Manmohan Singh: अटल जी की आलोचना से आहत होकर बनाया था मंत्री पद छोड़ने का मन, पढ़ें मनमोहन सिंह का पुराना किस्सा
क्या आपको पता है डॉ. मनमोहन सिंह को नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया था इस दौरान जब न्होंने अपना पहला बजट पेश किया तो उस समय विपक्ष के नेता अटल बिहारी बाजपेयी ने उनकी तीखी आलोचना की। जिससे वह इतने आहत हो गए थे कि उन्होंने मंत्री पद छोड़ने का मन बना लिया था। हालांकि बाद में अटल जी ने उनको समझाया था।

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री बनने से पहले डॉ. मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री भी रहे। वह पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए थे। वित्त मंत्री बनने के बाद जब उन्होंने अपना पहला बजट पेश किया तो उस समय विपक्ष के नेता अटल बिहारी बाजपेयी ने उनकी तीखी आलोचना की। जिससे वह इतने आहत हो गए थे कि उन्होंने मंत्री पद छोड़ने का मन बना लिया था। ये बात जैसे ही प्रधानमंत्री नरसिंह राव को पता चली, तो उन्होंने फोन पर इस बात की जानकारी अटलजी को दी।
अटल जी ने खुद की थी मुलाकात
बताया जाता है कि इसके बाद अटल जी ने खुद उनसे मुलाकात की और उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि उनकी आलोचना राजनीतिक थी। उसे वह बिल्कुल भी अन्यथा न लें। हालांकि इसके बाद अटलजी और मनमोहन दोनों अच्छे दोस्त बन गए। दोनों के बीच रिश्तों की यह गर्मजोशी बाद में दिखी। अटल जी बाद में जब बीमारी से ग्रसित थे, तो उनसे नियमित मिलने वालों में डॉक्टर मनमोहन सिंह भी रहते थे।
मनमोहन सिंह की कर्तव्यनिष्ठा के पीएम नरेन्द्र मोदी भी मुरीद थे
पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की कर्तव्यनिष्ठा के पीएम नरेन्द्र मोदी भी मुरीद थे। हाल ही में राज्यसभा से उनके कार्यकाल के खत्म होने के मौके पर दिए जा रहे विदाई भाषण के दौरान पीएम मोदी ने भरे सदन में न सिर्फ उनकी खुल कर तारीफ की बल्कि सांसदों से उनसे प्रेरणा लेना को कहा था।
पीएम मोदी ने कहा था कि हाल ही में वह एक विधेयक पर वो¨टग के दौरान व्हील चेयर पर बैठकर सदन में आए थे। यह जानते हुए भी कि विधेयक में सत्ता पक्ष की जीत तय है। एक सांसद अपने दायित्व के लिए कितना सजग है इसके वे उदाहरण थे। इतना ही नहीं वह कमेटी के चुनाव में भी व्हील चेयर पर बैठकर आते थे।
कुछ समय यूजीसी के भी अध्यक्ष भी रहे
पूर्व प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह की पहचान भले देश के अर्थशास्त्री के रूप में होती है, लेकिन वे एक शिक्षाविद् भी थे। उन्होंने कुछ समय तक पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ाने का काम भी किया था। बाद में 1991 में वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि इस पद पर वह कम समय तक ही रहे, क्योंकि इसके बाद ही पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने उन्हें अपनी कैबिनेट में वित्त मंत्री का पद दे दिया था।
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