मोदी जैकेट बना बड़ा रोजगार, हर साल हो रहा एक करोड़ रुपये का कारोबार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिधान में शामिल जैकेट को मोदी जैकेट के नाम से जाना जाने लगा है। इस जैकेट से शिवपुरी जिले (मध्य प्रदेश) के बदरवास क्षेत्र के एक हजार कारीगरों को रोजगार मिला हुआ है। महज 200 से 300 रुपये में खुले बाजार में बिकने वाली बदरवास की
नई दुनिया ब्यूरो, शिवपुरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिधान में शामिल जैकेट को मोदी जैकेट के नाम से जाना जाने लगा है। इस जैकेट से शिवपुरी जिले (मध्य प्रदेश) के बदरवास क्षेत्र के एक हजार कारीगरों को रोजगार मिला हुआ है। महज 200 से 300 रुपये में खुले बाजार में बिकने वाली बदरवास की मोदी जैकेट की मांग मध्य प्रदेश में ही नहीं बल्कि गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित देश के तमाम प्रदेशों में बढ़ी है। बदरवास में हर सीजन में मोदी जैकेट का कारोबार एक करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर रहा है।
मोदी जैकेट तैयार करने वाले कारीगर बदरवास के अलावा आसपास के गांवों में निवास करते हैं और व्यापारी उन्हें प्रति जैकेट सिलाई के लिए 35 से 40 रुपये का भुगतान करते हैं।
यह भी पढ़ें - खादी में बरकरार मोदी जैकेट का जादू
इस पेशे में शामिल कारीगर लछा प्रजापति, सोनू जाटव, राजू वंशकार आदि की मानें तो एक कारीगर औसतन प्रतिदिन 10 से 15 जैकेट तैयार कर लेता है। इस तरह उसे प्रतिदिन करीब 600 रुपये की आमद हो रही है। ड्रेस डिजाइनर एवं प्रतिष्ठित गारमेंट्स कंपनियों द्वारा निर्मित मोदी जैकेट की कीमत 1500 रुपये से 10 हजार रुपये तक है, जो आम आदमी की पहुंच से दूर है। यही कारण है कि बेहद सफाई व हूबहू डिजायनरों जैसी मोदी जैकेट बदरवास के कारीगर बेहद कम कीमत पर बना रहे हैं। इसके चलते इनकी मांग लगातार बढ़ रही है। महानगरों में भी अधिकतम 500 रुपये में बदरवास की यह जैकेट बेचकर व्यापारी मुनाफा कमा रहे हैं।
यह भी पढ़ें- बाजार में बरकरार है मोदी जैकेट का क्रेज
यूं तो अमूमन साल भर बदरवास में मोदी जैकेट बनाने का कार्य चलता है, लेकिन सर्दी के सीजन के चार महीने में ही करीब 50 हजार जैकेट बनाई जाती हैं। विभिन्न प्रदेशों के व्यापारी खुद बदरवास आकर माल खरीदकर ले जाते हैं। जैकेट के लिए कच्चा माल राजस्थान के भीलवाड़ा से स्थानीय व्यापारी खरीदकर लाते हैं। इसके निर्माण में जूट मिक्स कपड़े का उपयोग किया जाता है। कस्बे में पांच बड़े एवं करीब दो दर्जन छोटे व्यापारी इस व्यवसाय में लगे हुए हैं।
नेहरू से मोदी तक का सफर
तीन साल पहले तक बदरवास में जैकेट व्यवसाय इतने बड़े स्तर पर नहीं था। उस समय तक यहां नेहरू कट नाम से जैकेट तैयार की जाती थी, जिनकी मांग अपेक्षाकृृत कम थी, लेकिन मोदी जैकेट के प्रसिद्ध होने का फायदा यहां के कारीगरों और व्यापारियों ने समय की नजाकत के साथ उठाया और अब बदरवास मोदी जैकेट बनाने का एक बड़ा गढ़ बन चुका है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।