'जिसने बच्चे को पाल-पोसकर बड़ा किया वो मां नहीं है क्या', वायुसेना के पेंशन वाले फैसले पर SC ने पूछे सवाल
Supreme Court News सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायुसेना के उस फैसले पर सवाल उठाए हैं जिसमें छह साल की उम्र से सौतेले बेटे को पालने वाली महिला को पारिवारिक पेंशन देने से इनकार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि वह इस बात पर विचार करेगा कि क्या वायुसेना के नियमों के तहत सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन दी जा सकती है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने छह वर्ष की उम्र से सौतेले बेटे को पाल-पोसकर बड़ा करने वाली महिला को पारिवारिक पेंशन देने से इनकार करने के भारतीय वायुसेना के फैसले पर सवाल उठाए हैं। साथ ही कहा कि वह इस बात पर विचार करेगा कि क्या भारतीय वायुसेना के नियमों के तहत सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन दी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि मां एक बेहद व्यापक शब्द है और नियम संवैधानिक आदेश नहीं हैं। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि आजकल दुनिया में काफी कुछ हो रहा है। सिर्फ जैविक मां ही बच्चे को पाल-पोसकर बड़ा नहीं करती।
एससी की पीठ ने उठाये ये सवाल
जस्टिस सूर्य कांत ने वायुसेना के वकील से कहा कि उदाहरण के लिए अगर किसी बच्चे का जन्म होता है और उसकी जैविक मां का देहान्त हो जाता है। उसका पिता फिर विवाह कर लेता है और सौतेली मां उस समय से उसका लालन-पालन करती है, जब उसे स्तनपान की आवश्यकता होती है, उसका पालन-पोषण करती है और फिर वह थलसेना, वायुसेना या नौसेना अधिकारी बन जाता है। अगर उसने वास्तव में उस बच्चे की देखभाल की है तो क्या वह मां नहीं है?
वायुसेना के वकील ने क्या रखी दलील
वकील ने यह कहकर वायुसेना की स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की कि ऐसे कई फैसले हैं जिनमें सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन से इनकार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस अदालत के फैसले हैं जिनमें सौतेली मां शब्द की व्याख्या की गई है। नियमों के तहत सुस्थापित मानक हैं कि कौन पारिवारिक पेंशन का पात्र होगा। इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि नियम आपने तय किए हैं। नियम संवैधानिक आदेश नहीं हैं। हम इन नियमों के पीछे के तर्क पर सवाल उठा रहे हैं। आप कैसे और किस आधार पर तकनीकी रूप से एक सौतेली मां को विशेष पेंशन या पारिवारिक पेंशन से वंचित कर सकते हैं।
याचिकाकर्ता और वायुसेना के वकीलों से उचित जवाब नहीं मिलने पर पीठ ने कहा, ऐसा लगता है कि दोनों वकीलों की तैयारी नहीं है और उनसे इस विषय पर इस अदालत और हाई कोर्ट के फैसलों का अध्ययन करने को कहा।
जस्टिस सूर्य कांत ने कहा,
'पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के दो फैसले हैं जिनमें से एक सिविल सर्विसेज रूल्स से संबंधित है जो सौतेली मां एवं पेंशन के मामले पर था। आप इन फैसलों का अध्ययन कीजिए और अगली सुनवाई पर तैयारी के साथ आइए।'
अब 7 अगस्त को होगी मामले की अगली सुनवाई
पीठ ने इसके बाद सुनवाई सात अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। शीर्ष अदालत जयश्री नामक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने जैविक मां की मृत्यु के बाद अपने सौतेले बेटे हर्षा का पालन-पोषण किया था। हर्षा वायुसेना में थे और उनकी मृत्यु के बाद वायुसेना ने जयश्री को पारिवारिक पेंशन देने से इनकार कर दिया था। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने भी 10 दिसंबर, 2021 को वायुसेना के फैसले को बरकरार रखा था जिसे जयश्री ने चुनौती दी है।
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