Mental illness: मानसिक समस्याओं से जूझ रहा हर तीसरा व्यक्ति अवसाद और एंजाइटी का शिकार
मानसिक समस्याओं के लिए परामर्श लेने वालों के सर्वेक्षण से तस्वीर सामने आई। पीड़ितों में अवसाद के साथ-साथ आत्महत्या की प्रवृत्ति भी हावी हो जाती है। पिछले 18 महीने में मानसिक समस्याओं को लेकर हेल्पलाइन पर संपर्क करने वालों के विश्लेषण से यह बात उजागर हुई।

नई दिल्ली, पीटीआई। मानसिक परेशानियों का सामना कर रहे एक तिहाई लोग अवसाद और एंजाइटी का शिकार होते हैं। आत्महत्या करने का विचार भी उनके मन पर हावी रहता है। पिछले 18 महीने में मानसिक समस्याओं को लेकर हेल्पलाइन पर संपर्क करने वालों के विश्लेषण से यह बात सामने आई है।
पिछले कुछ महीने में स्थिति और भी बिगड़ी है। नवंबर, 2022 से जनवरी, 2023 के दौरान करीब 40 प्रतिशत लोगों में ऐसी समस्याएं देखने को मिली हैं। मानसिक समस्याओं से पीड़ित लोगों को निशुल्क परामर्श देने वाले सायरस एंड प्रिया वांडरेवाला फाउंडेशन के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।
फाउंडेशन ने अब तक 1,14,396 लोगों को फोन पर और 17 लाख से ज्यादा लोगों को मैसेज पर परामर्श दिया है। अगस्त, 2021 से जनवरी, 2023 के बीच हेल्पलाइन पर संपर्क करने वाले 61,258 लोगों की मानसिक स्थिति का विश्लेषण करते हुए निष्कर्ष निकाला गया है।
हर तीसरा व्यक्ति अवसाद का शिकार
फाउंडेशन की प्रमुख प्रिया हीरानंदानी-वांडरेवाला ने कहा कि हमसे संपर्क करने वाले एक तिहाई लोग एंजाइटी, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति से जूझ रहे थे। यह चिंताजनक इसलिए है, क्योंकि 2022 में कोरोना वायरस और आपराधिक घटनाओं में जान गंवाने वालों से ज्यादा लोगों की मौत आत्महत्या के कारण हुई।
उन्होंने बताया कि स्थिति यह है कि यदि आज मेडिकल की पढ़ाई कर रहा हर छात्र मनोचिकित्सक बन जाए, तब भी इस संकट का सामना कर पाने के लिए पर्याप्त चिकित्सक नहीं हो पाएंगे।
मानसिक समस्याओं को लेकर बढ़ रही जागरूकता
फाउंडेशन ने बताया कि मानसिक समस्याओं को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। वाट्सएप के माध्यम से संवाद आसान हुआ है। करीब 53 प्रतिशत महिलाएं और 42 प्रतिशत पुरुष वाट्सएप चैट के माध्यम से अपनी समस्याएं साझा करते हैं।
12 राज्यों से 81 प्रतिशत फोन एवं मैसेज
फाउंडेशन ने बताया कि मानसिक समस्याओं को लेकर परामर्श के लिए संपर्क करने वाले 81 प्रतिशत लोग 12 राज्यों से हैं।
- महाराष्ट्र: 17.3 प्रतिशत
- उत्तर प्रदेश: 9.5 प्रतिशत
- कर्नाटक: 8.3 प्रतिशत
- दिल्ली: 8 प्रतिशत
- तमिलनाडु: 6.2 प्रतिशत
- गुजरात: 5.8 प्रतिशत
- बंगाल: 5.4 प्रतिशत
- केरल: 5.3 प्रतिशत
- तेलंगाना: 4 प्रतिशत
- मध्य प्रदेश: 3.8 प्रतिशत
- राजस्थान: 3.6 प्रतिशत
- हरियाणा: 3.6 प्रतिशत
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