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    प्रदूषण में भारी धातुओं की मौजूदगी पर नियंत्रण रखेंगे ये सूक्ष्मजीव

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Thu, 04 Jan 2018 12:20 PM (IST)

    ताजे पानी में पाए जाने वाले चार सूक्ष्मजीवों की पहचान की, जो करेंगे मदद

    प्रदूषण में भारी धातुओं की मौजूदगी पर नियंत्रण रखेंगे ये सूक्ष्मजीव

    नई दिल्ली (आइएसडब्ल्यू)। मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण में भारी धातुओं का जहर लगातार घुल रहा है। एक ताजा अध्ययन में भारतीय शोधकर्ताओं ने पाया है कि जलीय पारिस्थितिक तंत्र में भारी धातुओं की मौजूदगी का पता लगाने में जैविक तकनीक कारगर साबित हो सकती है।

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    यानी भारी धातुओं के प्रदूषण की निगरानी में सूक्ष्मजीव मददगार साबित हो सकते हैं। ताजे पानी में पाए जाने वाले चार सूक्ष्मजीवों यूप्लोट्स, नोटोहाइमेना, स्यूडॉरोस्टाइला और टेटमेमेना की जैव संकेतक क्षमता का आकलन करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं। 

     

     

    अध्ययन के दौरान तांबा, जस्ता, कैडमियम, निकिल और सीसा समेत पांच भारी धातुओं की विभिन्न मात्राओं का उपयोग सूक्ष्मजीवों पर करके उनमें इन धातुओं के प्रति संवेदनशीलता का परीक्षण किया गया है।

     

    यहां से एकत्र किए सूक्ष्मजीवों के नमूने 

    सूक्ष्मजीव प्रजातियों के नमूने दिल्ली के तीन अलग-अलग जलीय पारिस्थितिक तंत्रों नदी, झील और तालाब से एकत्रित किए गए हैं। अध्ययन क्षेत्रों में यमुना बैराज पर स्थित ओखला पक्षी अभ्यारण्य, राजघाट स्थित एक कृत्रिम तालाब और संजय झील शामिल थे।

     

    सूक्ष्मजीवों पर पड़ता है गहरा असर 

    अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, पारिस्थितिक तंत्र में भारी धातुओं के प्रदूषण का स्तर बेहद कम होने पर भी इन सूक्ष्मजीवों पर गहरा असर पड़ता है, जिसकी निगरानी विषाक्तता परीक्षण के आधार पर आसानी से की जा सकती है। इसी आधार पर इन सूक्ष्मजीवों को भारी धातुओं से होने वाले प्रदूषण का पता लगाने वाला एक प्रभावी जैव संकेतक माना जा रहा है।

     

     

    खासतौर पर महानगरों में चिंता का विषय 

    भारी धातुओं से होने वाला प्रदूषण दिल्ली जैसे महानगरों में खासतौर पर चिंता का विषय बना हुआ है। घरों और उद्योगों से निकलने वाला कचरा व अपशिष्ट जल इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार माने जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार जलीय पारिस्थितिक तंत्र में भारी धातुओं की मौजूदगी पौधों एवं जीवों के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। यह अध्ययन हाल ही में करंट साइंस नामक जर्नल

    में प्रकाशित किया गया है।

     

    यह आया सामने

    अध्ययन में शामिल आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज की शोधकर्ता डॉ. सीमा मखीजा के मुताबिक, सूक्ष्मजीवों की सभी प्रजातियां तांबे के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील पाई गईं हैं, जबकि सबसे कम संवेदनशीलता जस्ते के प्रति दर्ज की गई है। स्यूडॉरोस्टाइला को भारी धातुओं के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील पाया गया है। सूक्ष्मजीवों की नोटोहाइमेना प्रजाति में इन धातुओं के प्रति संवेदनशीलता का स्तर सबसे कम दर्ज किया गया है और टेटमेमेना और यूप्लोट्स में मध्यम संवेदनशीलता देखी गई है।

     

     

     

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