मुफ्ती ने अलगाववादी नेता को रिहा किया, भाजपा ने दी चेतावनी
जम्मू-कश्मीर की मुफ्ती सरकार ने कश्मीर पर दहशतगर्दी के काले साए को बढ़ाने वाले कदम के तहत जेलों में बंद अलगाववादियों को रिहा करना शुरू कर दिया है। मुफ्ती मुहम्मद सईद ने शनिवार को इसका आगाज कट्टरपंथी अलगाववादी और हुर्रियत के एक धड़े के नेता रहे मसर्रत आलम को रिहा
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर की मुफ्ती सरकार ने कश्मीर पर दहशतगर्दी के काले साए को बढ़ाने वाले कदम के तहत जेलों में बंद अलगाववादियों को रिहा करना शुरू कर दिया है। मुफ्ती मुहम्मद सईद ने शनिवार को इसका आगाज कट्टरपंथी अलगाववादी और हुर्रियत के एक धड़े के नेता रहे मसर्रत आलम को रिहा कर किया। आलम के बाद अब जेल में गत दो दशकों से बंद जमायतुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर डॉ. कासिम फख्तू की रिहाई की भी अटकलें तेज हो गई हैं। डॉ. कासिम कश्मीर की प्रमुख महिला अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी के पति हैं। भाजपा ने मुख्यमंत्री के इस आदेश पर कड़ा एतराज जताते हुए गठबंधन खतरे में पडऩे की धमकी तक दे दी है।
विदित हो कि दो दिन पहले मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने जम्मू में एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्य पुलिस महानिदेशक को जेलों में बंद ऐसे सभी कश्मीरी अलगाववादी नेताओं व आतंकियों को रिहा करने को कहा था। भाजपा के सहयोग से सरकार गठन के साथ ही मुफ्ती ने पहले ही दिन चुनाव में जीत का श्रेय पाकिस्तान और आतंकियों को दे डाला था। उसके बाद बाद पीडीपी विधायकों ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के अवशेष मांगे थे।
डीजीपी के. राजेंद्र ने बताया कि बारामुला जेल में बंद जम्मू-कश्मीर मुस्लिम कांफ्रेंस के प्रमुख 44 वर्षीय मसर्रत आलम को रिहा किया जा चुका है। दस लाख रुपये के ईनामी रहे आलम को जेल से शहीदगंज पुलिस स्टेशन ले जाया गया जहां उसे उसके परिजनों के सुपुर्द किया गया। डीजीपी ने कहा कि पुलिस मुख्यमंत्री मुफ्ती के आदेशों का पालन करते हुए उसे रिहा कर रही है। हालांकि, आईजी अब्दुल गनी मीर ने आलम की रिहाई में किसी राजनीतिक दबाव से इन्कार कर कहा कि उसे अदालत के आदेश पर छोड़ा है।
चलाई थी गो-इंडिया-गो की मुहिम
जम्मू-कश्मीर मुस्लिम कांफ्रेंस के प्रमुख मसर्रत आलम ने ही वर्ष 2008 में श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान कश्मीर में 'रगड़ा-रगड़ा भारत रगड़ा' और 2010 के ङ्क्षहसक प्रदर्शनों का संचालन करते हुए 'गो-इंडिया-गो'की मुहिम चलाई थी। 2010 में कश्मीर में हुए ङ्क्षहसक प्रदर्शनों का मुख्य सूत्रधार मसर्रत आलम कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादियों की अग्रणी जमात का प्रमुख नेता है। आलम को पुलिस ने बड़ी मुश्किल से 18 अक्टूबर 2010 को श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र हारवन से पकड़ा था। उस समय उसके पास से 40 लाख रुपये नकद मिले थे। अपनी गिरफ्तारी के समय से ही जेल में था और इस दौरान उस पर छह बार जन सुरक्षा अधिनियम पीएसए लगाया गया। हर बार अदालत ने पीएसए हटाने के निर्देश दिए।
गठबंधन को होगा खतरा: भाजपा
मुफ्ती सरकार के इस कदम से नाराज भाजपा के युवा मोर्चा के प्रमुख और नौशेरा से विधायक रविंदर रैना ने कहा है कि अलगाववादियों को छोडऩे का फैसला कर मुफ्ती अपने सहयोगी दल भाजपा के साथ अच्छा नहीं कर रहे। यह गठबंधन को खतरे में डाल सकता है। हम ये फैसला कभी स्वीकार नहीं कर सकते। आतंकियों को रिहा कर उनका पुनर्वास कराना न्यूनतम साझा कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों का भी मानना है कि इस फैसले से जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है।
मुफ्ती की नागरिकता पर सवाल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र आर्गेनाइजर ने एक लेख में भारतीय जनता पार्टी को कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से पूछे कि वह भारतीय नागरिक हैं या नहीं। सीबीआइ के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह ने अपने लेख में कहा कि मुफ्ती राज्य के चुनाव के लिए पाकिस्तान और आतंकियों को धन्यवाद देकर दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते।
मलिक की रैली के बाद हिंसा
अलगाववादी संगठन जेकेएलएफ के अध्यक्ष मुहम्मद यासीन मलिक ने मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के निर्वाचन क्षेत्र अनंतनाग में रैली की। मलिक की रैली के बाद अनंतनाग में हिंसा हुई। हिंसक भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा। मलिक समर्थकों के पथराव में अनंतनाग के पुलिस थाना प्रभारी भी घायल हो गए। मुफ्ती 1990 में जब केंद्रीय गृहमंत्री थे तो जेकेएलएफ ने ही उनकी छोटी बेटी डॉ. रुबिया सईद का अपहरण किया था। उसकी रिहाई के लिए जेकेएलएफ के पांच नामी आतंकी कमांडरों को रिहा करना पड़ा था।
उमर अब्दुल्ला ने भी किया आलम की रिहाई का विरोध
श्रीनगर। नेशनल कांफ्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अलगाववादी नेता मशर्रत आलम की रिहाई का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आलम पर संगीन आरोप लगे थे। ये कहना सरासर झूठ है कि उस पर कोई मामला दर्ज ही नहीं हुआ था।
उमर ने ट्वीट कर बताया कि अलगाववादी नेता आलम पर संगीन आरोप लगे थे जिसमें देश के खिलाफ युद्ध छेडऩा और साजिश रचने जैसे धाराएं लगी थीं। आलम पर धाराएं 120, 121, 120बी और 307 लगाई गई थीं। उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि डीजीपी राजेंद्र आलम को बंदी बनाए जाने की सच्चाई पर रोशनी डालेंगे और जम्मू-कश्मीर पुलिस को कलंकित नहीं करेंगे।
उमर ने कहा कि उनकी सरकार ने आलम को गिरफ्तार किया था और उसे बाहर की दुनिया से अलग-थलग रखा। बंदी बनाना किसी डील का हिस्सा नहीं था बल्कि यह कठिन हालात को काबू करने का तरीका था।