Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सड़क सुरक्षा की सबसे कमजोर कड़ी को सुधारने की तैयारी, अफसरों की ट्रेनिंग में जुटा सड़क परिवहन मंत्रालय

    मोटर वाहन अधिनियम में दो साल पहले किए गए कुछ कड़े प्रविधानों के बावजूद सड़क हादसों में दो पहिया वाहन चालकों और सवारों की जान जाने का सिलसिला कायम रहने के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़क सुरक्षा के इस सबसे अहम पहलू पर ध्यान दे रहा है।

    By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 28 Oct 2022 08:58 PM (IST)
    Hero Image
    सड़क सुरक्षा की सबसे कमजोर कड़ी को सुधारने की तैयारी। फाइल फोटो।

    मनीष तिवारी, नई दिल्ली। मोटर वाहन अधिनियम में दो साल पहले किए गए कुछ कड़े प्रविधानों के बावजूद सड़क हादसों में दो पहिया वाहन चालकों और सवारों की जान जाने का सिलसिला कायम रहने के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़क सुरक्षा के इस सबसे अहम पहलू पर नए सिरे से ध्यान दे रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लगातार बढ़ रही है हादसों की संख्या

    दो साल पहले मोटर वाहन कानून में संशोधन के जरिये सड़क सुरक्षा के लिहाज से सुधार की जो कल्पना की गई थी वह पूरी नहीं हुई। इसके विपरीत हादसों की संख्या भी बढ़ी और उसमें जान गंवाने वालों की भी। इस पर अंकुश लगाने के लिए मंत्रालय नियम-कायदों के क्रियान्वयन की रफ्तार तेज करना चाहता है, क्योंकि असली समस्या इस पहलू को बहुत हल्के में लेने की है।

    सड़क हादसे में हर साल होती है डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौत

    देश में सड़क हादसों में हर साल डेढ़ लाख से अधिक लोगों की जान जाती है, जिसमें लगभग आधा हिस्सा दो पहिया वाहन चालकों और उसमें सवार लोगों का है, लेकिन सड़क सुरक्षा के ज्यादातर अभियान कार और ट्रक जैसे वाहनों से होने वाले हादसों को रोकने पर केंद्रित रहते हैं। दो पहिया वाहनों के सवारों का हादसों में घायल होने का आंकड़ा इससे भी बड़ा है और इसका कोई अनुमान भी नहीं है कि ऐसे लोगों का शेष जीवन कैसा बीतता है।

    सड़क परिवहन मंत्रालय कर रहा है प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

    दो पहिया वाहन चालकों की सुरक्षा को सबसे अधिक प्राथमिकता देने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय रोड सेफ्टी मैनेजमेंट कार्यक्रम के तहत राज्यों के पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहा है। इंस्टीट्यूट आफ रोड ट्रांसपोर्ट एजुकेशन (आइआरटीई) में चल रहे आनलाइन कार्यक्रम में 11 राज्यों से सड़क इंजीनियरिंग, ट्रांसपोर्ट और पुलिस अधिकारियों को यह बताया गया है कि दो पहिया वाहन चालकों की सु्रक्षा का मतलब केवल हेलमेट पहनना अनिवार्य बनाना अथवा तीन सवारी प्रतिबंधित करना नहीं है।

    वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए नहीं बना कोई सिस्टम

    मालूम हो कि कई अध्ययन यह बताते हैं कि हर साल औसतन जिन डेढ़ लाख दो पहिया वाहन सवारों की दुर्घटनाओं में जान जाती है उसमें हेड इंजरी ही एकमात्र कारण नहीं है। असली वजह दो पहिया वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए बने नियमों के अनुपालन में कमी है। राज्यों में पुलिस और ट्रैफिक अधिकारी नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई करना तो दूर, दो पहिया वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए सिस्टम भी नहीं बना सके हैं।

    देश में हैं 30 करोड़ गाड़िया

    देश में तीस करोड़ गाड़िया हैं, जिनमें 74 प्रतिशत टू व्हीलर हैं, लेकिन उनके लिए अलग लेन के नियम का कहीं भी पालन नहीं होता और न ही यह देखा जाता है कि हेलमेट की क्वालिटी का स्तर क्या है और स्ट्रैप सही तरह बांधा गया है या नहीं। ड्राइवरों के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली कितनी फूल प्रूफ है, उनके प्रशिक्षण का क्या स्तर है।

    11 राज्यों के अधिकारियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

    सड़क परिवहन मंत्रालय की पहल पर रोड सेफ्टी मैनेजमेंट कार्यक्रम का संचालन कर रहे आइआरटीई के प्रेसिडेंट और सड़क सुरक्षा के विशेषज्ञ रोहित तलेजा के अनुसार भारत के समक्ष मलेशिया का उदाहरण है, जहां कुल गाड़ियों में 78 प्रतिशत टू व्हीलर हैं। वहां हर हाईवे में दो पहिया वाहनों के लिए अलग लेन है। हमारे यहां भी इन्फोर्समेंट बहुत जरूरी है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत 11 राज्यों के अधिकारियों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि उन्हें रोड सेफ्टी मैनेजमेंट में कैसे आपस में समन्वय कायम करना है और सड़कों, विशेषकर हाईवे निर्माण की तेज रफ्तार तथा उनकी चौड़ाई बढ़ाए जाने के बीच सड़क सुरक्षा के प्रविधानों पर अमल सुनिश्चित कराना है।

    यह भी पढ़ें- कागजों से सड़क पर नहीं पहुंच पाया संशोधित मोटर वाहन कानून, सिर्फ बदला संदेश

    यह भी पढ़ें- UK के विदेश मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ दिखाई एकजुटता, मुंबई आतंकी हमले के पीड़ितों को किया याद