काम के घंटे को हफ्ते में 70 या 90 घंटे तक बढ़ाएगी सरकार? केंद्रीय मंत्री ने संसद में दी जानकारी
देश में पिछले कुछ समय से वर्क लाइफ बैलंस को लेकर काफी चर्चा की जा रही है। इस बीच सरकार ने सोमवार को संसद को बताया कि सप्ताह में अधिकतम कामकाजी घंटों को बढ़ाकर 70 या 90 घंटे करने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सदन को बताया कि श्रम समवर्ती सूची का विषय है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को संसद को बताया कि सप्ताह में अधिकतम कामकाजी घंटों को बढ़ाकर 70 या 90 घंटे करने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। हाल ही में कुछ उद्योगपतियों ने काम के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर प्रति सप्ताह 70 या 90 घंटे करने का प्रस्ताव रखा था।
दरअसल, श्रम रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि अधिकतम कामकाजी घंटों को बढ़ाने का ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। उन्होंने सदन को बताया कि श्रम समवर्ती सूची का विषय है।
क्या बोले श्रम रोजगार राज्य मंत्री?
उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों का प्रवर्तन राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में किया जाता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय क्षेत्र में प्रवर्तन सीआईआरएम के निरीक्षण अधिकारियों के माध्यम से किया जाता है। राज्यों में अनुपालन उनकी श्रम प्रवर्तन मशीनरी के माध्यम से सुनिश्चित किया जाता है।
क्या कहते हैं मौजूदा श्रम कानून?
मौजूदा श्रम कानूनों के अनुसार, काम के घंटे और ओवरटाइम सहित कामकाजी परिस्थितियों को फैक्ट्री अधिनियम 1948 और संबंधित राज्य सरकारों के दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम के प्रविधानों के माध्यम से विनियमित किया जाता है।
कार्पोरेट क्षेत्र सहित अधिकांश प्रतिष्ठान, दुकानें इस अधिनियम द्वारा शासित होते हैं। पिछले शुक्रवार को बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में 70-90 घंटे के कार्य सप्ताह पर चर्चा के बारे में अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया था कि सप्ताह में 60 घंटे से अधिक काम करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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