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    Suicide Prevention Day 2022: अगर किसी में दिखें ये लक्षण तो हो जाएं सतर्क

    By Dinesh DixitEdited By:
    Updated: Fri, 09 Sep 2022 05:01 PM (IST)

    शायद ही कोई ऐसा दिन बीते जिस दिन समाचार पत्रों में आत्महत्या के मामले न छपते हों। छोटी-छोटी बातों पर लोग जिंदगी को दांव पर लगा देते हैं। हम यह भूल जाते हैैं कि जीवन कितना अनमोल है या ऐसा करने पर स्वजन पर क्या बीतती होगी...

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    जिंदगी अनमोल है न फाड़ें इसका पन्ना- इमेजेज बाजार

    श्रीजा वत्स। अरे मम्मा, आपका बनाया हलवा तो मैं ऊपर वाले के घर में भी याद करूंगा, बहुत बढिय़ा बनाती हो आप... बेटे रोहित की बातें सुन मां पूनम अचंभित हो गईं। ये किस तरह की बातें कर रहा है। कल अपने बेस्ट फ्र ंड से लंबी बात की। हंसी-खुशी बात हुई, पर अंत में बाय कहने की जगह अलविदा दोस्त बोलते सुना। जन्मतिथि में जो कीमती घड़ी पापा ने उपहार में दी थी, वह सालभर से पहन रहा था, पर कल सुबह घड़ी देते हुए उसने कहा, मम्मा आप रख लो। बेटे की इन बातों को अब नहीं समझी तो देर हो जाएगी। उन्होंने तुरंत कहीं फोन किया और थोड़ी देर बाद रोहित के पास जाकर बोलीं, बेटा, मुझे डाक्टर के पास जाना है। अपनी बीमारी की बात कहकर वह एक मनोचिकित्सक के पास पहुंचीं। रोहित के संकेतों पर पूनम सही समय पर सतर्क हुईं और सही कदम उठाया। इस कारण रोहित आज उनके बीच है। न हर मां इतनी सतर्क होती है और न हर बेटा या बेटी इतनी भाग्यशाली।

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    आंकड़े कहते हैं

    आत्महत्या के आंकड़ों का ग्राफ अब हमें डराने लगा है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों को खंगाले तो हाल के वर्षों में अपने देश में आत्महत्या की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है। वर्ष 2021 में 1,65,033 व्यक्तियों ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। इस साल की बात करें तो प्रतिदिन औसतन करीब 450 लोगों ने आत्महत्या की। वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में यह संख्या क्रमश: 1,39,123 और 1,53,052 थी। वर्ष 2017 में 1,29,887 लोगों द्वारा आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई, जो वर्ष 2018 में बढ़कर 1,34,516 हो गई। कानून-पुलिस के भय व सामाजिक तानाबाना के कारण आत्महत्या की बहुत सी घटनाएं दर्ज होने से रह भी जाती हैं। ऐसे में वास्तविक आंकड़ा संभव है इससे कहीं अधिक हो।

    ये कारण हैैं जिम्मेदार

    नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक आत्महत्या के जो कारण सबसे अधिक सामने आए उनमें प्रोफेशनल और करियर प्राब्लम सबसे ऊपर है। कोरोनाकाल के बाद आत्महत्या की घटनाओं में बहुत वृद्धि का कारण शायद यही था। समाज और परिवार की तरफ से अलग-थलग कर दिए जाने की अनुभूति भी इसका एक कारण हो सकती है। किसी भी प्रकार का शोषण, हिंसा, पारिवारिक समस्या, मानसिक बीमारी, नशे की लत, वित्तीय नुकसान, लंबे समय की शारीरिक समस्याएं आदि भी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार कारण दर्ज किए गए हैं।

