LPG सप्लायर से हैं परेशान? अब मोबाइल सिम की तरह गैस सिलेंडर कर सकते हैं पोर्ट; पढ़ें पूरी डिटेल
एलपीजी उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छी खबर है! अब वे अपने एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर के साथ तेल कंपनी को भी बदलने का विकल्प चुन सकेंगे। तेल नियामक पीएनजीआरबी ने एलपीजी इंटरऑपरेबिलिटी फ्रेमवर्क के तहत हितधारकों और उपभोक्ताओं से राय मांगी है। पहले उपभोक्ताओं को केवल डीलर बदलने का विकल्प मिलता था लेकिन अब वे अपनी पसंद की तेल कंपनी में स्विच कर सकेंगे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर के साथ ही अब उपभोक्ता तेल कंपनी बदलने का भी विकल्प चुन सकेंगे। इससे उन्हें रसोई गैस सिलेंडर प्राप्त करने के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे और बेहतर सेवा मिल सकेगी। तेल नियामक पीएनजीआरबी ने एलपीजी इंटरआपरेबिलिटी फ्रेमवर्क के तहत हितधारकों और उपभोक्ताओं से मध्य अक्टूबर तक राय मांगी है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने टिप्पणियां आमंत्रित करते हुए नोटिस में कहा है कि जहां किसी स्थानीय वितरक को परिचालन संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वहां पर उपभोक्ताओं पास अक्सर सीमित विकल्प होते हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को एलपीजी कंपनी और डीलर चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
शुरू किया था पायलट प्रोजेक्ट
दरअसल, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने अक्टूबर 2013 में 13 राज्यों के 24 जिलों में एलपीजी कनेक्शन की पोर्टेबिलिटी को लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था और जनवरी, 2014 में इसका विस्तार पूरे देश में किया गया। उस समय उपभोक्ताओं को केवल अपने डीलर बदलने के सीमित विकल्प दिए गए थे। नाखुश होने के बावजूद ग्राहक तेल कंपनी नहीं बदल सकता था।
इसका मतलब यह था कि इंडियन आयल कारपोरेशन से इंडेन गैस लेने वाले उपभोक्ता के पास इंडेन गैस के डीलर को ही चुनने का विकल्प था। उपभोक्ता चाहकर भी भारत पेट्रोलियम के भारत गैस या ¨हदुस्तान पेट्रोलियम के एचपी गैस में स्विच नहीं कर सकता था। उस समय ग्राहक के पास कंपनी बदलने का विकल्प नहीं था, क्योंकि कानून के अनुसार किसी विशेष कंपनी के एलपीजी सिलेंडर को रिफिल के लिए केवल उसी कंपनी में जमा करना होता था।
सालाना 17 लाख से ज्यादा आती हैं उपभोक्ताओं की शिकायतें
गैस नियामक बोर्ड अब कंपनी पोर्टेबिलिटी की भी अनुमति देने की मांग कर रहा है। बोर्ड ने कहा कि सालाना 17 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं की शिकायतें आती हैं। तेल कंपनियां शिकायतों का समाधान करने का प्रयास करती हैं, लेकिन उपभोक्ताओं के पास एक तेल कंपनी या एलपीजी डीलर से दूसरे के पास जाने का विल्प नहीं होता है।
आपूर्ति में व्यवधान और एलपीजी रिफिल डिलीवरी में लंबी देरी के कई मामले सामने आए हैं। कुछ मामलों में तो यह देरी कई हफ्तों तक भी चली। इस तरह की सेवा रुकावटों से घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को, खासकर उन इलाकों में, जहाँ स्थानीय वितरकों को निलंबन या परिचालन संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह के घटनाक्रम एक केंद्रित ²ष्टिकोण अपनाने के महत्व को रेखांकित करते हैं।
480 से ज्यादा जिलों में बनाए थे 1400 क्लस्टर
संप्रग सरकार के समय शुरू की गई योजना में तेल कंपनियों ने 480 से ज्यादा जिलों में फैले वितरकों को ध्यान में रखकर 1,400 से ज्यादा क्लस्टर बनाए थे। प्रत्येक क्लस्टर में औसतन लगभग चार वितरकों में से चुनना संभव था। इन बाजारों का कोई भी एलपीजी उपभोक्ता एलपीजी कनेक्शन पोर्टेबिलिटी योजना के तहत आसपास के एलपीजी वितरकों के समूह में से अपनी पसंद का वितरक चुन सकता है। नई योजना अगर परवान चढ़ती है तो उपभोक्ता डिस्ट्रीब्यूटर के साथ ही तेल कंपनी भी बदल सकेगा।
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