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    रोड एक्सीडेंट में कमी लाने का प्लान तैयार, ट्रैफिक रूल तोड़ने वालों को भुगतना पड़ेगा अंजाम; राज्यों को मिली ये जिम्मेदारी

    Updated: Sun, 25 May 2025 06:56 PM (IST)

    केंद्र सरकार सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को 3000 करोड़ रुपये की सहायता देगी। इसके लिए राज्यों को इलेक्ट्रॉनिक इन्फोर्समेंट को अपनाना होगा उच्च जोखिम वाले कॉरिडोर की पहचान करनी होगी और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर ई-चालान जारी करने होंगे। सरकार ने राज्यों को तीन समूहों में बांटा है और सहायता राशि सुधार की प्रगति के अनुसार जारी की जाएगी।

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    राज्यों को उच्च जोखिम और उच्च घनत्व वाले कॉरिडोर की पहचान करनी है (फाइल फोटो)

    मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सुधार के साथ सहायता के अपने मंत्र के तहत केंद्र सरकार राज्यों को सड़क सुरक्षा के लिए तीन हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगी। वित्त मंत्रालय 2025-26 के दौरान पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को दी जाने वाली विशेष सहायता के विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।

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    इसके तहत सड़क सुरक्षा के लिए केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए राज्यों को इलेक्ट्रॉनिक इन्फोर्समेंट को अपनाना और बढ़ावा देना होगा। उन्हें सबसे पहले अपने यहां के राजमार्गों में उच्च जोखिम और उच्च घनत्व वाले कॉरिडोर की पहचान करनी है, उनकी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सूचना देनी है।

    दुर्घटनाओं में लानी होगी कमी

    फिर उन स्थानों पर इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग के उपाय करने हैं, उन्हें ट्रैफिक कंट्रोल रूम से जोड़ना है और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को पकड़ना है और ई चालान जारी करने हैं। राज्यों को ई चालान के निस्तारण की दक्षता भी प्रदर्शित करनी होंगी। केंद्र सरकार ने तीन महीने की अवधि में राज्यों के राजमार्गों और शहरों की प्रमुख सड़कों में दुर्घटनाओं में न्यूनतम 50 प्रतिशत की कमी लानी होगी।

    वित्त मंत्रालय की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार राज्यों को 15 जून तक यह बताना है कि उन्हें कितनी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस चिह्नित क्षेत्रों में लगानी है। केंद्र सरकार इस योजना के तहत पैसा चरणबद्ध तरीके से जारी करेगी। इसका मतलब है कि वे सुधार की दिशा में जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे, वैसे-वैसे उन्हें केंद्रीय सहायता की राशि जारी की जाएगी।

    राज्यों को तीन समूहों में बांटा

    • दैनिक जागरण के पास मौजूद इस दस्तावेज में कहा गया है कि मार्ग दुर्घटनाओं में 80 प्रतिशत हिस्सा उन घटनाओं का है, जिनमें ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कारण होता है। वर्तमान में ट्रैफिक इन्फोर्समेंट की अपनी सीमाएं हैं। ये मानव संसाधन के मामले में भी है और ट्रैफिक कर्मियों पर निर्भरता के कारण भी। इन स्थितियों में तकनीक आधारित ट्रैफिक इन्फोर्समेंट समय की जरूरत है।
    • इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग और इन्फोर्समेंट से वास्तविक समय में डाटा और प्रमाण प्राप्त हो जाते हैं। इससे उल्लंघन के मामलों में आसानी से जुर्माना लगाया जा सकता है। केंद्रीय सहायता के लिए सरकार ने राज्यों को तीन समूहों में बांटा है। पहले समूह में शामिल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश को 350 करोड़ मिलेंगे।
    • बिहार, झारखंड, दिल्ली, केरल, ओडिशा, बंगाल, पंजाब, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, असम और उत्तराखंड को 150 करोड़ रुपये दिए जाएंगे, जबकि हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, गोवा, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, पुडुचेरी और मिजोरम को 50 करोड़ रुपये मिलेंगे।

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