुद्दे को United Nation और इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है। वहीं, वो लगातार सीजफायर का उल्लंघन करता रहा है।

    जिस पाकिस्तान ने कभी भी बल प्रयोग नहीं करने की बात कही थी, उसने 1999 में कारगिल में घुसपैठ की। हालांकि, पाकिस्तान को इस बार भी मुंह की खानी पड़ी।

    यह भी पढ़ें: 'आपके पास केवल 5 दिन का समय...' भारत का पकिस्तानियों को अल्टीमेटम, क्या है PAK का रिएक्शन?

    आतंक का सहारा ले रहा पाकिस्तान 

    युद्ध मैदान में भारत से मिली हार का बदला लने के लिए पाकिस्तान ने आंतकी संगठनों को सहारा लेना शुरू कर दिया। पाकिस्तान की सेना और ISI आतंकी संगठनों को पोषित करती है। आतंकियों को भारत भेजकर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने का हर मुमकिन प्रयास करती है। हालांकि, भारतीय सुरक्षा बल उसके नापाक इरादे को हर बार नाकाम कर देता है।

    शिमला समझौता से जुड़ी अधिक जानकारी पढ़ें यहां

    आइए ये भी जान लें कि दोनों देशों के बीच सिंधु जल समझौता क्या था?

    • साल 1960 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान के बीच यह समझौता हुआ था।
    • समझौते में सिंधु बेसिन से बहने वाली 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांटा गया था।
    • पूर्वी हिस्से की नदियों रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का पूरा अधिकार है।
    • वहीं, पश्चिमी हिस्से की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का 20 प्रतिशत पानी भारत रोक सकता है।
    • 65 साल बाद भारत ने इस समझौते को स्थगित करने की घोषणा कर दी है।

    यह भी पढ़ें: भारत का एक्शन, पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक तलब; आधी रात थमाया पर्सोना नॉन ग्राटा नोट

    पहलगाम हमले के बाद भारत ने लिए ये पांच बड़े फैसले

    • 960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता।
    • एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा। जो लोग वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 01 मई 2025 से पहले उस मार्ग से वापस आ सकते हैं।
    • पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) वीजा के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पाकिस्तानी नागरिकों को अतीत में जारी किए गए किसी भी एसवीईएस वीजा को रद्द माना जाएगा। एसवीईएस वीजा के तहत वर्तमान में भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे हैं।
    • नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया जाता है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है। पाकिस्तान में मौजूद भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा/नौसेना/वायु सलाहकारों को भारत वापस बुलाएगा। संबंधित उच्चायोगों में ये पद निरस्त माने जाएंगे। सेवा सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारियों को भी दोनों उच्चायोगों से वापस बुलाया जाएगा।
    • उच्चायोगों की कुल संख्या को वर्तमान 55 से घटाकर 30 किया जाएगा, जिसे 01 मई 2025 तक और कम किया जाएगा।

    यह भी पढ़ें: Shimla Agreement: समझौता खत्म करना पाकिस्तान के लिए आत्मघाती, भारत की राह हो जाएगी आसान

    यह भी पढ़ें: 'अगर ऐसा हुआ तो इसे युद्ध की...', भारत के सख्त एक्शन से बौखलाया पाकिस्तान; शहबाज सरकार ने दी गीदड़ भभकी

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    2 जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ था।

    समझौते के जरिए दोनों देशों ने तय किया था कि कोई भी विवाद आपसी बातचीत से सुलझाएंगे। दोनों देशों के बीच की नियंत्रण रेखा को कोई भी देश एकतरफा नहीं बदलेगा। दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा, युद्ध या गलत प्रचार नहीं करेंगे। कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कोई देश नहीं लेकर जाएगा। कश्मीर का मामला भारत-पाकिस्तान के बीच ही बातचीत के जरिए हल किया जाएगा।

    पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है। साथ ही लगातार सीजफायर का उल्लंघन करता रहा है। जिस पाकिस्तान ने कभी भी बल प्रयोग नहीं करने की बात कही थी, उसने 1999 में कारगिल में घुसपैठ की।