मिशन 2024: नेशनल इंडेक्स दिखाएगा गांवों में परिवर्तन की पूरी तस्वीर, पंचायती राज मंत्रालय ने शुरू की प्रक्रिया
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि तमिलनाडु कैडर की सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी जयश्री रघुनंदन के नेतृत्व में एक समिति का गठन कर दिया गया है। यह समिति ही नेशनल इंडेक्स तैयार कराएगी। सबसे पहले महाराष्ट्र की 100 ग्राम पंचायतों का इंडेक्स पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तैयार किया जाएगा।

नई दिल्ली, जितेंद्र शर्मा। गांवों के विकास को अपनी प्राथमिकता बताने वाली मोदी सरकार पहली बार ग्राम पंचायतों का नेशनल इंडेक्स तैयार कराने जा रही है। पंचायतीराज मंत्रालय ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
महाराष्ट्र से शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
महाराष्ट्र की 100 ग्राम पंचायतों के इंडेक्स को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तैयार किया जाएगा, जिसके लिए समिति भी गठित कर दी गई है। इससे न सिर्फ सतत विकास लक्ष्यों के मानकों पर ग्राम पंचायतों को परखने में सहूलियत होगी, बल्कि सरकार के पास लोकसभा चुनाव से पहले देशभर के ग्रामीण क्षेत्र की तथ्य आधारित रिपोर्ट भी होगी, जिसके आधार पर वह बता सकेगी कि गांवों में कितना परिवर्तन आया।
आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार चला रही है कई योजनाएं
ग्राम पंचायतों को पारदर्शी बनाकर सुशासन का संदेश पहुंचाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है और उनकी निगरानी भी की जा रही है। राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों की प्रतिस्पर्धा पंचायतों के प्रदर्शन के आकलन के लिए ही है, लेकिन अब इस दिशा में और आगे का कदम बढ़ाते हुए पहली बार देशभर की ग्राम पंचायतों का नेशनल इंडेक्स बनाने का निर्णय लिया गया है।
क्या है नेशनल इंडेक्स तैयार करने का फार्मूला
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि तमिलनाडु कैडर की सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी जयश्री रघुनंदन के नेतृत्व में एक समिति का गठन कर दिया गया है। यह समिति ही नेशनल इंडेक्स तैयार कराएगी। सबसे पहले महाराष्ट्र की 100 ग्राम पंचायतों का इंडेक्स पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तैयार किया जाएगा। फिर उसी फार्मूले के आधार पर सभी राज्यों की ग्राम पंचायतों का आकलन कर इंडेक्स बनाया जाना प्रस्तावित है। इसमें राज्यों का भी सहयोग लिया जाएगा।
गांवों के विकास और परिवर्तन की विधिवत रिपोर्ट
सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र का इंडेक्स संभवत: डेढ़-दो माह में तैयार हो जाएगा और नेशनल इंडेक्स 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के हाथ में होगा। प्रत्यक्ष तौर पर यह गांवों के विकास और परिवर्तन की विधिवत रिपोर्ट तैयार करने के लिए है, लेकिन इसके राजनीतिक उद्देश्यों से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत जुटाए जाएंगे आंकड़े
दरअसल, इंडेक्स तैयार करने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत से वह आंकड़े जुटाए जाएंगे कि गांवों में केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के कितने लाभार्थी हैं, महिलाएं कितनी सशक्त हुईं, स्वयंसहायता समूहों से कितनी महिलाएं जुड़ी हैं, आधारभूत सुविधाओं में कितना विकास हुआ, रोजगार के अवसर कितने सृजित हुए।
यह तमाम तथ्य होंगे, जिनके आधार पर सरकार न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र के और विकास के लिए आगे का रोडमैप तैयार कर सकेगी, बल्कि फीडबैक के आधार पर चुनावी रणनीति बनाना आसान होगा और जनता के बीच तथ्यों के आधार गांवों के बदलाव की तस्वीर भी प्रस्तुत कर सकेगी।
यहां उल्लेखनीय यह भी है कि सरकार ने चुनावी वर्ष को ध्यान में रखते हुए गांवों पर अपनी नजरें पहले से ज्यादा गहरी जमा दी हैं। हाल ही में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए केंद्रीय योजनाओं पर आधारित नौ अभियान भी शुरू किए हैं, जो कि चुनाव से पहले यानी अगस्त 2023 तक चलेंगे।
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