उमस भरी गर्मी तोड़ सकती है पिछले सभी रिकॉर्ड, महसूस होगी सामान्य से ज्यादा गर्मी

मौसम विभाग ने देश के कई हिस्सों में हीटवेव का अलर्ट दिया है। खास तौर पर गंगा की तराई वाले इलाकों पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार सहित हिमालय से लगे कुछ हिस्...और पढ़ें
विवेक तिवारी जागरण न्यू मीडिया में एसोसिएट एडिटर हैं। लगभग दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार् ...और जानिए
नई दिल्ली, विवेक तिवारी । मौसम विभाग ने अगले दो सप्ताह तक देश के कई हिस्सों में हीटवेव का अलर्ट दिया है। खास तौर पर गंगा की तराई वाले इलाकों, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, कर्नाटक, बिहार सहित हिमालय से लगे कुछ हिस्सों में ज्यादा गर्मी महसूस होगी। हाल ही जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस साल भारत के बहुत से हिस्सों में गर्मी पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ सकती है। वहीं एक अन्य अध्ययन में IMD के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत में गर्मी के मौसम में पिछले 40 सालों में हवा में आर्द्रता का स्तर 30 फीसदी तक बढ़ा है। ऐसे में देश के कई हिस्सों में सामान्य से ज्यादा गर्मी महसूस की जा रही है। सामान्य से ज्यादा गर्मी महसूस किए जाने वाले इलाकें में भी 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में छपे शोध के मुताबिक भारत और अन्य उष्णकटिबंधीय देशों में इस साल गर्मी के मौसम में तापमान और आर्द्रता के रिकॉर्ड तोड़ने की 68 प्रतिशत आशंका है। वहीं उत्तरी भारत में रिकॉर्ड गर्मी और उमस की आशंका 50 फीसद से ज्यादा है। वैज्ञानिकों ने वेट बल्ब तापमान के डेटा पर किए गए शोध के आधार पर ये दावा किया है। वेट-बल्ब तापमान की गणना हवा के तापमान और आर्द्रता के डेटा के आधार पर की जाती है। यह मापता है कि गर्म और आर्द्र परिस्थितियों में पसीने से हमारा शरीर कितनी अच्छी तरह ठंडा होता है। गर्म-आर्द्र वातावरण में 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर गीले बल्ब का तापमान अपरिवर्तनीय गर्मी के चलते तनाव का कारण बन सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी को लेकर उन्हें जिस तरह के परिणाम मिले हैं उस आधार पर हमें इस साल ज्यादा गर्म मौसम के लिए तैयार रहना होगा। वहीं पशुधन और फसलों की रक्षा के लिए भी समय रहते उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
इस अध्ययन में शामिल कैलिफोर्निया बर्कले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विलियम बूस कहते हैं कि अल नीनो गर्मी और नम हवा को ऊपरी वायुमंडल में पहुंचाता है जो पृथ्वी के भूमध्य रेखा के चारों ओर फैल जाती है। वैश्विक औसत तापमान में लगातार वृद्धि अल नीनो के प्रभावों को बढ़ाती है। उन्होंने पिछले 45 साल के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के गर्मी के आंकड़ों का इस्तेमाल अपने शोध में किया है। उन्होंने कहा कि 2023 के अंत में बेहद मजबूत अल नीनो से पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में औसत दैनिक अधिकतम वेट-बल्ब तापमान लगभग 26.2 डिग्री सेल्सियस तक रह सकता है, और 68 प्रतिशत संभावना है कि इस क्षेत्र में 2024 में गर्मी के सभी रिकॉर्ड टूट सकते हैं।
IMD के वैज्ञानिकों के हाल के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत में पिछले 40 सालों (1980 से 2020) में हवा में आर्द्रता का स्तर 30 फीसदी तक बढ़ा है। इससे हीट स्ट्रेस की स्थिति बढ़ी है। 'हीट स्ट्रेस' शब्द उच्च स्तर की आर्द्रता के साथ जुड़े उच्च तापमान के संपर्क के कारण शरीर पर पड़ने वाले शारीरिक दबाव को दर्शाता है। पिछले 70 वर्षों (1951-2020) में भारत में गर्मी के तनाव का अनुभव करने वाले स्थानों की संख्या में लगभग 30-40% की वृद्धि देखी गई है।
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