Move to Jagran APP

नीरजा, जिस पर भारत को ही नहीं पाकिस्‍तान को भी है नाज, दिया था 'तमगा-ए-इंसानियत'

नीरजा भनोत ने अपनी समझदारी के दम पर उसने PanAm एयरलाइंस से सफर करने जा रहे कई यात्रियों की जान बचाई थी। पाक ने उन्हें तमगा-ए-इंसानियत से नवाजा था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 11:38 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 11:59 AM (IST)
नीरजा, जिस पर भारत को ही नहीं पाकिस्‍तान को भी है नाज, दिया था 'तमगा-ए-इंसानियत'
नीरजा, जिस पर भारत को ही नहीं पाकिस्‍तान को भी है नाज, दिया था 'तमगा-ए-इंसानियत'

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 1986 में आज ही मुंबई से अमेरिका जा रही पैन एम फ्लाइट 73 को आतंकियों ने कराची में हाईजैक कर लिया। यात्रियों को निकालने में मदद कर रहीं विमान की मुख्य परिचारिका नीरजा भनोत की आतंकियों ने हत्या कर दी। मरणोपरांत भारत ने अशोक चक्र, पाकिस्तान ने तमगा-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया। नीरजा भनोत की कहानी को आज 33 वर्ष पूरे हो गए हैं। वह एक ऐसी लड़की थी जिसकी बहादुरी के लिए पाकिस्तान ने उन्हें तमगा-ए-इंसानियत से नवाजा था। अपनी समझदारी के दम पर उसने PanAm एयरलाइंस से सफर करने जा रहे कई यात्रियों की जान बचाई थी। नीरजा को लेकर बॉलीवुड में एक फिल्म भी बनी, जिसकी काफी सराहना हुई थी।

loksabha election banner

महज 22 वर्ष की थी नीरजा

आपको बता दें कि 5 सितंबर 1986 को अपहरणकर्ताओं ने पैन एएम फ्लाइट 73 को कराची से हाईजैक कर लिया था। इस दौरान नीरजा भनोत सहित 20 लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक यात्री घायल हो गए थे। इस फ्लाइट में कुल 379 यात्री सवार थे। इस हादसे के समय नीरजा की उम्र महज 22 साल थी। भारत की नीरजा भनोत इस फ्लाइट की मुख्य पर्सर के रुप में तैनात थी। नीरजा ने इस विमान के यात्रियों को सकुशल बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी। इसके लिए भारत सरकार ने नीरजा को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा था।

पाक ने दिया तमगा-ए-इंसानियत

इस बहादुरी के लिए उन्हें पाकिस्तान ने भी उन्हें 'तमगा-ए-इंसानियत' के सममान से नवाजा था। नीरजा एयर होस्टेस के अलावा मॉडल भी थी। उन्होंने कुछ ब्रॉन्ड्स के लिए मॉडलिंग भी की थी। वह अपने पति से अलग अपनी मां-पिता के साथ रहती थी। वर्ष 2016 में नीरजा के ऊपर एक हिन्दी फिल्म भी बनाई गई थी जिसमें नीरजा का किरदार सोनम कपूर ने निभाया था।

क्‍या हुआ था 5 सितंबर 1986 को

5 सितंबर 1986 को नीरजा मुंबई से अमेरिका जाने वाली पैन एम 73 फ्लाइट में सवार थीं। फलाइट के कराची पहुंचने के कुछ समय बाद ही इसको हाईजैक कर लिया गया था। यह सभी लिबिया की अबू निदल ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े हुए थे। इनका मकसद विमान में मौजूद अमेरिकियों को जान से मारना था। इसके अलावा वह अपने फिलिस्‍तीनी साथियों की जेल से रिहाई चाहते थे। आतंकी 369 यात्रियों से भरी फ्लाइट को क्रैश करना चाहते थे।

विमान में घुसते ही आतंकियों कर दी थी फायरिंग

आतंकियों ने एयरक्राफ्ट के अंदर घुसते ही फायरिंग शुरू कर दी और एयरक्राफ्ट को अपने कब्‍जे में ले लिया था। इससे वहां चारों तरफ अफरातफरी फैल गई थी। विमान के अंदर से लेकर एयर ट्रेफिक कंट्रोल और वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों में इसकी दहशत साफतौर पर देखी जा सकती थी। भनोत के साहस का इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब विमान के पायलट, सहायक पायलट और फ्लाइट इंजीनियर विमान छोड़कर भाग निकले थे उस वक्‍त नीरजा ने ही आतंकियों को समझाने की कोशिश की थी।

आतंकियों के निशाने पर थे अमेरिकी

आतंकी अमेरिकियों को तलाशकर उन्‍हें मार डालना चाहते थे। एक अमेरिकी को उन्‍होंने विमान के गेट पर ले जाकर गोली भी मार दी थी। इससे बचने के लिए नीरजा ने सभी अमेरिकियों के पासपोर्ट अपने पास रख लिए थे। इस विमान में करीब 44 अमेरिकी सवार थे जिनमें से दो को आतंकियों ने मार दिया था। लेकिन नीरजा आतंकियों का समय बीताकर वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों और सरकार को मौका देने की कोशिश कर रही थी। नीरजा ने इस दौरान वह सब किया जो उनके बस में था। मौका मिलते ही नीरजा ने विमान द्वार खोलकर यात्रियों को बाहर निकाल दिया। लेकिन इसी दौरान हुई गोलीबारी में उनकी मौत हो गई थी। 

यह भी पढ़ें-
सॉफ्टी खाने के लिए लड़ने का ड्रामा रचती थी नीरजा
चाहती तो बच सकती थीं, हर हाल में फर्ज निभाकर गई नीरजा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.