दिल्ली की हवा में मौजूद पीएम 2.5 हैं बेहद घातक, बढ़ रहा कई बीमारियों का खतरा

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। लेकिन चीन और यूरोप की तुलना में भारत के शहरों का वायु प्रदूषण पांच गुना ज्यादा घातक है। हाल ही...और पढ़ें
विवेक तिवारी जागरण न्यू मीडिया में एसोसिएट एडिटर हैं। लगभग दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार् ...और जानिए
नई दिल्ली, विवेक तिवारी। दिल्ली में पिछले लगभग एक महीने से हवा में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है। वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। लेकिन चीन और यूरोप की तुलना में भारत के शहरों का वायु प्रदूषण पांच गुना ज्यादा घातक है। हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के शोधकर्ताओं ने पाया कि भारतीय शहरों के वायु प्रदूषण में मौजूद पीएम 2.5 की ऑक्सीजन से क्रिया करने की क्षमता यूरोप और चीन के वायु प्रदूषण की तुलना में पांच गुना ज्यादा है। ऐसे में हवा में मौजूद प्रदूषक कण सांस के साथ शरीर में जा कर वहां मौजूद ऑक्सीजन से क्रिया कर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ाते है। ऐसे में फेफड़े, दिल सहित अन्य अंगों को नुकसान पहुंचता है और बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों ने एरोसोल मास स्पेक्ट्रोमेट्री तकनीक और डेटा एनालिटिक्स के जरिए दिल्ली के अंदर और बाहर पांच इंडो-गंगा मैदानी स्थलों पर अध्ययन किया। नेचर जनरल में प्रकाशित इस शोध में पाया गया कि पूरे क्षेत्र में समान रूप से हवा को प्रदूषित करने वाले प्रदूषक कण उच्च सांद्रता में मौजूद हैं। लेकिन स्थानीय उत्सर्जन स्रोतों और चल रहे निर्माण कार्यों के कारण प्रदूषक कणों की रासायनिक संरचना में काफी भिन्नता है। ऐसे में दिल्ली के आसपास हवा में मौजूद प्रदूषक कण या पर्टीकुलेटेड मैटर अन्य जगहों की तुलना में स्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरनाक हैं। दिल्ली के अंदर, अमोनियम क्लोराइड और कार्बनिक एरोसोल सीधे गाड़ियों के धुएं, घरों में जलने वाले ईंधन के प्रदूषण और वायुमंडल में उत्पादित जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन के ऑक्सीकरण उत्पादों से उत्पन्न होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए सामान्य पर्टीकुलेटेड मैटर या प्रदूषक तत्वों से ज्यादा खतरनाक हैं।
इसके विपरीत, दिल्ली के बाहर गंगा के अन्य तराई क्षेत्रों में होने वाले वायु प्रदूषण में प्रमुख रूप से अमोनियम सल्फेट और अमोनियम नाइट्रेट, साथ ही बायोमास जलने से बनने वाले कार्बनिक एरोसोल हैं । अध्ययन में पाया गया कि बायोमास और जीवाश्म ईंधन के अधूरे जलने से कार्बनिक एरोसोल, जिसमें गाड़ियों का धुआं भी शामिल है, पीएम ऑक्सीडेटिव क्षमता में प्रमुख योगदानकर्ता हैं, जो इस क्षेत्र में पीएम से जुड़े स्वास्थ्य प्रभावों को बढ़ाता है।
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