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    यात्री बसों की छतों से हटेंगे कैरियर? ओवरलोडिंग को लेकर SC में याचिका दायर, जानिए क्या है दलील

    Updated: Sat, 26 Apr 2025 10:09 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पूरे देश में ओवरलोडेड यात्री बसों के मुद्दे को उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि ओवरलोडेड बसें लोगों के जीवन के लिए खतरा हैं और पर्यावरण को भी प्रदूषित करती हैं। साथ ही बस पर लदे सामान का जीएसटी छुपाने से राजस्व का भी नुकसान होता है।

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    यात्री बसों के ओवर लोडेड चलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रोजाना हाई वे पर ओवरलोडेड यात्री बसें देखी जा सकती हैं जिनमें सिटिंग और स्लीपर व्यवस्था के साथ बस की छत पर भारी मात्रा में सामान लदा होता है जो किसी भी दुर्घटना को आमंत्रण देता दिखता है। लेकिन अब ओवरलोडेड बसों का यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।

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    सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें पूरे देश में ओवरलोडेड यात्री बसों का मुद्दा उठाया गया है। कहा गया है कि ओवरलोडेड यात्री बसें न सिर्फ लोगों के जीवन के लिए गंभीर खतरा हैं बल्कि ये पर्यावरण को भी प्रदूषित करती हैं। बस पर लदे सामान का जीएसटी छुपाने से राजस्व का भी नुकसान होता है।

    SC में दाखिल याचिका में की गई ये मांग

    याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट बसों की ओवरलोडिंग पर लगाम लगाने के लिए मजूबत तंत्र लागू करने का निर्देश दे। यात्री बसों की अनिवार्य रूप से चेकिंग हो और बस की छतों पर लगे कैरियर हटाने के आदेश दिये जाएं। यह याचिका वकील संगम लाल पांडेय ने दाखिल की है। जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को पक्षकार बनाया गया है।

    ओवरलोडिंग के मामले कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग

    बसों की ओवरलोडिंग के मामले में न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है। याचिका में राज्य परिवहन और निजी बस ऑपरेटरों की बसों में क्षमता से अधिक यात्रियों और क्षमता से अधिक सामान बस के केबिन और बस के ऊपर लाद कर ले जाने का मुद्दा उठाया गया है और ओवरलोडिंग बसों की दुर्घटनाओं के भी आंकड़े दिये गए हैं।

    ओवरलोडिंग से एक्सीडेंट का खतरा

    ओवरलोडिंग के कारण ब्रेक फेल, टायर फटने और बस पर नियंत्रण नहीं रहने की बातें उत्तराखंड में 2024 में हुई बस दुर्घटना में दर्ज की गई थी। आईआईटी दिल्ली ने 2022 में पाया था कि ओवरलोडेड वाहन की हाई वे पर दुर्घटना की 30 प्रतिशत ज्यादा संभावना होती है। ओवरलोडेड बसें 15 से 20 फीसद ज्यादा ईंधन खाती हैं जिससे प्रदूषण भी बढ़ता है और ऑपरेशनल कास्ट भी बढ़ती है।

    बसों नें रेगुलर रुटिन चेकिंग की मांग 

    सीएजी ने 2024 में कहा था कि बिना दस्तावेज के बस की छत पर ले जाए जा रहे सामान से करीब 500 करोड़ के जीएसटी का सालाना नुकसान होता है जिसका संबंध ओवरलोडिंग से है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि सिर्फ पांच प्रतिशत अंतरराज्यीय बस टर्मिनल पर वेइंगब्रिज यानी वजन लेने की व्यवस्था है। यात्री बसों की रुटीन चेकिग नहीं होती जो कि ओवरलोडिंग की समस्या को बढ़ाती है।

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