...जब महाकाल मंदिर में फफक पड़ीं माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली अरुणिमा
उज्जैन मंदिर की दर्शन व्यवस्था के प्रति एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली दिव्यांग अरुणिमा ने नाराजगी जाहिर की।
उज्जैन (जेएनएन)। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतह पाकर लौटीं पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा को उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन से रोका गया और उनकी दिव्यांगता का मजाक भी उड़ाया गया जिसपर उनके आंसू निकल पड़े। उन्होंने ट्वीट कर महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था पर रोष और दुख प्रकट किया साथ ही अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की भी बात कही। इसके तुरंत बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने मामले के जांच के आदेश दिए हैं।
अरुणिमा ने ट्वीट कर अपना दुख जाहिर किया। उन्होंने लिखा है, ‘मुझे आपको यह बताते हुए बहुत दुःख है कि मुझे Everest जाने में इतना दुःख नहीं हुआ जितना मुझे महाकाल मंदिर उज्जैन में हुआ वहां मेरी दिव्यंगता का मज़ाक़ बना।‘ उन्होंने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टैग कर मंदिर की दर्शन व्यवस्था को लेकर नाराजगी और दुख प्रकट किया है।
अरुणिमा बताती हैं कि मंदिर के अंदर जाने के लिए किसी ड्रेस कोड के बारे में मंदिर में उन्हें कुछ भी लिखा हुआ नहीं दिखा। इसके अलावा, अरुणिमा दिव्यांग हैं और उनके पैर कृत्रिम हैं, लिहाजा इन कपड़ों में ठंड के दिनों में उन्हें पैरों में आराम मिलता है। अरुणिमा ने सारी बात वहां मंदिर कर्मियों को समझाने की पूरी कोशिश भी की, लेकिन किसी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
इस क्रम में प्रशासक अपर कलेक्टर ने रविवार की भस्मारती के फुटेज तलब किए हैं। फुटेज की जांच के बाद प्रशासक ने बताया कि अरुणिमा 4.30 बजे मंदिर पहुंची थीं। उस वक्त भस्मारती शुरू हो चुकी थी। उन्हें नंदीहॉल में बैठाया गया। फुटेज में वह दर्शन करते हुए दिख रही हैं। भस्मारती के दौरान धर्म परंपरा के अनुसार मंदिर में ड्रेस कोड का पालन होता है। इसमें महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है। इसलिए गर्भगृह में जाने से रोका गया।
मामले पर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने कहा कि महाकाल मंदिर में एक दिव्यांग के पहुंचने और उसे बिना दर्शन के वापस लौटने की बात पर उज्जैन प्रशासन को मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के बाद दिव्यांगों के लिए महाकाल मंदिर में आवश्यक व्यवस्था की जाएगी। बता दें कि अरुणिमा का नाम मंदिर के रजिस्टर में मंत्री चिटनिस की अतिथि के रूप में दर्ज था।
दिव्यांगों के लिए मंदिर में होगी हाइटेक व्यवस्था
महाकाल मंदिर में दिव्यांगों के लिए एक जनवरी से हाईटेक सुविधा प्रदान की जाएगी। देश-विदेश से महाकाल दर्शन करने आने वाले दिव्यांग विशेष स्टिक के सहारे बिना किसी सहायता से स्वयं मंदिर में प्रवेश करेंगे। दिव्यांग को मंदिर में प्रवेश की सही जानकारी मिले, इसके लिए विशेष हेड फोन भी दिए जाएंगे। अपर कलेक्टर प्रशासक अवधेश शर्मा ने बताया कि दिव्यांगों के लिए सुगम दर्शन व्यवस्था की योजना तैयार हो चुकी है। इसके लिए संसाधन भी जुटा लिए गए हैं। मंदिर प्रशासन ने पहले ही महाकाल धर्मशाला व प्रवचन हॉल में रेंप का निर्माण करा लिया है। पुलिस चौकी के पीछे विश्राम धाम में दिव्यांगों के लिए पाथ-वे भी बनकर तैयार है। मंदिर के मुख्यद्वार पर दिव्यांगों के लिए नि:शुल्क व्हीलचेयर का इंतजाम है।
रेलगाड़ी की चपेट में आने से कटा पैर
अरुणिमा सिन्हा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर रहने वाली हैं। 2011 में लखनऊ से दिल्ली आते वक्त लुटेरों ने अरुणिमा को रेलगाड़ी से नीचे फेंक दिया था। दूसरी पटरी पर आ रही रेलगाड़ी की चपेट में आने के कारण अरुणिमा का एक पैर कट गया था। इसके बाद अरुणिमा ने अपने हक के लिए शासन और प्रशासन से संघर्ष किया। अरुणिमा के अनुसार, अस्पताल से निकलने के बाद दिल्ली की एक संस्था से उन्हें नकली पैर मिले। जिसके बाद वे एवरेस्ट पर जीत हासिल कर चुकी बछेंद्री पाल की शिष्या बन गईं। 31 मार्च को अरुणिमा का मिशन एवरेस्ट शुरू हुआ। 52 दिनों की चढ़ाई में 21 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर वह विश्व की पहली दिव्यांग महिला पर्वतारोही बन गईं।
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