नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/ विवेक तिवारी। भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम समय के साथ काफी मैच्योर और मजबूत हुआ है। पूरी दुनिया इस समय मैक्रोइकोनॉमिक मुश्किलों से गुजर रही है। इसके बावजूद मेरा मानना है कि स्टार्टअप शुरू करने के लिए इससे अच्छा समय कोई नहीं हो सकता। खुद गूगल जैसी कंपनी भी ऐसे ही दौर में बनाई गई थी। यह बात गूगल फॉर इंडिया इवेंट के दौरान गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने कही। मप्र स्टार्टअप कॉन्क्लेव में इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कम समय में देश में स्टार्टअप की दुनिया ही बदल गई है। दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम भारत में है, यूनिकॉर्न हब में भी हम एक ताकत के रूप में उभर रहे हैं। भारत में स्टार्टअप का जितना बड़ा वॉल्यूम है उतनी ही बड़ी डायवर्सिटी भी है। कमोबेश बीते कुछ सालों में भारत का स्टॉर्टअप ईकोसिस्टम मजबूत और स्वर्णिम कहानी लिख रहा है। यहीं नहीं एक समय पहले हम इस बात को लेकर जश्न मनाते थे कि सिलिकॉन वैली में अमुक स्टॉर्टअप का प्रमुख भारतीय मूल का है, लेकिन आज नया दौर है, नया भारत है जहां स्टॉर्टअप भारत के लोगों द्वारा खोले जा रहे हैं। हमारे देश में एक जमाने पहले सबसे अधिक आईटी के स्टॉर्टअप हुआ करते थे, लेकिन अब स्पेस समेत अन्य क्षेत्रों में भी स्टॉर्टअप बड़ी संख्या में खुल रहे हैं।

भारत सरकार ने देश को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में स्टार्टअप महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय युवाओं ने अपनी उद्यमिता का शानदार प्रदर्शन किया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में बताया कि भारत में स्टार्टअप का सक्सेस रेट बाकी दुनिया की तुलना में कहीं ज्यादा है। केंद्र सरकार ने स्टार्टअप को फलने-फूलने का बेहतर माहौल प्रदान करने के लिए 16 जनवरी, 2016 को स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत की थी।

स्टॉर्टअप की संख्या में 185 गुना इजाफा, यूनिकॉर्न में अमेरिका और चीन के बाद भारत

देश में मान्यता प्राप्त स्टॉर्टअप 2016 में 452 थे। ये बढ़कर 30 नवंबर, 2022 तक 84,012 हो चुके हैं। पिछले 6 सालों में स्टार्टअप की संख्या में लगभग 185 गुना इजाफा दर्ज किया गया है। वहीं अगर यूनिकॉर्न की बात करें तो भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। Hurun Global Unicorn Index 2022 के मुताबिक जनवरी से जुलाई 2022 के बीच भारत के 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न (यूनिकॉर्न उन स्टार्टअप्स को कहा जाता है जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर के पार निकल जाए) बने, जबकि इसी अवधि में चीन के सिर्फ 11 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने। यूनिकॉर्न की कुल संख्या के हिसाब से अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे नंबर पर है।

स्टॉर्टअप के मामले में मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु का दबदबा

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में सबसे ज्यादा स्टॉर्टअप शुरू हुए हैं। 2016 में जहां इनकी संख्या 86 थी वहीं 2022 में इनकी संख्या 15,571 तक पहुंच गई है। 2022 में महाराष्ट्र में स्टार्टअप ने लगभग 163,451 लोगों को रोजगार दिया जो देश में सबसे ज्यादा है। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में सबसे अधिक स्टार्टअप खुले हैं। देश में सभी सरकारी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स में से लगभग 58 प्रतिशत सिर्फ पांच राज्यों में है। महाराष्ट्र 15,571 सरकारी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के साथ टॉप पर है। कर्नाटक में 9,904, दिल्ली में 9,588, उत्तर प्रदेश में 7,719 और गुजरात में 5,877 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं।

