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    बंगाल में क्यों दुर्घटना का शिकार हुई सिकंदराबाद-शालीमार ट्रेन? जांच में हुआ बड़ा खुलासा

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 08:30 PM (IST)

    नवंबर 2024 में बंगाल के नालपुर स्टेशन पर सिकंदराबाद-शालीमार सुपरफास्ट एक्सप्रेस के पटरी से उतरने का कारण 30 साल पुराना सिग्नल सिस्टम था। जांच में सिग्नलिंग प्रणाली का खराब रखरखाव सामने आया। रिले रूम में मरम्मत के दौरान सिग्नल अनुरक्षक के शरीर के सिग्नल उपकरण से टकराने से गलती से कमांड भेजा गया।

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    पश्चिम बंगाल में सिकंदराबाद-शालीमार ट्रेन दुर्घटना की जांच रिपोर्ट। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रेलवे की जांच में पता चला कि नवंबर 2024 में बंगाल के नालपुर स्टेशन पर तीन दशक से अधिक पुराने सिग्नल सिस्टम के कारण सिकंदराबाद-शालीमार सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गई थी। जांच से सिग्नलिंग प्रणाली का खराब रखरखाव भी उजागर हुआ।

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    घटना के तुरंत बाद रेलवे अधिकारियों ने कहा था कि जब ट्रेन का इंजन मेन लाइन पर चल रहा था और ट्रैक बदलने वाले प्वाइंट (प्वाइंट संख्या 26) को पार कर रहा था, तभी इंटरलॉकिंग सिस्टम को अचानक दिए गए कमांड के कारण ट्रेन के कोच दूसरी लाइन की ओर मुड़ गए, जिससे तीन डिब्बे पटरी से उतर गए। इस घटना में कोई यात्री घायल नहीं हुआ।

    जांच में क्या आया सामने?

    • जांच में पाया गया कि सिग्नलिंग प्रणाली को कमांड गलती से भेजा गया था, क्योंकि रिले रूम में अन्य लाइन सिग्नल (रिले रैक 2) की मरम्मत करते समय सिग्नल अनुरक्षक के शरीर का कोई अंग अनजाने में सिग्नल उपकरण (रैक 1 का लैच रिले) से टकरा गया था।
    • पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र के उप मुख्य सुरक्षा अधिकारी (सिग्नल और टेलीकाम), मनीष कुमार के अनुसार, रिले रैक 2 और रिले रैक 1 के बीच केवल 84.5 सेंटीमीटर की दूरी है।
    • मनीष ने कहा कि जांच में पाया गया कि प्वाइंट संख्या 26बी के लिए प्रयुक्त के-50 रिले का निर्माण सितंबर 1989 में किया गया था तथा मार्च 1999 में नालपुर में इसे चालू किया गया था।
    • नालपुर में रिले रूम के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि रिले को रिले रैक पर होल्ड करने के लिए दिए गए दो स्क्रू में से केवल एक शीर्ष स्क्रू को ही कसकर लगाया गया था और कोई निचला स्क्रू नहीं था।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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