दुनियाभर में इन 10 नौकरियों की डिमांड, कैशियर और क्लर्क जैसी जॉब्स हो रहीं खत्म; क्या स्किल बदलने को तैयार हैं आप?
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट-2025 के अनुसार 2030 तक 7.8 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी। भारतीय कंपनियां एडवांस टेक्नोलॉजी एआई और रोबोटिक्स में तेजी से निवेश कर रही हैं। दुनियाभर में 10 नौकरियां सबसे ज्यादा डिमांड में होंगी जिनमें AI बिग डेटा और सस्टेनेबल एनर्जी स्पेशलिस्ट शामिल हैं। कैशियर क्लर्क और ग्राफिक डिजाइन जैसी पारंपरिक भूमिकाएं खत्म हो सकती हैं...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय नियोक्ता नई टेक्नोलॉजी को अपनाने में दुनिया भर में सबसे आगे हैं। इस साल 35 फीसदी भारतीय कंपनियां सेमीकंडक्टर्स और एडवांस कम्प्यूटिंग अपनाएंगी। 21 फीसदी कंपनियां क्वांटम और एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी की मदद से ऑपरेशन्स बदलाव की उम्मीद कर रही हैं।
न्यू टेक्नोलॉजी से साल 2030 तक दुनिया भर में 7.8 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी। प्रशासनिक सहायक, कैशियर, क्लर्क और ग्राफिक्स डिजाइन समेत कई पारंपरिक नौकरियां खत्म भी हो जाएंगी। हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट- 2025' नाम से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह दावा किया गया है।
तस्वीर को जनरेटिव एआई द्वारा बनाया गया है।
फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट- 2025 के मुताबिक, 2030 तक भारत में नौकरियों का भविष्य अलग-अलग देशों के बीच तनाव, डिजिटल एक्सेस और जलवायु परिवर्तन रोकने के प्रयासों के चलते प्रभावित होगा।
फ्यूचर ऑफ जॉब्स: क्या बदलेगा?
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक दुनिया भर में 22 प्रतिशत नौकरियों में बदलाव देखने को मिलेगा। 17 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी तो वहीं 9.2 करोड़ मौजूदा भूमिकाएं खत्म भी हो जाएंगी। कुल मिलाकर 7.8 करोड़ नौकरियों में इजाफा होगा।
डिमांड में नए जॉब्स रोल्स
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि भारतीय कंपनियां AI रोबोटिक्स ऑटोनॉमस सिस्टम व नए जमाने की ऊर्जा तकनीक में आक्रामक तरीके से निवेश कर रही हैं। देश में तेजी से बढ़ते नए तरह के जॉब्स रोल्स संकेत देते हैं कि अब एआई, बिग डेटा स्पेशलिस्ट्स, मशीन लर्निंग स्पेशलिस्ट्स और सिक्योरिटी मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है।
डिग्री नहीं, टैलेंट जरूरी
किसी भी काम में डिग्री से ज्यादा हुनर जरूरी है। 67 फीसदी भारतीय कंपनियां टैलेंट की जरूरतें पूरी करने के लिए विविध टैलेंट पूल का इस्तेमाल करने की प्लानिंग कर रही हैं।
अगर दुनियाभर की बात करें तो यह आंकड़ा 47 फीसदी है। इतना ही नहीं, देश में 30 प्रतिशत भारतीय नियोक्ता डिग्री की जरूरत को हटाकर स्किल्स-बेस्ड हायरिंग करने की रणनीति अपना रही हैं, जोकि वैश्विक औसत 19 फीसदी से अधिक है।
बदलनी पड़ सकती है स्किल
देश में अभी स्किल्स गैप देखने को मिल रहा है। यानी जिस तरह के टैलेंट की जरूरत है, कंपनियों को वैसे लोग नहीं मिल रहे हैं। इस कारण बिजनेस को नए जमाने के हिसाब से ढालने में बड़ी चुनौती है। ऐसे में आपको भी स्किल बदलने पड़ सकती है, इसकी संभावना अब 40 फीसदी तक पहुंच गई है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 63 प्रतिशत नियोक्ता स्किल्स गैप को बड़ी चुनौती मान रहे हैं। ऐसे में साफ है कि जॉब में सर्वाइवल करने और ग्रोथ के लिए कर्मचारियों को स्किल बदलनी पड़ सकती है।
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जेनरेटिव AI के चलते तेजी कम हो रहीं ये नौकरियां
- ग्राफिक डिजाइनर
- कैशियर
- प्रशासनिक सहायक
- क्लर्क
जेनरेटिव एआई के चलते पारंपरिक नौकरियां तेजी से कम होंगी, क्योंकि इनकी मांग लगातार घट रही है।
इन नौकरियों की डिमांड बढ़ी
एआई और अक्षय ऊर्जा की प्रगति एक्सपर्ट रोल्स डिमांड बढ़ रही है। कृषि श्रमिकों, हल्के ट्रक या डिलीवरी सर्विस ड्राइवर, मजदूरों, सिक्योरिटी मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट, सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन डेवलपर्स जैसी भूमिकाओं में नौकरी बढ़ेगी। फ्रंटलाइन रोल्स, हेल्थकेयर व एजुकेशन भी डिमांड भी बढ़ रही है।
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Source:
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट - https://www.weforum.org/publications/the-future-of-jobs-report-2025/in-full/
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