2030 तक जीडीपी में स्टॉर्टअप की हिस्सेदारी 30 से 50 फीसदी होगी : योगेश रामनाथन

विनता एरोमोबिलिटी के सीईओ योगेश रामनाथन कहते हैं कि भारत सरकार स्टॉर्टअप को एक बेहतर माहौल देने के लिए काफी काम कर रही है। ये देश के लिए काफी अच्छा है। युवाओं के लिए भी कुछ नया कर दिखाने का एक सुनहरा अवसर है। आज भारत में एक स्टार्टअप या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रॉकेट लांच कर रही है। फ्लाइंग कार पर काम हो रहा है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि देश में स्टॉर्टअप का भविष्य काफी सुनहरा है। देश को इकोनॉमिक सुपर पावर बनाने में स्टार्टअप की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक भारतीय जीडीपी में स्टॉर्टअप की हिस्सेदारी 30 से 50 फीसदी होगी। हमें इसके हिसाब से ही तैयारी करनी होगी। सरकार को स्टॉर्टअप की फाइनेंसिंग की जरूरत का ध्यान रखना होगा। साथ ही एक बेहतर माहौल तैयार करना होगा। सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि ऐसे स्टार्टअप तैयार किए जाएं जिससे सरकार को बेहतर रेवेन्यू मिले और बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिले।

स्टॉर्टअप्स के लिए 750 करोड़ रुपये का फंड

इसी साल जुलाई में केंद्र सरकार ने ऐलान किया था वह अगली पीढ़ी के स्टार्टअप्स के लिए डिजिटल इंडिया जेनेसिस प्रोग्राम शुरू कर रही है। इनोवेटेड स्टार्टअप्स के लिए सरकार ने 750 करोड़ रुपये की समर्थन राशि का भी ऐलान किया था। सरकार ने इससे पहले साल की शुरुआत में स्टार्टअप्स के लिए एक इक्विटी फंड बनाने की बात कही थी जिसमें उसकी हिस्सेदारी 20 फीसदी तक सीमित रहेगी।

स्टॉर्टअप शुरू करने के लिए व्यवस्थित और संगठित एप्रोच की जरूरत

आईआईएम उदयपुर के इनक्यूबेशन सेंटर के सीओओ डा. सुरेश ढाका सलाह देते हैं कि नाइक के कोट से खुद को प्रेरित करना चाहिए- जस्ट डू इट और अपनी उद्यमिता की यात्रा शुरू करनी चाहिए। लेकिन बिजनेस को लंबे समय तक सफलतापूर्वक चलाने के लिए एक व्यवस्थित और संगठित एप्रोच की जरूरत है जिसे विकसित करना बेहद जरूरी है। डा. सुरेश ढाका कहते हैं कि एक स्टार्टअप की यात्रा उतनी आसान नहीं है जितनी लगती है। ग्राहक की जरूरतों को न समझ पाना, इनोवेशन में कमी, सही लोगों को नियुक्त न करना और लीडरशिप गैप स्टॉर्टअप की विफलता के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। इसलिए प्रबंधन जरूरी है। मैनेजमेंट आपको साथ-साथ कंपनी चलाने और उसे आगे बढ़ाने की तकनीक, टूल्स से लैस करता है। यह कौशल कंपनी के प्रबंधन और उसे लांच करने में सहायक साबित होता है। एक उद्यमी के रूप में, आपको अपनी कंपनी को विकास के चरण तक ले जाने के लिए वास्तव में कौशल के व्यापक सेट की आवश्यकता है।

सरकार ने बनाया फंड

सरकार ने स्टार्टअप की वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लगभग 10000 करोड़ रुपये का एक फंड बनाया है। इस फंड के जरिए डीपीआईआईटी और एफएफएस तथा लघु उद्योग विकास बैंक सिडबी स्टार्टअप को वित्तीय मदद उपलब्ध कराते हैं। वहीं सरकार घरेलू नए वेंचर कैपिटल फंड को भी बढ़ावा दे रही है।

भारत ने देश में स्टॉर्टअप को एक बेहतर माहौल दिया : रवि कौशिक

एयर्थ रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ रवि कौशिक कहते हैं कि सरकार ने देश में स्टॉर्टअप को एक बेहतर माहौल दिया है। हर आईआईटी में इनक्यूबेशन सेंटर बने हैं जहां उद्यमिता के क्षेत्र में जाने की चाह रखने वाले युवाओं को काफी मदद मिल जाती है। यहां टेक्निकल और बिजनेस मेंटरशिप भी मिल जाती है। ये पहले बहुत बड़ा गैप था लेकिन अब ये आसान हो गया है। वहीं सरकार के कई विभागों से स्टार्टअप को काफी तरह के फंड और सहयोग दिए जा रहे हैं। यहां छोटे से लेकर बड़ा ग्रांट या लोन मिल जाता है। बिजनेस शुरू करना काफी आसान हो जाता है। सरकार स्टॉर्टअप को रेपो रेट पर ही लोन दे रही है जिससे स्टॉर्टअप शुरू करने वाले युवाओं को काफी मदद मिल रही है।

