मार्च में ही हीटवेव का रेड अलर्ट, इस साल लम्बा रह सकता है गर्मी का मौसम

मौसम विभाग के मुताबिक मार्च के दूसरे सप्ताह में ही देश के कुछ हिस्सों में हीटवेव जैसी स्थिति बन गई है। गुजरात और राजस्थान के कुछ इलाकों में अधिकतम ताप...और पढ़ें
विवेक तिवारी जागरण न्यू मीडिया में एसोसिएट एडिटर हैं। लगभग दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार् ...और जानिए
नई दिल्ली, विवेक तिवारी। मौसम विभाग के मुताबिक मार्च के दूसरे सप्ताह में ही देश के कुछ हिस्सों में हीटवेव जैसी स्थिति बन गई है। गुजरात और राजस्थान के कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। वहीं ओडिशा, विदर्भ, कोंकण और गोवा के अलग-अलग इलाकों में भी गर्म हवाएं चल रही हैं। 13 और 14 तारीख को विदर्भ में और 13-15 मार्च को ओडिशा में हीटवेव चलने की आशंका है। गुजरात के कुछ हिस्सों में हीटवेव को लेकर रेड अलर्ट भी घोषित किया गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक पिछली गर्मियों में भारत में (सभी राज्यों में अलग अलग दिनों को जोड़ कर) 536 हीटवेव के दिन दर्ज किए गए थे, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक थे। वहीं हाल में देश के दस बड़े शहरों में किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि एक दशक में हर साल हीटवेव से औसतन 1116 मौतें हुईं। वैज्ञानिकों के मुताबिक हर साल बढ़ती गर्मी से आने वाले दिनों में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात पैदा होंगे। इसके लिए हमें अभी से तैयारी करनी होगी। मौसम वैज्ञानिक इस साल गर्मी का मौसम लम्बा रहने की संभावना भी जता रहे हैं। देश के कई इलाकों में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है।
गुजरात के कच्छ में नमक के कारोबार से जुड़े कारोबारी भरत रावल कहते हैं कि कच्छ में अचानक से तापमान 40 से 42 डिग्री तक पहुंच गया। इससे काफी मुश्किलें बढ़ गई हैं। ये असामान्य है। तापमान में आए इस बदलाव से बहुत से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गुजरात के कई जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। सुबह 11 बजे ही तापमान 38 से 39 डिग्री के करीब पहुंच जा रहा है। राजस्थान के कारोबारी और लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष घनश्याम जी ओझा कहते हैं कि बाड़मेर और जैसलमेर में तापमान पहले ही 40 डिग्री के करीब पहुंच चुका है। वहीं राजस्थान के ज्यादारत हिस्सों में तापमान 37 से 38 डिग्री तक पहुंच रहा है। पिछले कुछ सालों से मार्च में इतना तापमान दर्ज किया जा रहा है। ये साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा करता है। तापमान पर लगाम लगाने के लिए बड़े पैमाने पर नीति बनाने की जरूरत है।
वैज्ञानिकों को अपने अध्ययन में हीटवेव के प्रभाव के चलते दैनिक मृत्यु दर बढ़ने के पर्याप्त सबूत मिले हैं। लम्बे समय तक हीटवेव रहने पर मृत्यु दर में तेज वृद्धि देखी जाती है। अध्ययन में शामिल एनआरडीसी इंडिया के लीड, क्लाइमेट रेजिलिएंस एंड हेल्थ, अभियंत तिवारी कहते हैं कि हमने 2008 से 2019 के बीच देश के दस बड़े शहरों में अध्ययन किया। हमने पाया कि हर साल औसतन 1116 लोगों की हीटवेव के चलते जान गई। उन्होंने कहा कि हर साल बढ़ती गर्मी आने वाले समय में बड़ी मुश्किल पैदा कर सकती है। हमें इसके लिए आज से ही तैयारी करनी होगी। हीटवेव जैसी स्थिति में आम लोगों को राहत पहुंचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। वहीं दीर्घकालिक योजना पर भी काम करना होगा। बढ़ती गर्मी का असर इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों, इंडस्ट्री, अर्थव्यवस्था सभी पर पड़ता है। ऐसे में तत्काल उठाए जाने वाले कदमों में गर्मी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करनी होंगी। बच्चे, बूढ़े और ऐसे लोग जिन्हें विशेषतौर पर देखभाल की जरूरत है, उनका ख्याल रखना होगा। दीर्घकालिक योजनाओं के तहत हमें ग्रीन कवर बढ़ाना होगा, जलाशयों की संख्या बढ़ानी होगी, कंक्रीट के इस्तेमाल को घटाना होगा। शहरों में गर्मियों में अर्बन हीटलैंड बन जाते हैं, वहां तापमान कम करने के लिए कदम उठाने होंगे।
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