    लक्षण पहचानें

    अगर आपके आसपास वर्तमान या भविष्य को लेकर कोई चिंता प्रकट कर रहा है। अवसाद से ग्रसित दिख रहा है। उत्तेजित या शांत अवस्था में खुद को खत्म कर लेने की बात करता है तो आपका तुरंत सर्तक हो जाना जरूरी है। कई बार जरूरत से अधिक नींद की गोली खरीदना, जानलेवा दवाएं खरीदना, रस्सी खरीदना, हथियार लाना, जहर खरीदना जैसी गतिविधियां भी सामने आती हैं। ऐसे लोगों की बातों में निराशा साफ झलकती है। जिंदगी को लेकर बहुत दार्शनिक या नकारात्मक बातें भी करते हैैं लोग। अगर वे सृजनात्मक क्षेत्र से जुड़े हैं तो उनकी कविता, कहानी, पेंटिंग आदि में भी यह सब जाहिर होता है। अपनी कीमती चीज किसी को सौंपना जैसे लक्षण भी सामने आ सकते हैं। जैसा कि रिनपास ( रांची इंस्टीट्यूट आफ न्यूरो साइकाइट्री एंड एलाइड साइंसेज) के मनोचिकित्सक डा. सिद्धार्थ सिन्हा कहते हैं, कई बार ऊपर-ऊपर सब कुछ नार्मल दिखता है, लेकिन अचानक से कोई आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है। तकनीकी भाषा में इसे स्माइलिंग डिप्रेशन कहते हैं। आसपास ऐसे ही खामोश रहने वाले लोगों को हमें समझना होगा और उनसे बातचीत करनी होगी।

    रहें सजग और सतर्क

    डा. सिद्धार्थ सिन्हा, मनोचिकित्सक रिनपास, रांची

    किसी शख्स में अगर जरा सा भी कोई असामान्य लक्षण महसूस हो या आपने अन्य कोई लक्षण नोटिस किया है तो तुरंत किसी मनोरोग विशेषज्ञ या लाइफ कोच की मदद लें। किसी भी मानसिक रोग अस्पताल या नैदानिक केंद्र में व्यक्ति को भर्ती करने का एक बड़ा आधार है यह। इसके जरिए तुरंत व्यक्ति को सुरक्षित जगह रखा जाता है जहां उसकी हर गतिविधि पर नजर रहती है।

    महत्वपूर्ण है परिवार और दोस्तों का साथ

    डा. रचना खन्ना सिंह, मेंटल वेलनेस एक्सपर्ट, दिल्ली

    जिंदगी को लेकर आशाहीन बातें करने वाले, नकारात्मकता से घिरे लोगों से खुद बात करने की कोशिश करें, लेकिन ध्यान रखें कि उन पर कोई दबाव न डालें। थोड़ी सी भी आशंका होने पर एक्सपर्ट से संपर्क करें। ऐसे समय में परिवार व दोस्तों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। जरूरी नहीं कि हर मामले में व्यक्ति को भर्ती ही किया जाए। काउंसलिंग, दवाएं और थेरेपी आदि के जरिए अप्रिय घटनाओं को रोका जा सकता है। हो सकता है कुछ सेशन तक लगातार एक्सपर्ट के पास जाना पड़े। सामान्य अवस्था में दिनचर्या में एक्सरसाइज शामिल रखें। खासतौर पर श्वांस संबंधी यानी ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मेडिटेशन आदि जरूर करें। परिवार और दोस्तों का सपोर्ट सिस्टम बनाए रखने की कोशिश करें। रोज डायरी लिखने जैसी आदतें भी दिल का बोझ कम करती हैं।

    वल्र्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे थीम

    यह दिन डे वर्ष 2003 से मनाया जा रहा है। वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन और इंटरनेशनल एसोसिएशन फार सुसाइड प्रिवेंशन की पहल से यह दिवस 10 सितंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। वर्ष 2021 से 2023 इन तीन साल के लिए इसकी थीम है गतिविधि द्वारा आशा का सृजन।

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