'चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच विश्वास की कमी', बिहार SIR मामले में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में एसआईआर से जुड़े एक मामले की सुनवाई की। सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिहार में चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच विश्वास की कमी दुर्भाग्यपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद तैयार मतदाता सूची के मसौदे पर आपत्तियां दर्ज कराने की समय सीमा बढ़ा दी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में एसआईआर से जुड़े मामले की सुनावई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी राज्य बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद तैयार की गई मतदाता सूची के मसौदे पर आपत्तियाँ दर्ज कराने की समय सीमा बढ़ा दी।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य में चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच विश्वास की काफी कमी देखने को मिल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने विश्वास की इस कमी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
दो न्यायाधीशों की पीठ ने की सुनवाई
बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ मसौदा सूची पर आपत्तियां दर्ज कराने की 1 सितंबर की समय सीमा बढ़ाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
वहीं, चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि बिहार के लोगों को विशेष गहन पुनरीक्षण से कोई समस्या नहीं है। केवल याचिकाकर्ता ही इसमें नाराज हैं।
चुनाव आयोग ने पीठ को सूचित करते हुए कहा कि उसे प्राप्त अधिकांश आवेदन मतदाता सूची से नाम हटाने की मांग करते हैं, और नाम शामिल करने के अनुरोधों की संख्या बहुत कम है।
पारदर्शिता का अभाव
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा कि चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया में पारदर्शिता का बेहद अभाव है। वहीं, इस पर चुनाव आयोग पीठ को बताया कि बाधा डालने की मानसिकता इसके लिए ज़िम्मेदार है।
चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि समय सीमा बढ़ाने से चुनाव से पहले मतदाता सूची को अंतिम रूप देने का पूरा कार्यक्रम बाधित होगा। आयोग ने कहा कि समय सीमा को आगे बढ़ाने से समीक्षा एक अनंत प्रक्रिया बन जाएगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अंत में समय सीमा 15 सितंबर तक बढ़ा दी है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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