'आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता', Malegaon Blast Case में कोर्ट ने की सख्त टिप्पणियां
Malegaon Blast Case मालेगांव 2008 ब्लास्ट मामले में एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। 29 सितंबर 2008 को नासिक के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक से धमाका हुआ था जिसमें छह लोग मारे गए थे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मालेगांव में 2008 के दिल दहला देने वाले धमाके के मामले में एनआईए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी आरोपी को बरी कर दिया है।
29 सितंबर 2008 को मालेगांव शहर, नासिक में एक मस्जिद के पास कथित तौर मोटरसाइकिल पर रखा गया विस्फोटक फटने से छह लोग मारे गए थे और कई घायल हो गए थे। कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि कोई भी मजहब हिंसा की वकालत नहीं करता।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अभियोजन पक्ष धमाके की बात तो साबित कर पाया, लेकिन यह सिद्ध नहीं कर सका कि मोटरसाइकिल में बम रखा गया था।
इसके अलावा, घायलों की संख्या को लेकर भी गड़बड़ी सामने आई। कोर्ट ने पाया कि घायल लोगों की संख्या 101 नहीं, बल्कि 95 थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेरफेर किया गया था।
पीड़ितों को मुआवजा
कोर्ट ने धमाके में मारे गए छह लोगों के परिवारों को 2 लाख रुपये और सभी घायल पीड़ितों को 50,000 रुपये मुआवजे के तौर पर देने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सिर्फ धारणा या नैतिक सबूतों के आधार पर किसी को सजा नहीं दी जा सकती। इसके लिए ठोस सबूतों की जरूरत होती है, जो इस मामले में अभियोजन पक्ष पेश नहीं कर सका।
क्या है मालेगांव धमाका मामला?
17 साल पहले हुए इस धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। मालेगांव की एक मस्जिद के पास हुए इस विस्फोट में छह बेगुनाहों की जान चली गई थी और कई लोग जख्मी हो गए थे।
इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें साध्वी प्रज्ञा और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित जैसे नाम शामिल थे। लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया।
(एनएनआई इनपुट्स के साथ)
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