स्टॉर्टअप को यूनिकॉर्न बनने में छह माह का समय

भारत में स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने के लिए कम से कम 6 महीने और अधिकतम समय 26 वर्ष लगता है। वित्त वर्ष 2016-17 तक हर साल देश में लगभग एक यूनिकॉर्न तैयार होता था। पिछले चार वर्षों में (वित्त वर्ष 2017-18 के बाद से) यह संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल अतिरिक्त यूनिकॉर्न की संख्या सालाना आधार पर 66 फीसदी बढ़ी है। इसके साथ ही देश में अब तक 104 यूनिकॉर्न तैयार हो चुके हैं। हालांकि दिसंबर में आई एक रिपोर्ट में यूनिकॉर्न स्टॉर्टअप की संख्या घटकर 85 होने की बात कही गई है।

विनियामक सुधार

सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने, पूंजी जुटाना आसान बनाने और स्टार्टअप के लिए बेहतर माहौल तैयार करने के लिए 2016 से अब तक 50 से ज्यादा नियमों में सुधार किए हैं।

स्टॉर्टअप की मदद के लिए उठाए गए कदम

सरकार की ओर से स्टार्टअप की मदद के लिए गवर्मेंट ई मार्केटप्लेस (जेम) स्टार्टअप रनवे विकसित किया गया है। ये सरकार को सीधे उत्पादों और सेवाओं को बेचने के लिए एक प्लेटफॉर्म है।

श्रम और पर्यावरण के सर्टिफिकेट हुए आसान

स्टार्टअप शुरू करने के लिए 3 से 5 साल तक की अवधि के लिए 9 श्रम और 3 पर्यावरण कानूनों के तहत स्व प्रमाण के आधार पर अनुमति दी जा रही है।

3 साल के लिए आयकर में छूट

1 अप्रैल 2016 के बाद से लगाए गए स्टार्टअप को आयकर में तीन साल की छूट का विकल्प दिया जा रहा है। ये छूट ऐसे स्टार्टअप को मिल सकेगी जिन्हें अंतर मंत्रालयी बोर्ड का प्रमाण पत्र प्राप्त है। उन्हें स्टार्टअप लगाए जाने से लेकर 10 साल तक की अवधि में लगातार 3 सालों के लिए आयकर में छूट मिलती है।

स्टॉर्टअप इंडिया हब

सरकार ने 19 जून 2017 को एक स्टार्टअप इंडिया ऑनलाइन हब का शुभारंभ किया है जो भारत में उद्यमिता परिवेश के सभी हितधारकों के लिए अपनी तरह का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, ताकि वो एक दूसरे का पता लगा सकें और आपस में जुड़ कर एक दूसरे के विकास के लिए काम कर सकें।

स्टॉर्टअप इंडिया शोकेस

इस स्कीम के तहत स्टार्टअप का एक वर्चुअल प्रोफाइल बनाया जाता है। ये डीपीआईआईटी और स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से चुने गए देश के सर्वाधिक संभावना वाले स्टार्टअप के लिए एक ऑनलाइन डिस्कवरी प्लेटफॉर्म है। इस प्लेटफॉर्म पर दर्शाए गए स्टार्टअप अपने क्षेत्र में सर्वोत्तम स्टार्टअप के रूप में उभरे हैं।

राष्ट्रीय स्टॉर्टअप सलाहकार परिषद

सरकार ने नए प्रयोग और स्टॉर्टअप को बढ़ावा देने के लिए और एक बेहतर माहौल तैयार करने के लिए सरकार को सलाह देने के लिए जनवरी 2020 में एक राष्ट्रीय स्टार्टअप परिषद बनाई। इसमें कई सारे सरकारी एक्सपर्ट के साथ इंडस्ट्री के लोगों को भी रखा गया है।

स्टॉर्टअप इंडिया सीड फीडिंग स्कीम

स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स, स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम, और स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम स्टार्टअप्स को उनके बिजनेस साइकिल के विभिन्न चरणों में सहायता प्रदान करते हैं। स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम को 2021-22 से चार साल के लिए मंजूरी दी गई है और इसे 945 करोड़ रुपये के फंड के साथ लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट, प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, प्रोडक्ट ट्रायल्स, मार्केट एंट्री और कमर्शियलाइजेशन के लिए स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।