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    'SIR पर बस 2 पार्टियों ने सही फॉर्म भरे', चुनाव आयोग का जवाब; कांग्रेस के 89 लाख दावा-आपत्ति का क्या होगा?

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 08:59 AM (IST)

    चुनाव आयोग ने कांग्रेस के 89 लाख दावों और आपत्तियों के दावों का खंडन किया है। आयोग का कहना है कि उन्हें कांग्रेस की ओर से कोई प्रमाण नहीं मिला है। CPIML और राजद ने ही निर्धारित प्रारूप में दावे किए हैं। आयोग ने बताया कि महिलाओं के नामों को हटाने का कारण डुप्लीकेट प्रविष्टियां हैं जो पिता और पति के पते पर पंजीकरण के कारण होती हैं।

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    दो पार्टियों को छोड़ किसी पार्टी ने आयोग में नहीं दी तय प्रारूप पर दावा-आपत्ति

    राज्य ब्यूरो, पटना। : मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर कांग्रेस की ओर से 89 लाख दावे-आपत्तियां/ शिकायत देने से संबंधित कोई प्रमाण चुनाव आयोग के रिकार्ड में नहीं है। ऐसे में अब कांग्रेस के इस दावे का क्या होगा, ये बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

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    आयोग के अधिकारियों का कहना है कि कांग्रेस का यह दावा पूरी तरह असत्य है। कांग्रेस की ओर से निर्धारित प्रारूप एवं घोषणा पत्र के साथ एक भी आवेदन नहीं दिया गया है। 

    उल्लेखनीय है कि आयोग की ओर से निर्धारित प्रारूप एवं घोषणा पत्र पर मात्र दो दल, सीपीआइएमएल एवं राजद की ओर से दावे-आपत्तियां दी गई हैं। इसमें सीपीआइएमएल ने 103 नाम हटाने एवं 15 नाम जोड़वाने के लिए आवेदन दिया है।

    वहीं, राजद की ओर से तय प्रारूप पर 10 नाम जुड़वाने के लिए आवेदन दिए गए हैं। अभी तक न तो बिहार प्रदेश कांग्रेस के किसी जिलाध्यक्ष द्वारा और न ही किसी बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) द्वारा पहली अगस्त, 2025 को प्रकाशित प्रारूप मतदाता सूची पर आयोग को निर्धारित वैधानिक प्रपत्र (फार्म-6, 7, 8 आदि) में कोई दावा या आपत्ति की गई है।

    आयोग के अधिकारियों का कहना है कि राजनीतिक दलों द्वारा जिलाध्यक्ष स्तर पर सामूहिक सूचियां जमा कराना वैधानिक दावा/आपत्ति नहीं माना जाता। ऐसी रसीदें केवल प्राप्ति-स्वीकृति होती हैं। आयोग नियमित रूप से प्राप्त दावे/आपत्तियों की स्थिति सार्वजनिक डोमेन में प्रकाशित करता है।

    बीएलए द्वारा दावा/आपत्ति की प्रक्रिया

    निर्वाचन नियमों के अनुसार प्रत्येक बीएलए प्रतिदिन अधिकतम 10 और कुल मिलाकर 30 प्रपत्र ही जमा कर सकता है। प्रत्येक आवेदन निर्वाचक द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए और संबंधित फार्म संलग्न होना अनिवार्य है।

    रविवार यानी 31 अगस्त तक कांग्रेस की ओर से प्रस्तुत अधिकांश आवेदन निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप नहीं पाए गए। उल्लेखनीय है कि इस विषय पर बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा सभी दलों को पूर्व में लिखित निर्देश जारी किए जा चुके हैं।

    पिता व पति के पते पर थे महिलाओं के नाम

    उधर, महिलाओं के नामों को निशाना बनाने के आरोप पर आयोग के अधिकारियों का कहना है कि स्थानांतरण, ‘माइग्रेशन’ और ‘डेड’ श्रेणी की प्रविष्टियां लैंगिक रूप से निष्पक्ष हैं।

    ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के नामों में वर्तनी या पति/पिता के नाम में भिन्नता के कारण डुप्लीकेट प्रविष्टियां अधिक पाई जाती हैं, जिन्हें हटाने पर आंकड़ों में महिलाओं का अनुपात अधिक दिखाई देता है।

    कई मामलों में महिलाओं का नाम उनके पिता के पते पर भी पंजीकृत होता है एवं उनके पति के पते पर भी पंजीकृत होता है, ऐसे में उनकी दोहरी प्रविष्टि हो जाती है।

    15 लाख से अधिक नये मतदाताओं ने दिया आवेदन

    एसआइआर को लेकर दैनिक सूचना के अनुसार अभी तक आयोग को 2,07,565 आपत्तियां (नाम हटाने हेतु) , 33,326 दावे (नाम जोड़ने हेतु) एवं 15,32,438 आवेदन (प्रथम बार 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले मतदाताओं से) प्राप्त हुए हैं।

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