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कुलभूषण जाधव को मिली फांसी की सजा को पाक मीडिया ने बताया 'अभूतपूर्व' निर्णय

पाकिस्‍तान मीडिया ने कुलभूषण जाधव को कोर्ट द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को अभूतपूर्व फैसला करार दिया है। कई अखबारों ने इस पर विशेष कॉलम भी प्रकाशित किया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 11 Apr 2017 02:30 PM (IST)Updated: Tue, 11 Apr 2017 03:13 PM (IST)
कुलभूषण जाधव को मिली फांसी की सजा को पाक मीडिया ने बताया 'अभूतपूर्व' निर्णय
कुलभूषण जाधव को मिली फांसी की सजा को पाक मीडिया ने बताया 'अभूतपूर्व' निर्णय

नई दिल्‍ली (पीटीआई)। पाकिस्‍तान की कोर्ट द्वारा कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा दिए जाने को पाक मीडिया ने अभूतपूर्व फैसला करार दिया है। जाधव को पाक कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद पाकिस्‍तान के सभी अखबारों ने इस खबर को सुर्खियों के साथ प्रकाशित किया है। इसके अलावा कुछ अखबारों में इस पर संपादकीय भी लिखा गया है, जिसमें कोर्ट के इस फैसले को अभूतपूर्व बताया गया है। हालांकि इस मामले में विशेषज्ञ मानते हैं कि कोर्ट के इस फैसले से दोनों देशों के संबंधों पर विपरीत असर पड़ेगा। कुलभूषण जाधव को सोमवार को कोर्ट ने जासूसी के आरोप में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है। यह फैसला फील्‍ड जनरल कोर्ट मार्शल के दौरान सुनाया गया है जिसकी पुष्टि पाकिस्‍तान के सेनाध्‍यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी की है।

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पाकिस्‍तान के विभिन्‍न अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। 'द नेशन' अखबार में इसको पहली पन्‍ने की खबर बनाते हुए लिखा है जासूस को मौत की सजा सुनाए जाने से दोनों देशों के बीच कड़वाहट बढ़ेगी। अखबार के मुताबिक इस मामले से दो परमाणु संपन्‍न देशों में पहले जारी तनाव में वृद्धि होगी। अखबार ने इस संबंध में रक्षा विशेषज्ञ हासन अकसारी के हवाले से लिखा है कि ताजा फैसले से दोनों देशों में तनाव बढ़ेगा। हालांकि अकसारी ने माना है कि कोर्ट ने यह फैसला पाकिस्‍तान के नियम और कानूनों को ध्‍यान में रखते हुए दिया है। उनका कहना है कि यह देखना दिलचस्‍प होगा कि पाकिस्‍तान कूटनीतिक और राजनीतिक स्‍तर पर होने वाले असर को झेल पाता है या नहीं। इसके अलावा नवा ए कव्‍त ने भी इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है।

एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून ने कुलभूषण जाधव को सुनाए गए फैसले को अभूतपूर्व बताते हुए लिखा है कि कोर्ट ने यह फैसला जाधव के इकबाले जुर्म के बाद सुनाया है। यह अभूतपूर्व फैसला है। ट्रिब्‍यून ने भी माना है कि इस फैसले का असर दोनों देशों के संबंधों पर जरूर पड़ेगा। इसके अलावा पाकिस्‍तान के एक अन्‍य अंग्रेजी अखबार 'डॉन' ने इसको एक दुर्लभ कदम बताया है। अखबार का कहना है कि यह फैसला उस वक्‍त सामने आया है जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है और दूरियां बढ़ी हुई हैं। अखबार ने इस फैसले पर एक कॉलम भी प्रकाशित किया है जिसमें विशेषज्ञाें ने माना है कि इसका असर दोनों देशों के संबंधों पर पड़ेगा। इस कॉलम में कुछ विशेषज्ञों ने यहां तक माना है कि जाधवा को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भारत कड़ी प्रतिक्रिया देगा तो कुछ का कहना है कि इस फैसले से दोनों देशों के बीच संबंधों में कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है।

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कॉलम में एक विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल तलत मसूद का कहना है कि भारत काफी लंबे समय से अंतरराष्‍ट्रीय जगत को इस बात को बताने की कोशिश कर रहा था कि भारत लगातार पाकिस्‍तान में अस्थिरता लाने की कोशिश करता रहा है। जाधव इसका जीता जागता सबूत है। तलत का कहना है कि जाधव के मामले से अब पाकिस्‍तान को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपनी बात मजबूती से रखने और उसको साबित करने का मौका मिल जाएगा। उन्‍होंनें इस फैसले को सही बताते हुए कहा कि यह कानून के मद्देनजर सुनाया गया फैसला है। उन्‍होंने इस फैसले के बाद पाकिस्‍तान को आगाह करते हुए कहा है कि अब एलओसी पर पाकिस्‍तान की सेना को ज्‍यादा सतर्क रहने की जरूरत है। वहीं एक अन्‍य विशेषज्ञ रिटायर्ड एयर मार्शल शहजाद चौधरी का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले का असर दोनों देशों के संबंधों पर न के ही बराबर पड़ेगा।

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