Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हरिवंश राय बच्चन के जन्मदिन पर 'मन की बात' में पीएम ने किया याद

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 27 Nov 2016 01:48 PM (IST)

    प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में हरिवंश राय बच्चन को नमन करते हुए कहा था कि मैं हरिवंशराय जी को आदर-पूर्वक नमन करता हूँ।

    नई दिल्ली, पीटीआई। हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन जी का आज जन्म दिन है। हरिवंश राय बच्चन का जन्म आज ही के दिन सन् 1907 को इलाहाबाद के पास प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव बाबूपट्टी में हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में हरिवंश राय बच्चन को नमन करते हुए कहा था कि मैं हरिवंशराय जी को आदर-पूर्वक नमन करता हूँ।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अमिताभ बच्चन को धन्यवाद

    इसके अलावा पीएम ने स्वच्छता के काम के लिए अमिताभ बच्चन का भी धन्यवाद किया। पीएम ने कहा कि 'आज हरिवंशराय बच्चन जी के जन्मदिन पर अमिताभ बच्चन जी ने “स्वच्छता अभियान” के लिये एक नारा दिया है। आपने देखा होगा,अमिताभ जी स्वच्छता के अभियान को बहुत जी-जान से आगे बढ़ा रहे हैं। जैसे स्वच्छता का विषय उनके रग-रग में फैल गया है।तभी तो अपने पिताजी की जन्म-जयंती पर उनको स्वच्छता का ही काम याद आया।

    हरिवंश राय बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था


    बता दें कि हरिवंश राय को बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ होता है 'बच्चा या संतान'बाद में हरिवंश राय बच्चन इसी नाम से मशहूर हुए। हरिवंश राय ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा के बाद 1938 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अँग्रेज़ी साहित्य में एम. ए किया व 1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवक्ता रहे है।

    पुलिस प्रशिक्षण में शामिल हों विशिष्ट योग्यताएं:पीएम मोदी

    हरिवंश राय बच्चन की मुख्य-कृतियां

    मधुशाला, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, सतरंगिनी, विकल विश्व, खादी के फूल, सूत की माला, मिलन, दो चट्टानें व आरती और अंगारे इत्यादि बच्चन की मुख्य कृतियां हैं.

    एक अकेले हों या उनके

    साथ खड़ी हो भारी भीड़;

    मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो

    सीधी रखते अपनी रीढ़।

    पाप हो या पुण्य हो मैंने किया है

    आज तक कुछ भी नहीं आधे हृदय से,

    औ' न आधी हार से मानी पराजय

    औ' न की तसकीन आधी ही विजय से

    अलग अलग पथ बतलाते सब

    पर मैं यह बतलाता हूँ

    राह पकड़ तू एक चला चल

    पा जायेगा मधुशाला।

    मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,

    प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,

    पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,

    सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।

    "100 फीसदी कैशलैस सोसाइटी संभव नहीं तो क्यों न करें लेस कैश की शुरुआत"