पहली बार दहशतगर्दों के खिलाफ कश्मीर की आम जनता, क्या आतंकवाद के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा पहलगाम हमला?
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया है। आम कश्मीरियों में स्वतस्फूर्त गुस्से और जम्मू-कश्मीर में सफल बंद को सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी जीत के रूप में देख रही हैं। इस हमले ने आम जनता को झकझोर दिया है और आतंकवादियों के लिए घाटी में बची-खुची जगह भी खत्म हो गई है।

नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पहलगाम में आतंकी हमला कश्मीर में आतंकवाद के ताबूत की आखिरी कील साबित हो सकता है। पहलगाम हमले के बाद आम कश्मीरियों में स्वत:स्फूर्त गुस्से और जम्मू-कश्मीर में सफल बंद को सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी जीत के रूप में देख रही हैं।
कश्मीर से जुड़े सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय एजेंसियां लंबे समय से आम लोगों के बीच पाकिस्तान के असली मंसूबे को बेनकाब करने की कोशिश कर रही थी, जो अब सफल होती नजर आ रही है।
इससे पहले आतंकियों ने पर्यटकों से खुद को दूर रखा
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 35 सालों के आतंकवाद में एक-दुक्का घटनाओं को छोड़कर कभी पर्यटकों को निशाना नहीं बनाया गया। यहां तक वर्ष 2000 में जब आतंकी घटनाओं में 4000 से अधिक लोग मारे गए थे। उस समय भी पर्यटकों को निशाना नहीं बनाया गया। पर्यटन के बहुत बड़ी जनता के रोजी-रोटी के जुड़े होने के कारण आतंकियों ने पर्यटकों से खुद को दूर रखा।
पहलगाम की घटना ने आम जनता को झकझोर दिया है
पहली बार पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसने आम जनता को झकझोर दिया है। पर्यटकों की ही तरह आतंकी जम्मू-कश्मीर पुलिस के कर्मियों को भी निशाना नहीं बनाते थे। उनके निशाने पर हमेशा सेना और केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान होते थे। लेकिन 2015-16 में बुरहान वानी ने पहली बार जम्मू-कश्मीर पुलिस कर्मियों को मारना शुरू किया। उसके बाद से ही जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में अग्रिम भूमिका में आ गई।
जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या हो रही कम
उसके बाद धीरे-धीरे स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती में कमी और बड़ी संख्या में सक्रिय आतंकियों के मारे जाने को इसी से जोड़ कर देखा गया। जाहिर है पहले जम्मू-कश्मीर में आम पुलिस कर्मियों और अब आम जनता की नाराजगी के बाद घाटी में आतंकवाद के लिए बची-खुची जगह भी खत्म हो गई है। वैसे भी जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या लगातार कम हो रही है।
स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती लगभग शून्य हो गई है
पाकिस्तान सीमा पार से आतंकी भेजकर 70-75 सक्रिय आतंकियों की संख्या को बनाए हुए है। स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती लगभग शून्य हो गई है, इस समय घाटी में केवल 15-16 स्थानीय आतंकी ही सक्रिय है। ऐसे में आम जनता का आक्रोश आतंक के पूरे इकोसिस्टम को खत्म कर सकता है।
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